वाराणसी: काशी जिसके कण-कण में शिव का वास है. सावन के पावन महीने में पूरा शहर शिव की भक्ति में डूबा हुआ है. हर शिवालय और हर छोटे-बड़े मंदिरों में विराजमान बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करने लोग दूर-दूर से पहुंच रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच एक ऐसी भी है, जहां एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों शिवलिंग जलाअभिषेक से दूर हैं.
जानें क्या है मामला-
- मामला वाराणसी के लंका थाने का है.
- काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण के दौरान जब मकानों की तोड़फोड़ चल रही थी.
- मंदिर के विस्तारीकरण के दौरान मलबा निकला था.
- मलबे को रोहित नगर स्थित एक कॉलोनी के खाली प्लाट पर नाले किनारे फेंका गया था.
- इस मलबे में सैकड़ों की संख्या में शिवलिंग मौजूद थे.
- जानकारी होने पर साधु संतों के साथ कई पार्टियों के नेता ने यहां पहुंचकर हंगामा शुरू कर दिया.
- पुलिस ने इन सारे शिवलिंगों को सुरक्षित थाने में रखवाने की बात कह कर एक कमरे में रखवा कर ताला लगा दिया.
- इसका मुकदमा आज भी चल रहा है और शिवलिंग किसे सुपुर्द किए जाए यह अब तक तक डिसाइड नहीं हो पाया है.
- महादेव के थाने में कैद होने के बाद साधु-संतों ने इनके पूजा पाठ की जिम्मेदारी उठा ली है.
- शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के तरफ से प्रतिदिन एक पुजारी थाने जाता है.
- थाने जाकर भगवान शिव की पूजा संपन्न करता है.
थाने में 150 से ज्यादा शिवलिंग मौजूद हैं. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के अन्तर्गत लंका थाना क्षेत्र के एक कमरे में ये मूर्ति रखी गई है. सावन का महीना है, इसलिए हम थाने में जाकर इसकी पूजा करते हैं. भले ही थाने में वह रखे गए हों, लेकिन हमारी आस्था और धर्म का विषय है. जिसके लिए हम जब तक या थाने में रहेंगे तब तक और वहां से हटाए जाने के बाद जहां भी जाएंगे वहां भी हम इनकी पूजा करवाते रहेंगे.
- स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, शिष्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद