वाराणसी: भगवान शिव की नगरी काशी रविवार को जनकपुरी की तरह सजाई गई. यदि आपको थोड़ा सुनकर अजीब लग रहा है तो ये बात सही है. दरअसल, परंपरा के मुताबिक शोभायात्रा का आयोजन कर, भगवान राम तीनों भाइयों के साथ रथ पर सवार होकर, बैंड बाजा और बारात लेकर सीता को ब्याहने के लिए निकले. बैंड बाजा बारात और जय श्रीराम के नारे लगाते हुए भक्तगण नाचते गाते हुए शोभा यात्रा में चल रहे थे. इसके अलावा काशी के अन्य राम मंदिरों में भी राम विवाह का आयोजन किया गया.
400 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन
कश्मीरी गंज स्थित राम मंदिर में 400 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन किया गया. गणेश पूजन के साथ जनक नंदिनी के विवाह की तैयारियां पूरी कर ली गईं. गंगा पूजा मटकोर के साथ तीन दिवसीय राम विवाह के कार्यक्रम में आज पंचमी महोत्सव के दिन भगवान का विवाह रात मां जानकी से हुआ.
मंदिर के बीच आंगन में मंडप बनाया गया. भक्ति के वातावरण में संत महात्मा बटुक तथा काशीवासियों ने शिक्षा लिया. वहीं इस मंगल बेला पर महिलाओं ने विवाह के लोकगीत गाए. बारात जैसे ही मंदिर के द्वार पहुंची, तभी सभी महिलाओं ने परछन किया. इस दौरान हर-हर महादेव के साथ जय श्री राम के उद्घोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया.
पुजारी वैष्णव दास ने 400 वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वाहन किया गया. राम विवाह की खुसियां पूरी काशी में मनाई जा रही हैं. इस विवाह में क्षेत्रीय भक्त बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. एक साधारण मनुष्य के विवाह की भांति भगवान राम की शादी में भी रश्में निभाई जाती हैं.