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काशी में मंदिरों का अद्भुत संगम, आप भी कर सकते हैं एक साथ उत्तर-दक्षिण भारत की सैर

वाराणसी के काशी तमिल संगमम में उत्तर और दक्षिए भारत के मंदिरों की प्रदर्शनी लगाई गई है. इस प्रदर्शनी में लगे मंदिरों के जरिए पर्यटक उत्तर और दक्षिण भारत की सैर कर सकते हैं. दोनों जगहों की संस्कृति और कला को लोग प्रदर्शनी के जरिए जान रहे हैं.

काशी में मंदिरों का अद्भुत संगम
काशी में मंदिरों का अद्भुत संगम
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Published : Nov 23, 2022, 8:44 PM IST

वाराणसी: देश की धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राजधानी काशी इस समय भारत के दो छोर की संस्कृतियों को जोड़ रही है. वाराणसी में काशी तमिल संगमम (Kashi Tamil Sangamam) का आयोजन हो रहा है. इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते शनिवार को किया था. यह आयोजन सनातन संस्कृति के दो पौराणिक केंद्रों के मिलन का साक्षी बन रहा है. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एंफीथिएटर में तमिलनाडु से आए शिल्पियों ने स्टॉल लगाए हैं, जिससे दक्षिण भारत की खूबसूरत वस्तुओं और कलाओं की जानकारी लोगों को मिल रही है. बड़ी बात यह है कि इस मेले में खास मंदिरों के संगम की प्रदर्शनी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.

काशी तमिल संगमम में मंदिरों की प्रदर्शनी
17 समितियों के लगे स्टॉल : इस प्रदर्शनी में तमिलनाडु से आए शिल्पियों ने थीम पवेलियन में अपने उत्पाद सजाए हैं. बीएचयू के एंफीथियेटर में हथकरघा व हस्तशिल्प के 10-10 स्टॉल लगाए गए हैं. इसमें हथकरघा की 17 समितियों के स्टॉल लगे हैं. इसके अलावा अन्य उत्पादों की भी प्रदर्शनी लगाई गई है. इसी क्रम में मंदिरों की प्रदर्शनी लगाई गई है, जो लोगों के आकर्षण का खासा केन्द्र है. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के द्वारा यह प्रदर्शनी लगाई गई है. प्रदर्शनी में तमिल और उत्तर भारत के मंदिरों का अद्भुत संगम नजर आ रहा है.
भारत के मंदिरों की प्रदर्शनी.
भारत के मंदिरों की प्रदर्शनी.
काशी तमिल संगमम कल्चर का उत्सव: प्रदर्शनी में आए पर्यटकों ने बताया कि मंदिर तो हम लोग बहुत घूमते हैं. काशी तो मंदिरों की एक तरह से राजधानी है. मंदिरों की इतनी वैराइटी हमें यहां देखने को मिल रही हैं. नए आर्किटेक्चर में मंदिर हैं, जोकि बहुत ही खूबसूरत हैं. जो साउथ के मंदिर हैं वो नॉर्थ का एक्सटेंशन हैं. इनमें बहुत सारी समानताएं भी हैं. उन्होंने कहा कि ये कल्चर का सेलिब्रेशन है कि कैसे दोनों जगहों के कल्चर में समानता है, जिसका उत्सव मनाया जाना चाहिए.
भारत के मंदिरों की प्रदर्शनी.
भारत के मंदिरों की प्रदर्शनी.
स्मारकों और मंदिरों के छायाचित्रों की प्रदर्शनी: क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी एवं प्रभारी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र सुभाष चंद्र यादव ने बताया कि इस प्रदर्शनी में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की तरफ से स्टॉल लगाया गया है. इसमें तमिलनाडु और काशी दोनों के महत्वपूर्ण मंदिर, स्मारकों के छायाचित्रों का प्रदर्शन किया गया है. कुल 90 छायाचित्रों का प्रदर्शन किया जा रहा है, जिसमें 61 छायाचित्र तमिलनाडु के हैं और 29 काशी के हैं.भगवान एक लेकिन मंदिरों की शैली है अलग: उन्होंने बताया कि काशी और तमिलनाडु का बड़ा ही गहरा नाता है और संबंध के केंद्र बिंदु भगवान शिव हैं. तमिलनाडु के भी अधिकतर मंदिर शिव को समर्पित हैं. दोनों तरफ दो तरह के मंदिर बनते हैं. दक्षिण भारत में जो मंदिर हैं, वो मूल रूप से द्रविण परंपरा के हैं. वहीं, उत्तर भारत के जो मंदिर हैं वो नागर शैली के हैं.प्रदर्शनी में दिखाई गई है शैलियों की भिन्नता: सुभाष चंद्र यादव ने बताया कि नागर शैली की विशेषता है कि इनके मंदिरों में गर्भगृह का शिखर सबसे विशाल होता है, जबकि द्रविण शैली के मंदिरों में प्रवेश द्वार सबसे विशाल होता है. उसमें बहुत सारी नक्काशी होती है. देवता तो एक ही हैं, लेकिन स्थान भिन्नता के कारण निर्माण शैली दोनों की अलग-अलग है. इस प्रदर्शनी में यही दिखाया गया है कि कैसै एक ही देवता के अलग-अलग क्षेत्रों में मंदिर भिन्न-भिन्न तरीके से निर्मित होते हैं.

यह भी पढे़ं:तमिल संगमम का पहला जत्था पहुंचा संगम नगरी, यूं हुआ भव्य स्वागत

वाराणसी: देश की धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राजधानी काशी इस समय भारत के दो छोर की संस्कृतियों को जोड़ रही है. वाराणसी में काशी तमिल संगमम (Kashi Tamil Sangamam) का आयोजन हो रहा है. इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते शनिवार को किया था. यह आयोजन सनातन संस्कृति के दो पौराणिक केंद्रों के मिलन का साक्षी बन रहा है. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एंफीथिएटर में तमिलनाडु से आए शिल्पियों ने स्टॉल लगाए हैं, जिससे दक्षिण भारत की खूबसूरत वस्तुओं और कलाओं की जानकारी लोगों को मिल रही है. बड़ी बात यह है कि इस मेले में खास मंदिरों के संगम की प्रदर्शनी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.

काशी तमिल संगमम में मंदिरों की प्रदर्शनी
17 समितियों के लगे स्टॉल : इस प्रदर्शनी में तमिलनाडु से आए शिल्पियों ने थीम पवेलियन में अपने उत्पाद सजाए हैं. बीएचयू के एंफीथियेटर में हथकरघा व हस्तशिल्प के 10-10 स्टॉल लगाए गए हैं. इसमें हथकरघा की 17 समितियों के स्टॉल लगे हैं. इसके अलावा अन्य उत्पादों की भी प्रदर्शनी लगाई गई है. इसी क्रम में मंदिरों की प्रदर्शनी लगाई गई है, जो लोगों के आकर्षण का खासा केन्द्र है. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के द्वारा यह प्रदर्शनी लगाई गई है. प्रदर्शनी में तमिल और उत्तर भारत के मंदिरों का अद्भुत संगम नजर आ रहा है.
भारत के मंदिरों की प्रदर्शनी.
भारत के मंदिरों की प्रदर्शनी.
काशी तमिल संगमम कल्चर का उत्सव: प्रदर्शनी में आए पर्यटकों ने बताया कि मंदिर तो हम लोग बहुत घूमते हैं. काशी तो मंदिरों की एक तरह से राजधानी है. मंदिरों की इतनी वैराइटी हमें यहां देखने को मिल रही हैं. नए आर्किटेक्चर में मंदिर हैं, जोकि बहुत ही खूबसूरत हैं. जो साउथ के मंदिर हैं वो नॉर्थ का एक्सटेंशन हैं. इनमें बहुत सारी समानताएं भी हैं. उन्होंने कहा कि ये कल्चर का सेलिब्रेशन है कि कैसे दोनों जगहों के कल्चर में समानता है, जिसका उत्सव मनाया जाना चाहिए.
भारत के मंदिरों की प्रदर्शनी.
भारत के मंदिरों की प्रदर्शनी.
स्मारकों और मंदिरों के छायाचित्रों की प्रदर्शनी: क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी एवं प्रभारी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र सुभाष चंद्र यादव ने बताया कि इस प्रदर्शनी में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की तरफ से स्टॉल लगाया गया है. इसमें तमिलनाडु और काशी दोनों के महत्वपूर्ण मंदिर, स्मारकों के छायाचित्रों का प्रदर्शन किया गया है. कुल 90 छायाचित्रों का प्रदर्शन किया जा रहा है, जिसमें 61 छायाचित्र तमिलनाडु के हैं और 29 काशी के हैं.भगवान एक लेकिन मंदिरों की शैली है अलग: उन्होंने बताया कि काशी और तमिलनाडु का बड़ा ही गहरा नाता है और संबंध के केंद्र बिंदु भगवान शिव हैं. तमिलनाडु के भी अधिकतर मंदिर शिव को समर्पित हैं. दोनों तरफ दो तरह के मंदिर बनते हैं. दक्षिण भारत में जो मंदिर हैं, वो मूल रूप से द्रविण परंपरा के हैं. वहीं, उत्तर भारत के जो मंदिर हैं वो नागर शैली के हैं.प्रदर्शनी में दिखाई गई है शैलियों की भिन्नता: सुभाष चंद्र यादव ने बताया कि नागर शैली की विशेषता है कि इनके मंदिरों में गर्भगृह का शिखर सबसे विशाल होता है, जबकि द्रविण शैली के मंदिरों में प्रवेश द्वार सबसे विशाल होता है. उसमें बहुत सारी नक्काशी होती है. देवता तो एक ही हैं, लेकिन स्थान भिन्नता के कारण निर्माण शैली दोनों की अलग-अलग है. इस प्रदर्शनी में यही दिखाया गया है कि कैसै एक ही देवता के अलग-अलग क्षेत्रों में मंदिर भिन्न-भिन्न तरीके से निर्मित होते हैं.

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