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ज्ञानवापी मामले में पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए अगली सुनवाई 11 फरवरी को

ज्ञानवापी मामले में पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के लिए 11 फरवरी की अगली तारीख दी गई. ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा पाठ करने का अधिकार देने को लेकर साल 1991 में मुकदमा दायर किया गया था.

ज्ञानवापी विवाद.
ज्ञानवापी विवाद.
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Published : Feb 4, 2021, 6:10 PM IST

वाराणसीः ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद मामले में सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक कोर्ट) आशुतोष तिवारी ने अगली सुनवाई के लिए 11 फरवरी की तारीख दी है. वाराणसी सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट) में ज्ञानवापी मामले में पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए प्रार्थना पत्र के निस्तारण के लिए सुनवाई 4 फरवरी की तिथि तय थी. आपको बता दें कि ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा पाठ करने का अधिकार देने को लेकर साल 1991 में मुकदमा दायर किया गया था.

जानकारी देते वाद मित्र.

ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद विवाद मामले में दायर याचिका पर सुनवाई

इस संबंध में बात करते हुए स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि न्यायालय सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट) में गुरुवार को ज्ञानवापी केस में पुरातात्विक सर्वेक्षण का प्रार्थना पत्र जो वादी पक्ष से प्रस्तुत हुआ था. उसकी सुनवाई के लिए 4 फरवरी की तिथि नियत थी, लेकिन पिछली तिथि पर माननीय उच्च न्यायालय से इसकी कार्रवाई स्थगित है या नहीं, इस बिंदु पर दोनों पक्ष अपना-अपना पक्ष रखें.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दायर की है याचिका

इसी बीच स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जो स्वामी जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य हैं. उन्होंने न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया कि इस वाद में उन्हें बतौर वाद पक्षकार बना लिया जाए. जबकि विजय शंकर रस्तोगी इस वाद में स्वयंभू विश्वेश्वर का न्यायालय की तरफ से पूर्व में ही नियुक्त किया गया. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रार्थना पत्र दिया है, जिस पर कोर्ट ने पक्षकारों से आपत्ति आहूत की है.

वहीं गुरुवार को दोनों पक्षों ने आपत्ति दाखिल करने के लिए न्यायालय से समय मांगा. इस पर न्यायालय ने दोनों पक्षों को अवसर प्रदान करते हुए अगली तिथि 11 फरवरी 2021 की तिथि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के प्रार्थना पत्र पर आपत्ति और पुरातात्विक सर्वेक्षण मामले में सुनवाई के लिए नियत की है.

वाराणसीः ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद मामले में सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक कोर्ट) आशुतोष तिवारी ने अगली सुनवाई के लिए 11 फरवरी की तारीख दी है. वाराणसी सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट) में ज्ञानवापी मामले में पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए प्रार्थना पत्र के निस्तारण के लिए सुनवाई 4 फरवरी की तिथि तय थी. आपको बता दें कि ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा पाठ करने का अधिकार देने को लेकर साल 1991 में मुकदमा दायर किया गया था.

जानकारी देते वाद मित्र.

ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद विवाद मामले में दायर याचिका पर सुनवाई

इस संबंध में बात करते हुए स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि न्यायालय सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट) में गुरुवार को ज्ञानवापी केस में पुरातात्विक सर्वेक्षण का प्रार्थना पत्र जो वादी पक्ष से प्रस्तुत हुआ था. उसकी सुनवाई के लिए 4 फरवरी की तिथि नियत थी, लेकिन पिछली तिथि पर माननीय उच्च न्यायालय से इसकी कार्रवाई स्थगित है या नहीं, इस बिंदु पर दोनों पक्ष अपना-अपना पक्ष रखें.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दायर की है याचिका

इसी बीच स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जो स्वामी जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य हैं. उन्होंने न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया कि इस वाद में उन्हें बतौर वाद पक्षकार बना लिया जाए. जबकि विजय शंकर रस्तोगी इस वाद में स्वयंभू विश्वेश्वर का न्यायालय की तरफ से पूर्व में ही नियुक्त किया गया. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रार्थना पत्र दिया है, जिस पर कोर्ट ने पक्षकारों से आपत्ति आहूत की है.

वहीं गुरुवार को दोनों पक्षों ने आपत्ति दाखिल करने के लिए न्यायालय से समय मांगा. इस पर न्यायालय ने दोनों पक्षों को अवसर प्रदान करते हुए अगली तिथि 11 फरवरी 2021 की तिथि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के प्रार्थना पत्र पर आपत्ति और पुरातात्विक सर्वेक्षण मामले में सुनवाई के लिए नियत की है.

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