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वाराणसी में दिवाली पर नहीं बिकेंगे पटाखे, जानें क्या है बनारसियों की राय

एनजीटी ने वाराणसी समेत उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दिया है. इस पर वाराणसी के लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है. इस पर ईटीवी भारत ने बनारसियों की राय जानी.

बनारसी
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Published : Nov 10, 2020, 7:02 PM IST

वाराणसी: राजधानी दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. राजधानी लखनऊ समेत वाराणसी, आगरा और अन्य कई शहरों में स्थिति बिगड़ रही है. एक्यूआई लेवल बिगड़ता देख एनजीटी ने नए आदेश में उत्तर प्रदेश के 13 शहरों में दीपावली के मौके पर पटाखों की बिक्री और इसे जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसके बाद ईटीवी भारत ने काशी में लोगों की प्रतिक्रियाएं जानी.

पटाखों की बिक्री पर रोक.

एनजीटी के आदेश का स्वागत
बनारस के लोगों का कहना है कि दीपावली दीये जलाने का त्योहार है. रोशनी का पर्व है लोग खुशी में पटाखे जलाते हैं. अपनी खुशी का इजहार करना कहीं से गलत नहीं है, लेकिन खुशी के साथ हमें दूसरों की सेहत के साथ पर्यावरण का भी ध्यान रखना चाहिए. यदि एनजीटी की तरफ से पटाखों की बिक्री और इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है तो इसका तहे दिल से स्वागत है.

लोकल एडमिनिस्ट्रेशन को देना चाहिए ध्यान
लोगों का कहना है कि आज कोरोना के वर्तमान प्रकोप को देखते हुए पर्यावरण के साथ खुद को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है. पटाखों के इस्तेमाल से पर्यावरण बिगड़ेगा. सांस लेने में दिक्कत भी महसूस होगी जो कहीं न कहीं से इस वायरस के लिए और भी फायदेमंद साबित हो जाएगा. इसलिए एनजीटी का यह फैसला बिल्कुल सही है और जिस तरह से एनजीटी ने पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाई है, उसका पालन लोकल एडमिनिस्ट्रेशन को पूरी तत्परता से करना चाहिए.

अन्य कारणों पर भी करना चाहिए विचार
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि साल में एक दिन ही पटाखा जलाया जाता है. एक दिन के पटाखे से साल भर का पर्यावरण नहीं बिगड़ता. पर्यावरण बिगड़ने के अन्य कारणों पर भी विचार करना चाहिए. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पटाखों का कम इस्तेमाल करना चाहिए.

वाराणसी: राजधानी दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. राजधानी लखनऊ समेत वाराणसी, आगरा और अन्य कई शहरों में स्थिति बिगड़ रही है. एक्यूआई लेवल बिगड़ता देख एनजीटी ने नए आदेश में उत्तर प्रदेश के 13 शहरों में दीपावली के मौके पर पटाखों की बिक्री और इसे जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसके बाद ईटीवी भारत ने काशी में लोगों की प्रतिक्रियाएं जानी.

पटाखों की बिक्री पर रोक.

एनजीटी के आदेश का स्वागत
बनारस के लोगों का कहना है कि दीपावली दीये जलाने का त्योहार है. रोशनी का पर्व है लोग खुशी में पटाखे जलाते हैं. अपनी खुशी का इजहार करना कहीं से गलत नहीं है, लेकिन खुशी के साथ हमें दूसरों की सेहत के साथ पर्यावरण का भी ध्यान रखना चाहिए. यदि एनजीटी की तरफ से पटाखों की बिक्री और इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है तो इसका तहे दिल से स्वागत है.

लोकल एडमिनिस्ट्रेशन को देना चाहिए ध्यान
लोगों का कहना है कि आज कोरोना के वर्तमान प्रकोप को देखते हुए पर्यावरण के साथ खुद को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है. पटाखों के इस्तेमाल से पर्यावरण बिगड़ेगा. सांस लेने में दिक्कत भी महसूस होगी जो कहीं न कहीं से इस वायरस के लिए और भी फायदेमंद साबित हो जाएगा. इसलिए एनजीटी का यह फैसला बिल्कुल सही है और जिस तरह से एनजीटी ने पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाई है, उसका पालन लोकल एडमिनिस्ट्रेशन को पूरी तत्परता से करना चाहिए.

अन्य कारणों पर भी करना चाहिए विचार
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि साल में एक दिन ही पटाखा जलाया जाता है. एक दिन के पटाखे से साल भर का पर्यावरण नहीं बिगड़ता. पर्यावरण बिगड़ने के अन्य कारणों पर भी विचार करना चाहिए. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पटाखों का कम इस्तेमाल करना चाहिए.

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