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लोलार्क छठ पर उमड़े श्रद्धालु, संतान कामना के लिए लगाई डुबकी

शिव की नगरी काशी में आज के दिन भगवान सूर्य की आराधना कर निसंतान दंपति वंश वृद्धि की कामना के साथ इस अति प्राचीन कुण्ड में स्नान करते हैं. भदैनी इलाके में स्थित लोलार्क कुंड में अपनी सूनी गोद भरने के लिए और सभी कष्टों से मुक्ति के लिए श्रद्धालु यहां स्नान करते हैं.

संतान कामना के लिए लगाई डुबकी
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Published : Sep 4, 2019, 11:59 AM IST

Updated : Sep 4, 2019, 12:05 PM IST

वाराणसीः संतान की कामना के साथ बुधवार को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर भदैनी के लोलार्क कुण्ड पर आस्थावानों का रेला उमड़ा. देश के कोने-कोने से आये लाखों श्रद्धालुओं ने शहर के भदैनी क्षेत्र स्थित पौराणिक लोलार्क कुंड में आस्था की डुबकी लगाई. ऐसी मान्यता है कि कुंड में स्नान करने और लोलार्केश्वर महादेव की पूजा करने से संतान की प्राप्ति और तमाम रोगों से मुक्ति मिलती है.

संतान कामना के लिए लगाई डुबकी.

इसे भी पढ़ें- इस कुंड में स्नान मात्र से पूरी होता है संतान कामना की इच्छा, लोलार्क छठ कल

वंश वृद्धि की चाह

मंदिर के पुजारी विजय मिश्र बताते हैं कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन यहां पर श्रद्धालु संतान और वंश वृद्धि की चाह लेकर आते हैं. कुंड में स्नान के बाद कोई एक फल या सब्जी का आजीवन त्याग करता है. इसके पीछे मान्यता है कि अपने पुराने कपड़ों के साथ ही वे अपने शारीरिक कष्टों को भी यहीं छोड़ जाते हैं.

पश्चिम बंगाल के राजा ने कराया इस कुंड का निर्माण
मान्यता है कि पश्चिम बंगाल स्थित बिहार ट्रस्ट के एक राजा चर्म रोग से पीड़ित थे और निसंतान थे. यहां स्नान करने से न केवल उनका चर्म रोग ठीक हुआ, बल्कि उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. उन्होंने इस कुंड का निर्माण कराया था. इस कुंड को सूर्य कुंड के नाम से भी जाना जाता है.

सुरक्षा के चाक-चौबंध इंतजाम
भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन की ओर से बैरिकेडिंग और सुरक्षा के अन्य इंतजाम के साथ निगरानी के लिए मजिस्ट्रेट तैनात किये गए हैं. सैकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मी जगह-जगह तैनात हैं. साथ ही पेयजल, बिजली सहित अन्य सुविधाओं की भी व्यवस्था की गई है. मध्य रात्रि 12 बजे से ही लोग कुंड में लगातार स्नान कर रहे हैं और देर रात 12 बजे तक स्थान करेंगे.

संकल्प लेकर पति-पत्नी करते हैं स्नान
श्रद्धालु सुमन पांडेय ने बताया कि जिस भी दंपति को संतान प्राप्ति नहीं होती, वह संकल्प लेकर एक साथ कुंड में स्नान करते हैं. कोई एक फल जल में भगवान सूर्य को अर्पण करता है. मनोकामना पूर्ण होने के बाद वह कुंड में पुन: स्नान कर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं.

वाराणसीः संतान की कामना के साथ बुधवार को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर भदैनी के लोलार्क कुण्ड पर आस्थावानों का रेला उमड़ा. देश के कोने-कोने से आये लाखों श्रद्धालुओं ने शहर के भदैनी क्षेत्र स्थित पौराणिक लोलार्क कुंड में आस्था की डुबकी लगाई. ऐसी मान्यता है कि कुंड में स्नान करने और लोलार्केश्वर महादेव की पूजा करने से संतान की प्राप्ति और तमाम रोगों से मुक्ति मिलती है.

संतान कामना के लिए लगाई डुबकी.

इसे भी पढ़ें- इस कुंड में स्नान मात्र से पूरी होता है संतान कामना की इच्छा, लोलार्क छठ कल

वंश वृद्धि की चाह

मंदिर के पुजारी विजय मिश्र बताते हैं कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन यहां पर श्रद्धालु संतान और वंश वृद्धि की चाह लेकर आते हैं. कुंड में स्नान के बाद कोई एक फल या सब्जी का आजीवन त्याग करता है. इसके पीछे मान्यता है कि अपने पुराने कपड़ों के साथ ही वे अपने शारीरिक कष्टों को भी यहीं छोड़ जाते हैं.

पश्चिम बंगाल के राजा ने कराया इस कुंड का निर्माण
मान्यता है कि पश्चिम बंगाल स्थित बिहार ट्रस्ट के एक राजा चर्म रोग से पीड़ित थे और निसंतान थे. यहां स्नान करने से न केवल उनका चर्म रोग ठीक हुआ, बल्कि उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. उन्होंने इस कुंड का निर्माण कराया था. इस कुंड को सूर्य कुंड के नाम से भी जाना जाता है.

सुरक्षा के चाक-चौबंध इंतजाम
भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन की ओर से बैरिकेडिंग और सुरक्षा के अन्य इंतजाम के साथ निगरानी के लिए मजिस्ट्रेट तैनात किये गए हैं. सैकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मी जगह-जगह तैनात हैं. साथ ही पेयजल, बिजली सहित अन्य सुविधाओं की भी व्यवस्था की गई है. मध्य रात्रि 12 बजे से ही लोग कुंड में लगातार स्नान कर रहे हैं और देर रात 12 बजे तक स्थान करेंगे.

संकल्प लेकर पति-पत्नी करते हैं स्नान
श्रद्धालु सुमन पांडेय ने बताया कि जिस भी दंपति को संतान प्राप्ति नहीं होती, वह संकल्प लेकर एक साथ कुंड में स्नान करते हैं. कोई एक फल जल में भगवान सूर्य को अर्पण करता है. मनोकामना पूर्ण होने के बाद वह कुंड में पुन: स्नान कर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं.

Intro:माताएं अपनी गोद को भरने के लिए भगवान भास्कर का आराधना करती हैं ऐसी ही एक परंपरा शिव की नगरी काशी में भी अति प्राचीन काल से चली आ रही है जिसके तहत शहर के भदैनी इलाके में स्थित लोलार्क कुंड में विवाहित दम्पति अपनी गोद भरने के लिए पति के साथ स्नान करती हैं।

यह है मान्यताएं
पश्चिम बंगाल स्थित बिहार ट्रस्ट के एक राजा चर्म रोग से पीड़ित था और निसंतान थे यहां स्नान करने से ना केवल उनका चर्म रोग ठीक हुआ बल्कि उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। उन्होंने इस कुंड का निर्माण भी कराया था। लोलार्क कुंड को सूर्य कुंड के नाम से भी जाना जाता है। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की षष्टि वाले दिन कुंड में लगे कूप से पानी आता है।सूर्य की रोशनी पानी में पढ़ने से संतान उत्पत्ति का योग बनता है। मान्यता के अनुसार संतान के लिए स्नान करने वाले दंपत्ति की मनोकामना पूर्ण होती है।स्नान के बाद दंपत्ति कुंड पर ही कपड़े और अन्य वस्तुए यहीं पर छोड़ देते हैं।कुंड में कोई न कोई एक फल भी छोड़ा जाता है सूर्य उपासना के लिए इस महापर्व पर दंपत्ति भी आते हैं जिनकी मनोकामना पूरी हो जाती है वह अपनी संतान के साथ भी यहां आते हैं और मुंडन कराकर स्नान कराते हैं।


Body:बनारस के प्रमुख पर्व में से एक है स्नान को देखते हुए प्रशासन की ओर से बैरिकेडिंग और सुरक्षा के अन्य इंतजाम के साथ निगरानी के लिए मजिस्ट्रेट तैनात कर दिए गए सैकड़ों की हमें पुलिसकर्मी भी जगह-जगह तैनात हैं साथ ही पेयजल बिजली सहित अन्य सुविधाओं को भी दुरुस्त किया गया हम आपको बताते मध्य रात्रि 12:00 बजे से ही लोग कुंड में लगातार स्नान कर रहे हैं और देर रात 12:00 बजे तक के स्थान करेंगे।


Conclusion:श्रद्धालु सुमन पांडे ने बताया कि यह बहुत ही प्राचीन कुंड है आदि समय से लोग यहां स्नान करने के लिए आते हैं जिस भी दंपत्ति को संतान प्राप्ति नहीं होती वह संकल्प लेकर पति पत्नी एक साथ कुंड में स्नान करते हैं और कोई एक फल जल में भगवान सूर्य को अर्पण करते हैं तो उनकी मनोकामना पूर्ण होती है उस पल को कभी भी ग्रहण नहीं करना चाहिए उसके बाद भगवान सूर्य शिव के रूप में विराजमान हैं उनका दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामना मानते हैं मनोकामना पूर्ण होने के बाद भी लोग यहां आते हैं पुत्र को भी साथ लाते हैं और उसे कुंड में स्नान कराकर मिठाइयां बटवा ते हैं।

बाईट:-- सुमन पांडेय, श्रद्धालु

मंदिर के पुजारी ने बताया यह अति प्राचीन कुंड है जिस भी दंपत्ति को संतान की प्राप्ति नहीं होती है वह यहां स्नान करते हैं और भगवान भास्कर से संकल्प कर प्रार्थना करते हैं तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है साथ ही जिसे चर्म रोग होता है वह भी यहां स्नान करता है तो उसे चर्म रोग से मुक्ति मिलती है लाखों की संख्या में दंपत्ति यहां श्रद्धा की डुबकी लगाते हैं और भगवान का आशीर्वाद लेते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होने के बाद भी लोग यहां आते हैं और बच्चों का मुंडन संस्कार कराते हैं।

बाईट:-- विजय मिश्र,पंडित

अशुतोष पांडेय

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Last Updated : Sep 4, 2019, 12:05 PM IST
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