वाराणसी: उत्तर प्रदेश में गठबंधन के साथ अलग-अलग राजनीतिक दल पूर्वांचल की सीटों को जीतने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं. शायद यही वजह है कि अंतिम चरण में होने वाले चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए वाराणसी जैसी महत्वपूर्णं जगह से अब तक किसी बड़े राजनीतिक दल ने पूरी तरह से अपने पत्ते नहीं खोले हैं. सिर्फ कांग्रेस ने 2 सीटों के उम्मीदवारों की घोषणा की और आम आदमी पार्टी ने भी कुछ सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन अभी वाराणसी की रोहनिया समेत कई विधानसभा सीट प्रत्याशियों के इंतजार में हैं.
इस बार इस सीट पर लड़ाई कुछ अलग होने की उम्मीद जताई जा रही है, क्योंकि पटेल बाहुल्य इलाके की सीट अपना दल के पास रह चुकी है. लेकिन उस वक्त अपना दल एक हुआ करता था. अब अपना दल एस और अपना दल कमेरावादी दो हिस्सों में बट गया है. इस बार यह माना जा रहा है कि रोहनिया विधानसभा की सीट से एक तरफ जहां अपना दल (क) की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल चुनाव के मैदान में होंगी तो दूसरी तरफ बीजेपी इस चुनाव को और दिलचस्प बनाने के लिए अपना दल (एस) को यह सीट दे सकती है. शायद यही वजह है कि आज मीडिया के सवालों पर कृष्णा पटेल भड़क गईं.
संविधान की रक्षा के लिए अखिलेश को बनाना है सीएम
वाराणसी पहुंची कृष्णा पटेल ने इस बार चुनावी रणनीति के तहत जातिगत जनगणना और संविधान की रक्षा के लिए चुनाव लड़ने की बात कही. उनका कहना था कि हम सभी यह चाहते हैं कि पहले देश का संविधान केंद्र में बचे और प्रदेश में बैठी वर्तमान सरकार संविधान के साथ खिलवाड़ कर रही है. यही वजह है कि हम सभी एक साथ मिलकर अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाना चाह रहे हैं, ताकि संविधान की रक्षा की जा सके.
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बीजेपी करती है साजिश
जब उनसे रोहनिया विधानसभा सीट पर कृष्णा पटेल के खिलाफ उनकी बेटी की पार्टी के ही प्रत्याशी के चुनाव लड़ने की बात पूछी गई तो उनका कहना था कि चुनाव लड़ने का अधिकार सभी को है. जो चाहे वह चुनाव लड़ सकता है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी हमेशा से ही साजिश रचती है और उनके परिवार को नुकसान पहुंचाना चाहती है. जहां से भी चुनाव लड़ने की तैयारी की जाती है, वहां कुछ न कुछ गलत किया जाता है.
राजवाड़े परिवार पर नहीं उठता सवाल
कृष्णा पटेल का कहना था कि आप लोग भी सिर्फ मेरे परिवार के बारे में ही बात करते हैं, जो रजवाड़े परिवार हैं. उनके बारे में कभी कोई बात नहीं करता हैं. जब एक जगह से मेनका गांधी और सोनिया गांधी चुनाव लड़ती हैं तो सवाल नहीं उठाए जाते और जब मेरे परिवार के लोग चुनाव लड़ने की बात करते हैं तो सवाल उठाए जाते हैं.