वाराणसी: श्री काशी विश्वनाथ धाम में भक्तों की भीड़ बढ़ रही है, लेकिन भक्तों से मनमाने तरीके से सुविधाओं के नाम पर पैसे भी अलग-अलग तरीके से लिए जा रहे हैं. हाल ही में विश्वनाथ मंदिर प्रशासन की तरफ से 1 जनवरी से कुछ विशिष्टजनों की सूची के अतिरिक्त किसी अन्य के वीआईपी दर्शन करने की निशुल्क सुविधा को खत्मकर दर्शन करने के लिए 300 रुपये का टिकट अनिवार्य कर दिया गया है.
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी इस मामले में ट्वीट करके सरकार पर निशाना साधा था. इन सबके बीच अब एक नया मामला भी सामने आया है. इस बार भक्तों से बाबा विश्वनाथ की उस चढ़ी हुई बेलपत्र के नाम पर पैसे लिए जा रहे हैं, जो हमेशा से ही भक्तों को निशुल्क दी जाती रही. विश्वनाथ मंदिर प्रशासन के हर काउंटर से बाबा विश्वनाथ की चढ़ी हुई बेलपत्र के लिए 5 रुपये लिए जा रहे हैं.
जब ईटीवी भारत को इस मामले की जानकारी हुई और हमने काउंटर से खुद टिकट खरीद कर अपने नाम से इसका बिल कटवाया तब प्रशासन तक मामला पहुंचता. प्रशासन तक मामला पहुंचते ही चंद घंटे में इस बिक्री को ही बंद कर दिया गया और जहां-जहां 5 रुपये बेलपत्र उपलब्ध के पोस्टर और होर्डिंग लगे थे, उन पर भी सफेद कागज चस्पा करके सारी व्यवस्था को ही छुपाने की कोशिश शुरू हो गई.
दरअसल, विश्वनाथ मंदिर में सुविधाओं को बढ़ाने के नाम पर काउंटर से कई चीजों की बिक्री की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा रही है. इस सुविधा का भक्त लाभ भी उठा रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसी सुविधाएं हैं जो भक्तों को हमेशा से ही निशुल्क मिलती थी. इनमें बाबा भोलेनाथ के चढ़े हुए माला फूल के साथ ही भोलेनाथ की बेलपत्र निशुल्क मिलती रही, लेकिन अचानक से विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने नए साल पर बाबा विश्वनाथ के कैलेंडर, डायरी और एक चढ़ी हुई बेलपत्र की बिक्री के पोस्टर होर्डिग और कट आउट बनवाकर पूरे मंदिर परिसर में लगवा डाले.
मंदिर प्रशासन की तरफ से हर काउंटर पर इन सारी चीजों की बिक्री भी शुरू हुई. इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो, ईटीवी भारत ने इस मामले की हकीकत जानने के लिए खुद काउंटर पर पहुंचकर सोमवार की दोपहर 5 रुपये में एक बेलपत्र खरीदा. बाकायदा इसकी रसीद भी रिपोर्टर के नाम से ही कटी. सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात यह है कि इन सारी चीजों की जानकारी होने के बाद जब इसकी पड़ताल पूरी करके हमने मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. सुनील वर्मा को मैसेज किया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.
वहीं, इस पूरे मामले पर हमने विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र पांडे से सीधे बात की, क्योंकि पूरे परिसर में जो भी पोस्टर होर्डिग लगे थे, वह श्रीकाशी विश्वनाथ न्यास के नाम से लगे थे. न्यास के अध्यक्ष से हमने सीधे सवाल पूछा कि बेलपत्र की बिक्री क्यों हो रही है तो उन्होंने कहा मुझे इस संदर्भ में कोई भी जानकारी या सूचना नहीं है. यह कार्य करने से पहले मुझसे कोई भी राय मशवरा नहीं लिया गया.
उन्होंने यह भी कहा कि यह सीधे तौर पर मनमानी कहा जा सकता है और मैं इस पर अधिकारियों से बात करके इस फैसले को वापस लेने के लिए कहूंगा. उन्होंने यह भी कहा कि बाबा विश्वनाथ का चढ़ा हुआ फूल माला या बेलपत्र भक्तों को निशुल्क दिया जाना चाहिए. यह न्यास के नियम में भी शामिल है. हमेशा से ही भक्तों द्वारा चढ़ा हुआ यह बेलपत्र उन्हें ही निशुल्क दिया जाता रहा है.
सबसे बड़ी बात यह है कि जब हमने न्यास के अध्यक्ष से बातचीत की और हम दोबारा विश्वनाथ मंदिर परिसर में पहुंचे तो यहां पर पहले से लगे बेलपत्र बिक्री के होर्डिंग और पोस्ट को सफेद कागज से कवर कर दिया गया था. देशमुख के काउंटर से हमने सोमवार की दोपहर बेलपत्र खरीदा था वहां से बेलपत्र को हटा दिया गया और काउंटर पर मौजूद महिला कर्मचारियों ने दोपहर बाद बेलपत्र बिक्री बंद करने की बात कही. यानी ईटीवी भारत की पड़ताल शुरू होने के साथ ही प्रशासन बैकफुट पर आया और कुछ ही घंटे में कई दिनों से चल रही 5 रुपये के चढ़े हुए बेलपत्र की बिक्री को बंद कर दिया गया.
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