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कल लगेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण, जानें ग्रहण का समय और सूतक काल

रविवार 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण साल का पहला सूर्य ग्रहण है. इसे एक बड़ी खगोलीय घटना की दृष्टि से देखा जा रहा है. यह सूर्य ग्रहण देश के कुछ भागों में पूर्ण रूप से दिखाई देगा. वहीं अन्य स्थानों पर आंशिक सूर्य ग्रहण ही देखा जा सकेगा.

surya grahan 2020
सूर्य ग्रहण 2020
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Published : Jun 20, 2020, 9:10 AM IST

Updated : Jun 20, 2020, 9:31 AM IST

वाराणसी: ग्रहों की चाल का असर हमेशा से पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक जीव पर पड़ता है, लेकिन कुछ ऐसी खगोलीय घटनाएं होती हैं, जिसे ज्योतिष शास्त्र में अति महत्वपूर्ण मानते हुए ग्रहों की स्थिति के साथ आकलन कर यह स्पष्ट किया जा सकता है. रविवार 21 जून को पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. ज्योतिषियों की मानें तो इस सूर्य ग्रहण का व्यापक असर पृथ्वी पर पड़ने वाला है.

जानकारी देते ज्योतिषाचार्य.

साल का पहला सूर्यग्रहण
रविवार 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा. ज्योतिष इसे एक बड़ी खगोलीय घटना की दृष्टि से देख रहे हैं. यह सूर्य ग्रहण देश के कुछ भागों में पूर्ण रूप से दिखाई देगा. सूर्य ग्रहण रविवार को सुबह 10 बजकर 13 मिनट से शुरू होकर दोपहर 1 बजकर 49 मिनट तक रहेगा. इसे देहरादून, मसूरी, कुरुक्षेत्र और टिहरी आदि में सूर्य वलयाकार रूप में देखा जा सकता है, जबकि अन्य स्थानों पर आंशिक सूर्य ग्रहण ही देखा जा सकेगा. राजधानी दिल्ली में भी लगभग रिंग ऑफ फायर का नजारा देखा जा सकेगा.

देश की सीमाओं पर पड़ सकता है व्यापक असर
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि दैवज्ञ ज्योतिषी आचार्य वराहमिहिर चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे. उनके बताए ज्योतिष सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं. उन्हीं के बताए ज्योतिष सिद्धांतों पर आज भी ज्योतिष विद्या टिकी हुई है और देश-दुनिया के तमाम ज्योतिषी इसका पालन भी करते हैं. छठवीं शताब्दी में वराह मिहिर की ओर से रचित बृहत्संहिता ग्रंथ के राहुचारा अध्याय के श्लोक संख्या 77 में जो कुछ लिखा है. उन्होंने लिखा कि यदि आषाढ़ मास में सूर्य ग्रहण पड़ता है तो भारत की सीमा से सटे दूसरे देशों खासतौर पर अफगानिस्तान के कंधार, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का भू-भाग और चीन के लिए काफी विनाशकारी स्थिति बन सकती है. यही नहीं युद्ध जैसे हालात पैदा होंगे.

मिथुन राशि में लगेगा ग्रहण
पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि यह ग्रहण मिथुन राशि पर लग रहा है और ग्रहण को मीन राशि में बैठा मंगल ग्रह देख रहा है, क्योंकि मंगल ग्रह को क्रूर ग्रह माना जाता है और यह ग्रह युद्ध की स्थिति पैदा करने वाला ग्रह है. वहीं जहां तक इस ग्रहण का भारत पर पड़ने वाला प्रभाव है तो मध्यवर्ती भू-भाग पर विशेष को प्रभाव देखने को मिल सकता है और संपूर्ण देश में अराजकता की वृद्धि होगी. अग्निकांड बढेंगे, सीमावर्ती क्षेत्र में प्रबल युद्ध की संभावनाएं बढ़ रही हैं.

ग्रहण का समय
स्पर्श काल- 10.31 मिनट, सुबह
मध्यकाल- 12.18 मिनट
मोक्ष काल- 2.04 मिनट, दोपहर
सूतक काल- 20 जून रात्रि नौ बजे के बाद ( ग्रहण से 12 घण्टे पहले)

राशियों पर प्रभाव
मेष- सुख, संम्पन्नता
वृषभ- नुकसान
मिथुन- अत्यंत कष्टकारी
कर्क- हानि
सिंह- लाभ
तुला- सम्मान को ठेस
वृश्चिक- मृत्यु तुल्य कष्ट
धनु- पीड़ा
मकर- सुख, शांति
कुम्भ- मानसिक चिंता
मीन- चिंता, माता-पिता का स्वास्थ खराब

वाराणसी: ग्रहों की चाल का असर हमेशा से पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक जीव पर पड़ता है, लेकिन कुछ ऐसी खगोलीय घटनाएं होती हैं, जिसे ज्योतिष शास्त्र में अति महत्वपूर्ण मानते हुए ग्रहों की स्थिति के साथ आकलन कर यह स्पष्ट किया जा सकता है. रविवार 21 जून को पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. ज्योतिषियों की मानें तो इस सूर्य ग्रहण का व्यापक असर पृथ्वी पर पड़ने वाला है.

जानकारी देते ज्योतिषाचार्य.

साल का पहला सूर्यग्रहण
रविवार 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा. ज्योतिष इसे एक बड़ी खगोलीय घटना की दृष्टि से देख रहे हैं. यह सूर्य ग्रहण देश के कुछ भागों में पूर्ण रूप से दिखाई देगा. सूर्य ग्रहण रविवार को सुबह 10 बजकर 13 मिनट से शुरू होकर दोपहर 1 बजकर 49 मिनट तक रहेगा. इसे देहरादून, मसूरी, कुरुक्षेत्र और टिहरी आदि में सूर्य वलयाकार रूप में देखा जा सकता है, जबकि अन्य स्थानों पर आंशिक सूर्य ग्रहण ही देखा जा सकेगा. राजधानी दिल्ली में भी लगभग रिंग ऑफ फायर का नजारा देखा जा सकेगा.

देश की सीमाओं पर पड़ सकता है व्यापक असर
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि दैवज्ञ ज्योतिषी आचार्य वराहमिहिर चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे. उनके बताए ज्योतिष सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं. उन्हीं के बताए ज्योतिष सिद्धांतों पर आज भी ज्योतिष विद्या टिकी हुई है और देश-दुनिया के तमाम ज्योतिषी इसका पालन भी करते हैं. छठवीं शताब्दी में वराह मिहिर की ओर से रचित बृहत्संहिता ग्रंथ के राहुचारा अध्याय के श्लोक संख्या 77 में जो कुछ लिखा है. उन्होंने लिखा कि यदि आषाढ़ मास में सूर्य ग्रहण पड़ता है तो भारत की सीमा से सटे दूसरे देशों खासतौर पर अफगानिस्तान के कंधार, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का भू-भाग और चीन के लिए काफी विनाशकारी स्थिति बन सकती है. यही नहीं युद्ध जैसे हालात पैदा होंगे.

मिथुन राशि में लगेगा ग्रहण
पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि यह ग्रहण मिथुन राशि पर लग रहा है और ग्रहण को मीन राशि में बैठा मंगल ग्रह देख रहा है, क्योंकि मंगल ग्रह को क्रूर ग्रह माना जाता है और यह ग्रह युद्ध की स्थिति पैदा करने वाला ग्रह है. वहीं जहां तक इस ग्रहण का भारत पर पड़ने वाला प्रभाव है तो मध्यवर्ती भू-भाग पर विशेष को प्रभाव देखने को मिल सकता है और संपूर्ण देश में अराजकता की वृद्धि होगी. अग्निकांड बढेंगे, सीमावर्ती क्षेत्र में प्रबल युद्ध की संभावनाएं बढ़ रही हैं.

ग्रहण का समय
स्पर्श काल- 10.31 मिनट, सुबह
मध्यकाल- 12.18 मिनट
मोक्ष काल- 2.04 मिनट, दोपहर
सूतक काल- 20 जून रात्रि नौ बजे के बाद ( ग्रहण से 12 घण्टे पहले)

राशियों पर प्रभाव
मेष- सुख, संम्पन्नता
वृषभ- नुकसान
मिथुन- अत्यंत कष्टकारी
कर्क- हानि
सिंह- लाभ
तुला- सम्मान को ठेस
वृश्चिक- मृत्यु तुल्य कष्ट
धनु- पीड़ा
मकर- सुख, शांति
कुम्भ- मानसिक चिंता
मीन- चिंता, माता-पिता का स्वास्थ खराब

Last Updated : Jun 20, 2020, 9:31 AM IST
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