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गंगा-जमुनी तहजीब के फनकार मेयार सनेही का निधन - कवि मेयार सनेही का निधन

काशी की गंगा जमुनी तहजीब के उस्ताद शायर मेयार सनेही का शुक्रवार को निधन हो गया. 84 साल के मेयार सनेही ने वाराणसी के हरहुआ स्थित एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली.

गंगा-जमुनी तहजीब के फनकार मेयार सनेही का निधन
गंगा-जमुनी तहजीब के फनकार मेयार सनेही का निधन
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Published : Jan 16, 2021, 6:32 AM IST

Updated : Jan 16, 2021, 6:44 AM IST

वाराणसी: उर्दू के जाने-माने शायर, गंगा - जमुना तहजीब के बड़े फनकार शायर मेयार सनेही का शुक्रवार को 84 वर्ष की उम्र में एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. हृदय गति रुकने से उनका निधन हुआ है. उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है.

meyar-sanehi
गंगा जमुनी तहजीब के उस्ताद शायर मेयार सनेही का शुक्रवार को निधन हो गया.

ख्वाब के फूल को आज भी लोग करते हैं पसंद


सात मार्च 1936 को बाराबंकी में जन्में मेयार सनेही को शुरू से ही लिखने पढ़ने का बेहद शौक था. साहित्य रत्न तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने गजल लिखने का सिलसिला शुरू कर दिया. उनकी गजलों की किताब ख्वाब के फूल की पंक्तियां आज भी बेहद पसंद की जाती हैं. कहते हैं कि शायद सनेही एक बड़े शायर के साथ एक जिंदादिल इंसान थे. वह आने वाली पीढ़ियों का इस्तकबाल करते थे और उन्हें प्रोत्साहित करते थे.

varanasi news
सनेही एक बड़े शायर के साथ-साथ एक बड़े इंसान थे। नई पीढ़ी को दिल खोलकर प्रोत्साहित करना उनका स्वभाव था.
उनका जाना साहित्य का है बड़ा नुकसान


उनके जाने पर शोक व्यक्त करते हुए ग़ज़लकार अभिनव ने बताया कि सनेही साहब अपने अलग अंदाज के कारण जाने जाते रहे हैं. उनकी सादगी लोगों का दिल जीत लेती है. वह हिंदी और उर्दू के लफ्जों का खूबसूरती से इस्तेमाल अपनी गजलों में किया करते थे. उनका जाना साहित्यिक जगत में एक बड़ा नुकसान है. उन्होंने हिंदी और उर्दू के बीच एक खूबसूरत संबंध को स्थापित किया था.

उनकी रचनाएं

  • ख़्वाब के फूल.
  • वतन के नाम पांच फूल.
  • आकाशवाणी और दूरदर्शन के माध्यम से अन्य प्रकाशित, प्रसारित रचनाएं.

    मेयार सनेही को मिले सम्मान
  • साहित्यिक सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं की ओर से सम्मान
  • उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का सौहार्द सम्मान

वाराणसी: उर्दू के जाने-माने शायर, गंगा - जमुना तहजीब के बड़े फनकार शायर मेयार सनेही का शुक्रवार को 84 वर्ष की उम्र में एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. हृदय गति रुकने से उनका निधन हुआ है. उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है.

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गंगा जमुनी तहजीब के उस्ताद शायर मेयार सनेही का शुक्रवार को निधन हो गया.

ख्वाब के फूल को आज भी लोग करते हैं पसंद


सात मार्च 1936 को बाराबंकी में जन्में मेयार सनेही को शुरू से ही लिखने पढ़ने का बेहद शौक था. साहित्य रत्न तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने गजल लिखने का सिलसिला शुरू कर दिया. उनकी गजलों की किताब ख्वाब के फूल की पंक्तियां आज भी बेहद पसंद की जाती हैं. कहते हैं कि शायद सनेही एक बड़े शायर के साथ एक जिंदादिल इंसान थे. वह आने वाली पीढ़ियों का इस्तकबाल करते थे और उन्हें प्रोत्साहित करते थे.

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सनेही एक बड़े शायर के साथ-साथ एक बड़े इंसान थे। नई पीढ़ी को दिल खोलकर प्रोत्साहित करना उनका स्वभाव था.
उनका जाना साहित्य का है बड़ा नुकसान


उनके जाने पर शोक व्यक्त करते हुए ग़ज़लकार अभिनव ने बताया कि सनेही साहब अपने अलग अंदाज के कारण जाने जाते रहे हैं. उनकी सादगी लोगों का दिल जीत लेती है. वह हिंदी और उर्दू के लफ्जों का खूबसूरती से इस्तेमाल अपनी गजलों में किया करते थे. उनका जाना साहित्यिक जगत में एक बड़ा नुकसान है. उन्होंने हिंदी और उर्दू के बीच एक खूबसूरत संबंध को स्थापित किया था.

उनकी रचनाएं

  • ख़्वाब के फूल.
  • वतन के नाम पांच फूल.
  • आकाशवाणी और दूरदर्शन के माध्यम से अन्य प्रकाशित, प्रसारित रचनाएं.

    मेयार सनेही को मिले सम्मान
  • साहित्यिक सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं की ओर से सम्मान
  • उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का सौहार्द सम्मान
Last Updated : Jan 16, 2021, 6:44 AM IST
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