वाराणसी: अयोध्या मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद संत समाज राम मंदिर निर्माण की बातें कर रहा है. अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री आचार्य जितेन्द्रानंद सरस्वती और इंदौर, मध्य प्रदेश से आए महामंडलेश्वर मनमोहन दास ने राम मंदिर निर्माण जल्द किए जाने का दावा किया. उन्होंने लंबी सुनवाई के बाद अब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से किसी भी तरह की पंचायत के फैसले की स्थिति में उसे स्वीकार न करने की बात कही.
आचार्य जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि संविधान के दायरे में सुप्रीम कोर्ट तथ्य और कसौटीयों के आधार पर जो भी फैसला सुनाएगा, उसे संत समाज के लोगों को स्वीकार करना होगा. सुप्रीम कोर्ट किसी भी तरीके की पंचायत में न पड़े और यह बेहद जरूरी है. ऐसी पंचायत की स्थिति में कोर्ट का फैसला न ही हिंदू समाज के लोगों को और न ही संत समाज के लोगों को स्वीकार होगा.
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट तथ्य और तर्क के साथ कानून के आधार पर अपना निर्णय सुनाए. हमें अब किसी तरह की कोई पंचायत नहीं चाहिए, बस निर्णय चाहिए. हाईकोर्ट में हमने लड़ाई लड़ी. 30 में से 29 पार्टियों की याचिका खारिज हो गई, सिर्फ रामलला विराजमान हाईकोर्ट से मुकदमा जीत गए. इसके बाद कौन लोग थे, जिनके षड्यंत्र से दो जज जमीन को तीन हिस्सों में बांट देते हैं.
आचार्य जितेन्द्रानंद सररस्वती ने कहा कि रामलला जीते तो फिर उनको पूरी जमीन क्यों नहीं दी गई. यह सब षड्यंत्र था और हमें यह लग रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में भी कोई ऐसा षड्यंत्र न हो. इसलिए हमारा स्पष्ट मत है कि हम जीतेंगे, क्योंकि तथ्य और प्रमाण हमारे पास है.
अखिल भारतीय संत समिति के संयुक्त महामंत्री और महामंडलेश्वर राधे बाबा ने कहा कि संत समाज मंदिर निर्माण के लिए पूरी तरह से तैयार है. पत्थर तराशने का काम हो रहा है और काशी में गोपनीय तरीके से राम मंदिर निर्माण की तैयारियां संतों ने शुरू भी कर दी है. उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए संत यात्रा निकालकर अयोध्या पहुंचेंगे.