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वाराणसी: काशी ने लक्ष्मीबाई के जन्मस्थली को बलिदान दिवस पर किया नमन

सोमवार को काशी में भदैनी स्थित लक्ष्मीबाई की प्रतिमा के समक्ष काशी वासियों ने न सिर्फ श्रद्धासुमन अर्पित किए बल्कि देश की आजादी की अलख जगाने वाली काशी की वीर मनु को भी नमन किया.

मंत्रोच्चार करते वेदपाठी बटुक
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Published : Jun 18, 2019, 12:55 PM IST

वाराणसी: देश की प्रथम महिला वीरांगना और काशी की बेटी महारानी लक्ष्मीबाई का 161वां बलिदान दिवस आज है. उन्होंने आजादी की जंग लड़ी और युद्ध भूमि में साहस के साथ शत्रुओं से लोहा लेकर उन्हें परास्त भी किया. वाराणसी के भजन स्थित उनकी जन्मस्थली पर लोगों ने उन्हें याद किया. समाज के सभी वर्ग के लोग एकजुट होकर वीरांगना लक्ष्मीबाई स्मारक पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन किया.

दीप जलाकर किया याद

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी:

  • इतिहासकारों के अनुसार रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर,1835 ई. में काशी के भदैनी क्षेत्र में हुआ था.
  • इनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे था और वो एक महाराष्ट्रियन ब्राह्मण थे.
  • इनके बचपन का नाम मनिकर्णिका था पर प्यार से मनु कहा जाता था.
  • इनका विवाह सन 1842 में झांसी के राजा गंगाधर राव निवालकर के साथ हुआ.
  • सन 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया पर चार महीने की आयु में ही उसकी मृत्यु हो गयी.
  • विवाह के बाद इनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया.
  • सैकड़ों की संख्या में वेद पाठी बटुकों ने दीप जलाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया.

रानी लक्ष्मी बाई के बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर वेदपाठी बटुकों ने मंत्रोच्चार के बीच दीपों को जलाया और उनके बलिदान को याद किया गया. हम चाहते हैं कि देश के प्रधानमंत्री और वाराणसी के सांसद एक बार इस जन्मस्थली पर आए और यहां पर एक बड़ा संग्रहालय बनाया जाए.
-रमेश मिश्रा,जागृति फाउंडेशन के महासचिव

वाराणसी: देश की प्रथम महिला वीरांगना और काशी की बेटी महारानी लक्ष्मीबाई का 161वां बलिदान दिवस आज है. उन्होंने आजादी की जंग लड़ी और युद्ध भूमि में साहस के साथ शत्रुओं से लोहा लेकर उन्हें परास्त भी किया. वाराणसी के भजन स्थित उनकी जन्मस्थली पर लोगों ने उन्हें याद किया. समाज के सभी वर्ग के लोग एकजुट होकर वीरांगना लक्ष्मीबाई स्मारक पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन किया.

दीप जलाकर किया याद

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी:

  • इतिहासकारों के अनुसार रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर,1835 ई. में काशी के भदैनी क्षेत्र में हुआ था.
  • इनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे था और वो एक महाराष्ट्रियन ब्राह्मण थे.
  • इनके बचपन का नाम मनिकर्णिका था पर प्यार से मनु कहा जाता था.
  • इनका विवाह सन 1842 में झांसी के राजा गंगाधर राव निवालकर के साथ हुआ.
  • सन 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया पर चार महीने की आयु में ही उसकी मृत्यु हो गयी.
  • विवाह के बाद इनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया.
  • सैकड़ों की संख्या में वेद पाठी बटुकों ने दीप जलाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया.

रानी लक्ष्मी बाई के बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर वेदपाठी बटुकों ने मंत्रोच्चार के बीच दीपों को जलाया और उनके बलिदान को याद किया गया. हम चाहते हैं कि देश के प्रधानमंत्री और वाराणसी के सांसद एक बार इस जन्मस्थली पर आए और यहां पर एक बड़ा संग्रहालय बनाया जाए.
-रमेश मिश्रा,जागृति फाउंडेशन के महासचिव

Intro:अपडेट कापी


देश की प्रथम महिला वीरांगना व काशी की बेटी महारानी लक्ष्मीबाई का 161 वी बलिदान दिवस है पूर्व संध्या पर वाराणसी के भजन स्थित उनकी जन्मस्थली पर लोगों ने आज उन्हें याद किया समाज के सभी वर्ग के लोग एकजुट होकर पहले वीरांगना लक्ष्मीबाई स्मारक पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन किया।

वही वेदपाठी बटुकों ने सस्वर मंत्रोउच्चार के साथ दीपप्रज्वलन किया और रानी लक्ष्मीबाई को याद कर देश के प्रति उनकी बलिदान याद किया.


Body:बुंदेलो हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।

सैकड़ों की संख्या में वेद पाठी बटुकों के साथ शिवसेना और जागृति फाउंडेशन ने दीप जलाकर देश की वीरांगना को याद कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया पीएम मोदी को एक बार इस स्थान पर आने का आग्रह किया।


Conclusion:जागृति फाउंडेशन के महासचिव रमेश मिश्रा ने बताया आज हम लोग वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई के बलिदान दिवस पूर्व संध्या पर वेदपाठी बटु कोने मंत्रोच्चार के बीच दीपों को जलाया के प्रति उनके बलिदान को याद किया गया। हम चाहते हैं कि देश के प्रधानमंत्री और वाराणसी के सांसद एक बार इस जन्मस्थली पर आए और यहां पर एक बड़ा संग्रहालय बनाया जाए।

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