वाराणसी: वाहनों में सीएनजी का कनेक्शन लेने वालों के लिए एक खुशखबरी है. काशी को एक नए सीएनजी स्टेशन की सौगात मिल चुकी है. गंगा में चल रही नाव अब यहां सीएनजी ले सकेंगी. अभी तक नाव को सीएनजी लेने के लिए नमो घाट जाना पड़ता था. देव दीपावली से पहले पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में सरकार ने नाविकों को ये बड़ी सौगात दी है. नमो घाट पर सीएनजी स्टेशन पहले से ही संचालित था. इसी क्रम में आज गेल कंपनी ने रविदास घाट पर फ्लोटिंग सीएनजी एमआरयू स्टेशन की शुरुआत की है. फ्लोटिंग सीएनजी मोबाइल रिफ्यूलिंग यूनिट (एमआरयू) से काशी में नदी में चल रही बोट से जल और वायु प्रदूषण रोकने में भी मदद मिलने वाली है.
फ्लोटिंग सीएनजी मोबाइल रिफ्यूलिंग यूनिट से वाराणसी में बोटिंग कर रहे नाविकों को बहुत ही सुविधा मिलने वाली है. इससे पहले वाराणसी नगर निगम और प्रशासन ने नाविकों को पुरानी डीजल से चलने वाली बोट और इंजन वाली नाव को चलाने पर रोक लगा रखी थी. उसके बदले में उन्हें सीएनजी युक्त इंजन चलाने की इजाजत थी. यह फैसला गंगा में फैलने वाले प्रदूषण और वायु प्रदूषण को रोकने के लिए लिया गया था. इसी क्रम में सरकार ने नाविकों को सहूलियत देते हुए नमो घाट पर फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन का निर्माण कराया था.
20 प्रतिशत बायोफ्यूल ब्लेंडिंग की ओर बढ़ रहा देश: रविवार को केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी वाराणसी में थे. उन्होंने रविदास घाट पर फ्लोटिंग सीएनजी मोबाइल रिफ्यूलिंग यूनिट का उद्घाटन किया. उन्होंने बताया कि प्रदूषण के खिलाफ हम जो लड़ाई लड़ रहे हैं. इसमें हर कदम जो हम उठाते हैं उससे फायदा होता है. मानकर चलिए कि हमारे देशभर में जो नेचुरल गैस की मिक्सिंग है, वह 6 से 15 प्रतिशत होता है. इससे बहुत लाभ होता है. अगर हम 1.4 प्रतिशत बायोफ्यूल ब्लेंडिंग से हम 20 प्रतिशत की ओर बढ़ रहे हैं. इससे हमें बहुत बड़ा फायदा है. बनारस में जो 32 हजार हाउसहोल्ड्स हैं उनको पीएनजी मिल रहा है. सीएनजी मिल रहा है, 40 हजार लोगों को और मिलेगा.
करीब 800 बोट्स को CNG में करने का प्लान: उन्होंने बताया कि 800 के करीब बोट्स जो मां गंगा में चलती हैं, उनमें से ज्यादातर सीएनजी में कन्वर्ट की जाती हैं तो उसमें बोट चलाने वालों का भी फायदा है. हर किस्म और हर तरीके से सीएनजी में कन्वर्जन का फायदा है. सीएनजी का कन्वर्जन करने के लिए आपको मोबाइल रिफ्यूलिंग यूनिट बनारस को मिला है. मैं समझता हूं कि आगे भी जो कदम उठाने पड़ेंगे सरकार और गेल (GAIL) मिलकर वो कदम उठाएंगे. बता दें कि वाराणसी में सीएनजी स्टेशन की मदद से गंगा में चलने वाली बोट और इंजन से चलने वाली नावों को सीएनजी आसानी से मिल जाती है. रविदास घाट पर नया सीएनजी स्टेशन बनने से नाविकों को और भी फायदा होगा.
CNG स्टेशनों की संख्या बढ़कर होगी 31: गेल के मार्केटिंग हेड प्रवीण कुमार भी काशी में मौजूद थे. उन्होंने इस पूरे प्लान के बारे में जानकारी दी. वे बताते हैं कि कई बोट्स को सीएनजी से जोड़ दिया गया है. सैंकड़ों बोट्स को सीएनजी से जोड़ा जाना है. हमारा उद्देश्य है कि गंगा में प्रदूषण का स्तर कम किया जा सके. इसके लिए नमो घाट के बाद रविदास घाट पर सीएनजी स्टेशन बनाया गया है. उन्होंने बताया कि साल 2024 में गेल चार और सीएनजी स्टेशनों को खोलने की तैयारी कर रही है. इसके लिए प्रस्ताव बनाया गया है और जगह की तलाश की जा रही है. इसके बाद सीएनजी स्टेशन्स की संख्या 27 से बढ़कर 31 हो जाएगी. वाराणसी में सीएनजी स्टेशनों की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है.
सीएनजी के लिए नाविक नहीं होंगे परेशान: गेल के मार्केटिंग हेड बताते हैं, 'वाराणसी में जनता की सुविधा को देखते हुए गेल ने भेलूपुर, पिण्डरा, करखियांव, चितईपुर, डीएलडब्ल्यू, नदेसर, सिगरा, राजातालाब, खिड़किया घाट के साथ ही 24 स्थानों पर सीएनजी का स्टेशन बनाया हुआ है. शहर के सीएनजी स्टेशनों पर वाहनों का दबाव कम करने के लिए कंपनी ने ऐसा निर्णय लिया है.' उन्होंने बताया, 'फ्लोटिंग सीएनजी मोबाइल रिफ्यूलिंग यूनिट पर्यटकों के लिए सुविधाजनक है. इसको लगने से स्थानीय नाविकों को काफी लाभ मिलेगा. नाविकों को गैस भरने के लिए दूर नहीं जाना होगा. रविदास घाट पर स्टेशन होने से 40 से 50 नावों को सीएनजी उपलब्ध कराई जा सकेगी.'
विश्व में पहला ऐसा सीएनजी स्टेशन: वाराणसी में नमो घाट पर फ्लोटिंग सीएनजी मदर स्टेशन विश्व में पहला ऐसा सीएनजी स्टेशन है, जो दिसंबर 2021 से चालू है. इस स्टेशन की क्षमता लगभग 15,000 किलोग्राम प्रतिदिन सीएनजी की है, जो प्रति दिन लगभग 1000-1500 नौकाओं में सीएनजी भरने में सक्षम है. सीएनजी को नमो घाट से कैस्केड में भरा जाएगा और बोट्स में ईंधन के लिए रविदास घाट तक जल मार्ग से पहुंचाया जाएगा, जो विश्व में इस प्रकार का पहला प्रयास है. इसकी क्षमता 4,000 किलोग्राम प्रति दिन है, जो प्रति दिन 300 से 400 बोट्स को पूरा कर सकती है. विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, गेल द्वारा फ्लोटिंग स्टेशनों को लगभग 17.5 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया है.
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