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आधुनिक 'भगीरथ' की अनोखी पहल ! गंगा के उद्गम स्थल से गंगासागर तक निकाला जागरूक यात्रा

गंगा के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए गौमुख से लेकर गंगा सागर तक एक युवक गंगा को साफ निर्मल रखने के लिए अभियान चला रहा है. इसके तहत युवक गंगा के किनारे बसे गांवों में जाकर छोटी-छोटी सभाकर लोगों को जागरूक करने का काम कर रहा है.

गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने को लेकर गोमुख से गंगासागर तक अतुल कुमार ने निकाली पैदल यात्रा
गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने को लेकर गोमुख से गंगासागर तक अतुल कुमार ने निकाली पैदल यात्रा
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Published : Jan 17, 2022, 7:59 PM IST

वाराणसी : गंगा के उद्गम स्थल गंगोत्री से पश्चिम बंगाल के गंगासागर तक, अतुल कुमार चौकसे द्वारा एक अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत अतुल गंगा किनारे बसे गांव में जाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ, गंगा को निर्मल अविरल करने के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं. अतुल कुमार चौकसे पेशे से कंप्यूटर टीचर एवं एथलीट खिलाडी हैं. वह महाराष्ट्र के निवासी हैं. गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए वो अभियान पर निकल पड़े हैं.

अतुल कुमार चौकसे ने बताया की वो अपनी एक ट्रॉली में सामान रखकर चलते हैं. जिसका वजन करीब डेढ़ कुन्तल हो जाता है. इसमें टेन्ट, कपड़ा, खाद्य सामग्री इत्यादि रहता है. उनको जहां भी स्थान मिलता है, वहीं पर टेंट लगाकर आराम कर लेते हैं. इसके बाद अगले दिन सफर पर निकल पड़ते हैं.

गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने को लेकर गोमुख से गंगासागर तक अतुल कुमार ने निकाली पैदल यात्रा

अतुल कुमार चौकसे ने बताया कि वे 6 नवंबर से गंगोत्री ग्लेशियर गौमुख से अपनी यात्रा शुरू किया हूं. वहां से हम गंगा जी के साथ-साथ आ रहे हैं. सबसे पहले हमने उत्तराखण्ड प्रदेश को पार किया. इसके बाद हम उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे से होते हुए गांवों को पार कर रहे हैं. इस समय हम बनारस में 1730 किलोमीटर की पदयात्रा करके पहुंचे हैं. हमारे पास जो टॉली है, उसमें 150 किलो भार रहता है. जो मेरा चलता फिरता घर है. चौकसे ने आगे बताया कि हम यहां से गाजीपुर होते हुए बिहार को पार करते हुए झारखंड के बाद वेस्ट बंगाल, जहां हमारी राष्ट्रीय नदी गंगा सागर में मिलती है वहां हमारी यात्रा समाप्त होगी.

अतुल कुमार चौकसे ने बताया हमारी 30-35 किलोमीटर प्रति दिन की यात्रा आमतौर पर होती है. कभी टारगेट को अचीव करने की कोशिश करने का प्रयास करता हूं, तो उस समय 50-55 के आसपास रहती है. चौकसे ने बताया कि सरकार की तरफ से जो योजना गंगा को साफ करने के लिए चलाई जा रही है, उससे गंगा थोड़ा साफ दिख रही है. उसे पूरी तरफ से साफ नहीं बोला जा सकता है. वहीं, प्रदूषण की बात करें तो, जो महानगर हैं जैसे- कानपुर, प्रयागराज एवं वाराणसी वहां पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. वहां पर इंडस्ट्रियल एरिया होती है, उसका भी जल गंगा जी में जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- अखिलेश यादव ने लिया अन्न संकल्प, कहा- भाजपा को हराएंगे और हटाएंगे

चौकसे ने बताया कि जो यात्रा की जा रही है उसका दो उद्देश्य है. गंगा हमारी राष्ट्रीय नदी है, वो प्रदूषण मुक्त हो. इसके तहत लोगों को जागरूक करने के लिए हम गंगा किनारे बसे छोटे-छोटे गांवों में जाकर लोगों को जाकरूक करने का काम करते हैं. इसके तहत नवयुवकों को जागरूक करने का काम करते हैं. युवको को बताते हैं कि गंगा जी को मां समझों व उनकी रक्षा करिए. इसके साथ मेरा एक अतुलनीय फाउंडेशन संस्था है. आज हम देख रहे हैं, 10 में से चार व्यक्ति अवसाद या निराशा में जीवन जी रहा है. कई व्यक्ति नशा करने लगते हैं या आत्महत्या कर लेते हैं. इसके तहत लोगों को मैसेज देने का काम किया जा रहा है. दुनिया में आप बहुत महत्वपूर्ण हो. आप अपनी एवं गंगा मां की रक्षा करो.


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वाराणसी : गंगा के उद्गम स्थल गंगोत्री से पश्चिम बंगाल के गंगासागर तक, अतुल कुमार चौकसे द्वारा एक अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत अतुल गंगा किनारे बसे गांव में जाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ, गंगा को निर्मल अविरल करने के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं. अतुल कुमार चौकसे पेशे से कंप्यूटर टीचर एवं एथलीट खिलाडी हैं. वह महाराष्ट्र के निवासी हैं. गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए वो अभियान पर निकल पड़े हैं.

अतुल कुमार चौकसे ने बताया की वो अपनी एक ट्रॉली में सामान रखकर चलते हैं. जिसका वजन करीब डेढ़ कुन्तल हो जाता है. इसमें टेन्ट, कपड़ा, खाद्य सामग्री इत्यादि रहता है. उनको जहां भी स्थान मिलता है, वहीं पर टेंट लगाकर आराम कर लेते हैं. इसके बाद अगले दिन सफर पर निकल पड़ते हैं.

गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने को लेकर गोमुख से गंगासागर तक अतुल कुमार ने निकाली पैदल यात्रा

अतुल कुमार चौकसे ने बताया कि वे 6 नवंबर से गंगोत्री ग्लेशियर गौमुख से अपनी यात्रा शुरू किया हूं. वहां से हम गंगा जी के साथ-साथ आ रहे हैं. सबसे पहले हमने उत्तराखण्ड प्रदेश को पार किया. इसके बाद हम उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे से होते हुए गांवों को पार कर रहे हैं. इस समय हम बनारस में 1730 किलोमीटर की पदयात्रा करके पहुंचे हैं. हमारे पास जो टॉली है, उसमें 150 किलो भार रहता है. जो मेरा चलता फिरता घर है. चौकसे ने आगे बताया कि हम यहां से गाजीपुर होते हुए बिहार को पार करते हुए झारखंड के बाद वेस्ट बंगाल, जहां हमारी राष्ट्रीय नदी गंगा सागर में मिलती है वहां हमारी यात्रा समाप्त होगी.

अतुल कुमार चौकसे ने बताया हमारी 30-35 किलोमीटर प्रति दिन की यात्रा आमतौर पर होती है. कभी टारगेट को अचीव करने की कोशिश करने का प्रयास करता हूं, तो उस समय 50-55 के आसपास रहती है. चौकसे ने बताया कि सरकार की तरफ से जो योजना गंगा को साफ करने के लिए चलाई जा रही है, उससे गंगा थोड़ा साफ दिख रही है. उसे पूरी तरफ से साफ नहीं बोला जा सकता है. वहीं, प्रदूषण की बात करें तो, जो महानगर हैं जैसे- कानपुर, प्रयागराज एवं वाराणसी वहां पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. वहां पर इंडस्ट्रियल एरिया होती है, उसका भी जल गंगा जी में जा रहा है.

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चौकसे ने बताया कि जो यात्रा की जा रही है उसका दो उद्देश्य है. गंगा हमारी राष्ट्रीय नदी है, वो प्रदूषण मुक्त हो. इसके तहत लोगों को जागरूक करने के लिए हम गंगा किनारे बसे छोटे-छोटे गांवों में जाकर लोगों को जाकरूक करने का काम करते हैं. इसके तहत नवयुवकों को जागरूक करने का काम करते हैं. युवको को बताते हैं कि गंगा जी को मां समझों व उनकी रक्षा करिए. इसके साथ मेरा एक अतुलनीय फाउंडेशन संस्था है. आज हम देख रहे हैं, 10 में से चार व्यक्ति अवसाद या निराशा में जीवन जी रहा है. कई व्यक्ति नशा करने लगते हैं या आत्महत्या कर लेते हैं. इसके तहत लोगों को मैसेज देने का काम किया जा रहा है. दुनिया में आप बहुत महत्वपूर्ण हो. आप अपनी एवं गंगा मां की रक्षा करो.


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