वाराणसी: उर्दू के जाने-माने शायर, गंगा - जमुना तहजीब के बड़े फनकार शायर मेयार सनेही का शुक्रवार को 84 वर्ष की उम्र में एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. हृदय गति रुकने से उनका निधन हुआ है. उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है.
![meyar-sanehi](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-03-shayar-photo-7209211_15012021234235_1501f_1610734355_298.jpg)
ख्वाब के फूल को आज भी लोग करते हैं पसंद
सात मार्च 1936 को बाराबंकी में जन्में मेयार सनेही को शुरू से ही लिखने पढ़ने का बेहद शौक था. साहित्य रत्न तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने गजल लिखने का सिलसिला शुरू कर दिया. उनकी गजलों की किताब ख्वाब के फूल की पंक्तियां आज भी बेहद पसंद की जाती हैं. कहते हैं कि शायद सनेही एक बड़े शायर के साथ एक जिंदादिल इंसान थे. वह आने वाली पीढ़ियों का इस्तकबाल करते थे और उन्हें प्रोत्साहित करते थे.
![varanasi news](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-03-shayar-photo-7209211_15012021234235_1501f_1610734355_221.jpg)
उनके जाने पर शोक व्यक्त करते हुए ग़ज़लकार अभिनव ने बताया कि सनेही साहब अपने अलग अंदाज के कारण जाने जाते रहे हैं. उनकी सादगी लोगों का दिल जीत लेती है. वह हिंदी और उर्दू के लफ्जों का खूबसूरती से इस्तेमाल अपनी गजलों में किया करते थे. उनका जाना साहित्यिक जगत में एक बड़ा नुकसान है. उन्होंने हिंदी और उर्दू के बीच एक खूबसूरत संबंध को स्थापित किया था.
उनकी रचनाएं
- ख़्वाब के फूल.
- वतन के नाम पांच फूल.
- आकाशवाणी और दूरदर्शन के माध्यम से अन्य प्रकाशित, प्रसारित रचनाएं.
मेयार सनेही को मिले सम्मान - साहित्यिक सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं की ओर से सम्मान
- उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का सौहार्द सम्मान