वाराणसी: पति की लंबी उम्र और मनचाहा वर पाने के उद्देश्य से सुहागिन महिलाएं और कन्याएं हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं. काशी में इस पर्व का विशेष महत्व माना जाता है. क्योंकि यहां पर मंगला गौरी के स्वरूप में माता पार्वती विराजित हैं. मां मंगला गौरी का दर्शन-पूजन करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और मनचाहा वर भी मिलता है. यही वजह है कि सोमवार को तीज के मौके पर बड़ी संख्या में सुहागिन महिलाओं के साथ ही कुंवारी कन्याएं भी इस मंदिर में पहुंचकर अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए पूजा-अर्चना में जुटी हैं.
आज मनाई जा रही है हरतालिका तीज-
शिव की नगरी काशी में महिलाओं ने पति के दीर्घायु के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखा है. मान्यताओं के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए इस व्रत को रखा था. बताया जाता है कि जब माता पार्वती को जानकारी हुई कि उनके पिता उनका विवाह भगवान विष्णु के साथ करवाना चाह रहे हैं तो वह व्यथित हो गईं. इसके बाद उनकी सहेलियों ने उनका हरण कर लिया और काफी खोजबीन के बाद जब वह अपने पिता को मिलीं तब उन्होंने उनका विवाह शिव के साथ करने को कहा. क्योंकि जब उनकी सहेलियों ने उनका हरण किया, उस दौरान वह एक गुफा में भगवान शिव की आराधना में ही लीन थीं. इस वजह से इस पर्व को हरतालिका तीज के नाम से जाना जाता है.
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तीज पर मंगला गौरी मंदिर में उमड़ी महिलाओं की भीड़-
यही वजह है कि सोमवार को हरतालिका तीज के मौके पर काशी के इस मंगला गौरी मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए महिलाओं की लंबी कतार लगी है. लगभग दो किलोमीटर लंबी कतार में महिलाएं निर्जल व्रत होने के बाद भी भीषण गर्मी में खड़ी होकर मां की एक झलक पाने का इंतजार कर रही हैं. महिलाओं का कहना है कि यह व्रत हमारे लिए बहुत महत्व रखता है. अपने सुहाग की रक्षा के लिए हम इस व्रत को करते हैं और हर जन्म में अपने पति को फिर से पाने के लिए मां से मनोकामना करते हैं.