वाराणसी: सरकार महिला सशक्तिकरण के साथ ही पौष्टिक आहार पर भी हमेशा से जोर देती रही है. महिलाओं को किस तरह से सशक्त बनाना है और महिला समूहों की मदद से पौष्टिक आहार को भी जन-जन तक पहुंचाना है. इसी प्लानिंग के साथ सरकार ने मोटे अनाज को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मिलेट्स ईयर इस साल घोषित करते हुए जन-जन को मोटे अनाज का फायदा पहुंचाने की प्लानिंग की है. जी 20 सम्मेलन में भी इस मुद्दे को रखकर जी-20 देशों के साथ मोटे अनाज को नॉर्मल डाइट में शामिल करने पर जोड़ दिया गया है. इन सबके बीच वाराणसी में सरकार की महत्वकांक्षी योजना दीदी कैफे एक नहीं बल्कि दोहरा फायदा दे रही है. एक तरफ जहां महिलाएं यहां पर रोजगार सृजित कर अपने आप को मजबूत कर रही हैं तो इनके कैफे में मिलने वाला मिले और हेल्दी भोजन लोगों को जागरूक भी कर रहा है.
मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल का कहना है कि दीदी कैफे सरकार की एक बहुत अच्छी योजना है. सबसे पहले इसे सरकारी कार्यालयों में खुलवाने का काम किया गया और इसके बाद इंटर व डिग्री कॉलेजो में इसे खुलावाया गया, जिससे बच्चों को अनहाइजेनिक खाने कि चीजें कैम्पस में ही उपलब्ध हो सके. इसके लिए कॉलेजों में एक कमरा निशुल्क समूह कि महिलाओं को उपलब्ध कराया गया है. जिसके पीछे खास यह है कि स्कूल के बाहर बच्चों को न जाना पड़े और जो एक्सीडेंट आदि के खतरे हैं, उससे भी बच्चे बच सकें.
उन्होंने बताया कि हमारा खास ध्यान रहता है कि मौसम के अनुसार बच्चों को वहां डाइट मिल सके जैसे गर्मी में सत्तू और नींबू पानी और अभी तक है. मुख्य विकास अधिकारी का कहना है कि महिला समूह की महिलाओं को सशक्त बनाने के साथ ही पौष्टिक आहार कैंटीन के जरिए उपलब्ध करवाना पहली प्राथमिकता है, इसलिए कैंटीन के मैन्यू में मिलेट्स प्रोडक्ट को भी शामिल किया जा रहा है.
क्या है दीदी कैफे का प्लान?
दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अंतर्गत महिला समूह द्वारा वाराणसी के कई सरकारी कार्यालयों व स्कूलों में दीदी कैंटीन का संचालन तेजी से हो रहा है. खास बात यह है कि प्रदेश सरकार राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन को इसके माध्यम से और अधिक प्रभावशाली बना रहा है. इस दीदी कैंटीन के माध्यम से समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं. साथ ही साथ स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भी अब साफ सुथरा खानपान का सामग्री उपलब्ध हो रहा है.
स्कूल में बच्चों को भी फायदा
वहीं, योजना के बारे में भारतीय शिक्षा मंदिर इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य चारुचंद्र त्रिपाठी का कहना है कि यह सरकार की बहुत ही मत्वकांक्षी योजना है और यह जनपद के प्रायः सभी स्कूलों कुछ ग्रामीण क्षेत्रो को छोड़कर या जो संसाधन विहीन है उन्हे छोड़ दिया जाए तो हर जगह है. इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि जो हमारी माताएं और बहनें अच्छा भोजन बनाती थी और जो घरों में थे, जिनके खाली समय का सदुपयोग नहीं हो पाता था वह अब सामने आ रही हैं और आत्मनिर्भर होने के साथ ही वह कैंटीन के माध्यम से बच्चों को साफ भोजन आदि उपलब्ध करा रही हैं. उनके लिए भी यह एक रोजगार बन रहा है जो काफी अच्छा है.