वाराणसी: देश की प्रथम महिला वीरांगना और काशी की बेटी महारानी लक्ष्मीबाई का 161वां बलिदान दिवस आज है. उन्होंने आजादी की जंग लड़ी और युद्ध भूमि में साहस के साथ शत्रुओं से लोहा लेकर उन्हें परास्त भी किया. वाराणसी के भजन स्थित उनकी जन्मस्थली पर लोगों ने उन्हें याद किया. समाज के सभी वर्ग के लोग एकजुट होकर वीरांगना लक्ष्मीबाई स्मारक पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन किया.
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी:
- इतिहासकारों के अनुसार रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर,1835 ई. में काशी के भदैनी क्षेत्र में हुआ था.
- इनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे था और वो एक महाराष्ट्रियन ब्राह्मण थे.
- इनके बचपन का नाम मनिकर्णिका था पर प्यार से मनु कहा जाता था.
- इनका विवाह सन 1842 में झांसी के राजा गंगाधर राव निवालकर के साथ हुआ.
- सन 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया पर चार महीने की आयु में ही उसकी मृत्यु हो गयी.
- विवाह के बाद इनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया.
- सैकड़ों की संख्या में वेद पाठी बटुकों ने दीप जलाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया.
रानी लक्ष्मी बाई के बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर वेदपाठी बटुकों ने मंत्रोच्चार के बीच दीपों को जलाया और उनके बलिदान को याद किया गया. हम चाहते हैं कि देश के प्रधानमंत्री और वाराणसी के सांसद एक बार इस जन्मस्थली पर आए और यहां पर एक बड़ा संग्रहालय बनाया जाए.
-रमेश मिश्रा,जागृति फाउंडेशन के महासचिव