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राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की हुई शुरुआत, कहीं भी-कभी भी बिजली का उत्पादन संभव

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Published : Mar 13, 2021, 8:00 PM IST

देश में हरित उर्जा संसाधनों से हाइड्रोजन के उत्पादन को बढ़ावा देने और प्रौद्योगिकियों के साथ संयोजन करके भारत को दुनिया में एक अद्वितीय स्थान पर स्थापित करने के लिए, भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी परियोजना राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन (एनएचएम) शुरू करने की घोषणा की है.

राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की शुरूआत
राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की शुरूआत

वाराणसी: देश में हरित उर्जा संसाधनों से हाइड्रोजन के उत्पादन को बढ़ावा देने और प्रौद्योगिकियों के साथ संयोजन करके भारत को दुनिया में एक अद्वितीय स्थान पर स्थापित करने के लिए भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी परियोजना राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन (एनएचएम) शुरू करने की घोषणा की है. केंद्र सरकार के इस मिशन को साकार करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को चुना है. वाराणसी ने भी इसके लिए अपने कदम बढ़ा दिये हैं. आईआईटी बीएचयू के केमिकल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राजेश कुमार उपाध्याय और उनकी टीम ने मेथनॉल से अल्ट्रा-शुद्ध हाइड्रोजन उत्पादन के लिए मेंबरेन रिफार्मर तकनीक पर आधारित एक प्रोटोटाइप विकसित किया है.

यह भी पढ़ें: राष्ट्रपति पहुंचे वाराणसी एयरपोर्ट, सीएम और राज्यपाल अगवानी के लिए मौजूद

13 लीटर हाइड्रोजन से एक किलोवाॅट विद्युत का उत्पादन

डाॅ राजेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि यह प्रोटोटाइप जीवाश्म ईंधन के उपयोग और कार्बन फुटप्रिंट को काफी कम करेगा. कॉम्पैक्ट इकाई के चलते इसका उपयोग ऑन-साइट या ऑन-डिमांड अल्ट्रा-शुद्ध हाइड्रोजन उत्पादन के लिए किया जा सकता है. इस तकनीक से मात्र 15 एमएल/प्रति मिनट मेथनाॅल से 13 लीटर/प्रति मिनट 99.999 प्रतिशत शुद्ध हाइड्रोजन अलग किया जा सकता है. इसी प्रोटोटाइप ने हाइड्रोजन ईंधन सेल के साथ एकीकृत कर 1 किलोवाॅट बिजली का उत्पादन करने में भी सफलता ले ली है. एक बार स्केल की गई इकाई का उपयोग मोबाइल टावरों को बिजली देने के लिए किया जा सकता है. यह डीजल-आधारित जनरेटर के स्थान पर बेहतर विकल्प बन सकता है. यह भंडारण और परिवहन सुरक्षा खतरों को कम करेगा.

इलेक्ट्रिक वाहन चार्ज करने के लिए हो सकता है उपयोग

विकसित प्रोटोटाइप का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करने के लिए किया जा सकता है. उनकी टीम मोबाइल इलेक्ट्रिक वाहन चार्जर्स के क्षेत्र में काम कर रही है. जहां विकसित प्रोटोटाइप को मोबाइल वैन में स्थापित किया जा सकता है. जिसे बिजली उत्पन्न करने के लिए हाइड्रोजन ईंधन सेल के साथ एकीकृत किया जा सकता है और चार्जिंग के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है. इलेक्ट्रिक वाहन का उपयोगकर्ता कार्यालय या घर पर होने पर चार्जिंग सुविधा का उपयोग करने के लिए ऐप-आधारित मॉड्यूल का उपयोग कर सकता है. इससे न केवल यूजर का समय बचेगा बल्कि चार्जिंग स्टेशनों पर कतार भी कम होगी. उन्होंने बताया कि यह इकाई हाइड्रोजन-आधारित कार के लिए बेहद कारगर साबित हो सकती है. आवश्यक हाइड्रोजन उत्पन्न करने के लिए ऐसी इकाइयों को पेट्रोल पंपों पर स्थापित किया जा सकता है. यह तकनीक ग्रिड पर भार को कम करेगी और हाइड्रोजन के उपयोग को बढ़ावा देगी. एक किलोवाॅट प्रोटोटाइप के डिजाइन की वर्तमान परियोजना भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित है. यह संपूर्ण यूनिट भारत में निर्मित है और मेथनॉल-सुधार और हाइड्रोजन-सेलेक्टिव मेंबरेन के लिए उत्प्रेरक जैसे सभी महत्वपूर्ण घटक संस्थान स्थित केमिकल इंजीनियरिंग लैब में संश्लेषित हैं.

हाइड्रोजन उर्जा के उत्पादन के लिए उत्कृष्टता का केंद्र बनेगा आईआईटी

संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने कहा कि मेंबरेन रिफार्मर तकनीक पर आधारित प्रोटोटाइप यूनिट माननीय प्रधानमंत्री की ‘मेक इन इंडिया’ और ’आत्मनिर्भर भारत’ की पहल को भी बढ़ावा देती है. आईआईटी बीएचयू सरकार के राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है. संस्थान उन अग्रणी संस्थानों में से एक है, जो हाइड्रोजन ऊर्जा के सभी पहलुओं पर काम कर रहा है. परिवहन क्षेत्र में उपयोगी अनुप्रयोगों के लिए हाइड्रोजन ऊर्जा के उत्पादन और उपयोग को समायोजित करने के लिये संस्थान में उत्कृष्टता का केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

हाइड्रोजन क्या है

हाइड्रोजन सबसे हल्का तत्व है और गैसोलीन और डीजल की ऊर्जा सामग्री के लगभग उच्चतम ऊर्जा-से-वजन अनुपात के पास है. यह न केवल जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करता है, बल्कि एक स्वच्छ-कुशल ऊर्जा वाहक के रूप में भी जाना जाता है. एक मोटर वाहन ईंधन के रूप में आंतरिक दहन इंजन में हाइड्रोजन के जलने से NOx का निर्माण होता है और विशेष रूप से हाइड्रोजन के कम घनत्व के कारण बिजली उत्पादन कम हो जाता है. हालांकि अगर ईंधन सेल का उपयोग करके विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है, तो दक्षता 30 प्रतिशत बढ़ जाती है. यह पर्यावरण में ज्यादा Co2 को बढ़ाए बिना बिजली उत्पादन की सुविधा देता है. हालांकि हाइड्रोजन ऊर्जा के व्यवसायीकरण में प्रमुख चुनौती हाइड्रोजन के उत्पादन, पृथक्करण, परिवहन, भंडारण और उपयोग के कुशल तरीके को विकसित करना है. हाइड्रोजन भंडारण और परिवहन एक बड़ा सुरक्षा खतरा है. हाइड्रोजन की ऑन-साइट पीढ़ी इस खतरे को काफी कम कर सकती है.

वाराणसी: देश में हरित उर्जा संसाधनों से हाइड्रोजन के उत्पादन को बढ़ावा देने और प्रौद्योगिकियों के साथ संयोजन करके भारत को दुनिया में एक अद्वितीय स्थान पर स्थापित करने के लिए भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी परियोजना राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन (एनएचएम) शुरू करने की घोषणा की है. केंद्र सरकार के इस मिशन को साकार करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को चुना है. वाराणसी ने भी इसके लिए अपने कदम बढ़ा दिये हैं. आईआईटी बीएचयू के केमिकल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राजेश कुमार उपाध्याय और उनकी टीम ने मेथनॉल से अल्ट्रा-शुद्ध हाइड्रोजन उत्पादन के लिए मेंबरेन रिफार्मर तकनीक पर आधारित एक प्रोटोटाइप विकसित किया है.

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13 लीटर हाइड्रोजन से एक किलोवाॅट विद्युत का उत्पादन

डाॅ राजेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि यह प्रोटोटाइप जीवाश्म ईंधन के उपयोग और कार्बन फुटप्रिंट को काफी कम करेगा. कॉम्पैक्ट इकाई के चलते इसका उपयोग ऑन-साइट या ऑन-डिमांड अल्ट्रा-शुद्ध हाइड्रोजन उत्पादन के लिए किया जा सकता है. इस तकनीक से मात्र 15 एमएल/प्रति मिनट मेथनाॅल से 13 लीटर/प्रति मिनट 99.999 प्रतिशत शुद्ध हाइड्रोजन अलग किया जा सकता है. इसी प्रोटोटाइप ने हाइड्रोजन ईंधन सेल के साथ एकीकृत कर 1 किलोवाॅट बिजली का उत्पादन करने में भी सफलता ले ली है. एक बार स्केल की गई इकाई का उपयोग मोबाइल टावरों को बिजली देने के लिए किया जा सकता है. यह डीजल-आधारित जनरेटर के स्थान पर बेहतर विकल्प बन सकता है. यह भंडारण और परिवहन सुरक्षा खतरों को कम करेगा.

इलेक्ट्रिक वाहन चार्ज करने के लिए हो सकता है उपयोग

विकसित प्रोटोटाइप का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करने के लिए किया जा सकता है. उनकी टीम मोबाइल इलेक्ट्रिक वाहन चार्जर्स के क्षेत्र में काम कर रही है. जहां विकसित प्रोटोटाइप को मोबाइल वैन में स्थापित किया जा सकता है. जिसे बिजली उत्पन्न करने के लिए हाइड्रोजन ईंधन सेल के साथ एकीकृत किया जा सकता है और चार्जिंग के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है. इलेक्ट्रिक वाहन का उपयोगकर्ता कार्यालय या घर पर होने पर चार्जिंग सुविधा का उपयोग करने के लिए ऐप-आधारित मॉड्यूल का उपयोग कर सकता है. इससे न केवल यूजर का समय बचेगा बल्कि चार्जिंग स्टेशनों पर कतार भी कम होगी. उन्होंने बताया कि यह इकाई हाइड्रोजन-आधारित कार के लिए बेहद कारगर साबित हो सकती है. आवश्यक हाइड्रोजन उत्पन्न करने के लिए ऐसी इकाइयों को पेट्रोल पंपों पर स्थापित किया जा सकता है. यह तकनीक ग्रिड पर भार को कम करेगी और हाइड्रोजन के उपयोग को बढ़ावा देगी. एक किलोवाॅट प्रोटोटाइप के डिजाइन की वर्तमान परियोजना भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित है. यह संपूर्ण यूनिट भारत में निर्मित है और मेथनॉल-सुधार और हाइड्रोजन-सेलेक्टिव मेंबरेन के लिए उत्प्रेरक जैसे सभी महत्वपूर्ण घटक संस्थान स्थित केमिकल इंजीनियरिंग लैब में संश्लेषित हैं.

हाइड्रोजन उर्जा के उत्पादन के लिए उत्कृष्टता का केंद्र बनेगा आईआईटी

संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने कहा कि मेंबरेन रिफार्मर तकनीक पर आधारित प्रोटोटाइप यूनिट माननीय प्रधानमंत्री की ‘मेक इन इंडिया’ और ’आत्मनिर्भर भारत’ की पहल को भी बढ़ावा देती है. आईआईटी बीएचयू सरकार के राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है. संस्थान उन अग्रणी संस्थानों में से एक है, जो हाइड्रोजन ऊर्जा के सभी पहलुओं पर काम कर रहा है. परिवहन क्षेत्र में उपयोगी अनुप्रयोगों के लिए हाइड्रोजन ऊर्जा के उत्पादन और उपयोग को समायोजित करने के लिये संस्थान में उत्कृष्टता का केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

हाइड्रोजन क्या है

हाइड्रोजन सबसे हल्का तत्व है और गैसोलीन और डीजल की ऊर्जा सामग्री के लगभग उच्चतम ऊर्जा-से-वजन अनुपात के पास है. यह न केवल जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करता है, बल्कि एक स्वच्छ-कुशल ऊर्जा वाहक के रूप में भी जाना जाता है. एक मोटर वाहन ईंधन के रूप में आंतरिक दहन इंजन में हाइड्रोजन के जलने से NOx का निर्माण होता है और विशेष रूप से हाइड्रोजन के कम घनत्व के कारण बिजली उत्पादन कम हो जाता है. हालांकि अगर ईंधन सेल का उपयोग करके विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है, तो दक्षता 30 प्रतिशत बढ़ जाती है. यह पर्यावरण में ज्यादा Co2 को बढ़ाए बिना बिजली उत्पादन की सुविधा देता है. हालांकि हाइड्रोजन ऊर्जा के व्यवसायीकरण में प्रमुख चुनौती हाइड्रोजन के उत्पादन, पृथक्करण, परिवहन, भंडारण और उपयोग के कुशल तरीके को विकसित करना है. हाइड्रोजन भंडारण और परिवहन एक बड़ा सुरक्षा खतरा है. हाइड्रोजन की ऑन-साइट पीढ़ी इस खतरे को काफी कम कर सकती है.

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