वाराणसी: ज्ञानवापी मामले में आज दो अलग-अलग मामलों पर बहस हुई जिसमें महत्वपूर्ण समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और असदुद्दीन ओवैसी पर एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर कोर्ट ने सुनवाई को आगे बढ़ाया. इस पर कोर्ट ने 19 जनवरी को अगली सुनवाई की तिथि मुकर्रर की है, वही श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को नुकसान पहुंचा कर हिंदू भावनाओं को भड़काने और उस पर सीमेंटनुमा पदार्थ लगाने के मामले में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दी गई 9 जनवरी की एप्लीकेशन की पोषणीयता पर भी आज बहस हुई है. इस पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है.
दरअसल, वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर पांडे की तरफ से ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग को लेकर अखिलेश यादव और ओवैसी की तरफ से दिए गए बयान को हेट स्पीच मानते हुए, इनके और अंजुमन इंतजामियां समेत लगभग 2000 लोगों के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने और गलत बयानबाजी करने को लेकर न्यायिक मजिस्ट्रेट पंचम के यहां प्रार्थना पत्र दिया गया था. इस पर सुनवाई करते हुए इसे स्वीकार किया गया और फिर इसकी पोषणीय पर भी बात करके इसे चलने योग्य माना गया था. इस मामले में कोर्ट ने चौक थाने से दर्ज रिपोर्ट भी मांगी थी जो आ चुकी है. इसे लेकर आज बहस हो रही थी. इस दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से फिर से इस पूरे मामले की पोषणीयता को लेकर एक प्रार्थना पत्र दिया गया. अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने बताया कि यह नए नियम के तहत अपने से ही फिर से दिया गया प्रार्थना पत्र था जिस पर उन्होंने आपत्ति दर्ज कराई है अब इस पर कोर्ट 19 जनवरी को सुनवाई करेगी.
वहीं, ज्ञानवापी मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट स्पेशल की अदालत में आज काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को नुकसान पहुंचा कर हिंदू भावना भड़काने, शिवलिंग के ऊपरी भाग में सीमेन्टनुमा पदार्थ जमाकर शिवलिंग को ड्रिलिंग मशीन से छेदकर फव्वारा का रुप देने का प्रयास करने के अपराध में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना करने के लिये थाना चौक को आदेशित करने के लिये प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है जिसके पोषणियता पर आज बहस हुई.
बजरडीहा भेलुपुर के विवेक सोनी व चितईपुर के जयध्वज श्रीवास्तव ने अधिवक्ता देशरत्न श्रीवास्तव व नित्यानंद राय एडवोकेट के माध्यम से 156( 3) सीआरपीसी के तहत प्रार्थना पत्र दाखिल किया था. इसमे कहा गया था कि द्वादश ज्योतिर्लिंग में प्रमुख काशी विश्वनाथ मंदिर अनादी काल से काशी में स्थित है ज्योतिर्लिंग का प्राण प्रतिष्ठा करने के उपरांत स्थापित किया गया था जो की जीवित स्वरूप है और उसका विध्वंस कभी नहीं हुआ है, बल्कि मात्र मंदिर के स्वरूप को क्षतिग्रस्त किया गया था तथा मंदिर के मलबे से ही कथित मस्जिद के भवन का स्वरूप बनाया गया और हर स्थिति में ज्योतिर्लिंग अपने स्थान पर कायम रहा है.
कुछ अज्ञात लोगों ने जो औरंगजेब के धर्म के लोग के मानने वाले हैं. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को कूप बनाकर ढकने के उपरांत एक पोखरी का निर्माण कर वजू का स्थान अवैधानिक तरीके से बना दिया. ज्योतिर्लिंग के साथ छेड़छाड़ करते हुए ज्योतिर्लिंग के ऊपरी भाग में सीमेंटनुमा पदार्थ जमा कर तथा शिवलिंग ड्रिलिंग मशीन से छेद कर फव्वारा का रूप देने का प्रयास किया गया. इसमें प्रार्थी गण व समस्त हिंदू जनमानस की भावनाएं आहत हैं.
इस प्रकार हिंदू भावनाएं भड़का कर दंगा कराने का प्रयास मुस्लिम समुदाय की अज्ञात व्यक्ति द्वारा किया गया है. घटना की सूचना दिनांक 29 दिसंबर 2022 की दी गई. कोई कार्रवाई ना होने पर 3 जनवरी को रजिस्टर्ड डाक से पुलिस कमिश्नर को सूचित किया गया लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. अधिवक्ता देशरत्न श्रीवास्तव व नित्यानंद राय आज अदालत में प्रार्थना पत्र पर वादीगण की तरफ से पोषणीयता पर बहस की. अदालत ने प्रार्थना पत्र के पोषणीयता पर बहस के लिए 16 जनवरी की तिथि तय की थी. इस पर आज बहस पूरी हो गयी और अदालत ने आदेश के लिए पत्रावली सुरक्षित कर ली.