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तीन महीने पहले PM मोदी ने किया था उद्घाटन, दुकानों का नहीं मिला खरीदार

वाराणसी दशाश्वमेध घाट के ऊपर गंगा व्यू गैलरी के साथ बनाया गया सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट दशाश्वमेध भवन शो-पीस बनकर रह गया है. प्रधानमंत्री के हाथो इस प्रोजेक्ट के उद्घाटन होने के बाद भी तीन महिनों में सिर्फ 40 दुकानों की ही बुकिंग हो सकी है.

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Published : Oct 4, 2022, 11:11 PM IST

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र को हर साल बड़ी से बड़ी सौगात देते हैं. इसी साल 7 जुलाई को भी उन्होंने हजारों करोड़ों रुपए की योजनाओं की सौगात बनारस को दी. जिनमें कई ऐसे प्रोजेक्ट शामिल थे, जो काफी लंबे वक्त से बनारस की छवि को बदलने के लिए तैयार किए जा रहे थे. ऐसा ही एक प्रोजेक्ट था दशाश्वमेध घाट के ऊपर गंगा व्यू गैलरी के साथ बनाया गया दशाश्वमेध भवन है.
इसका पहले नाम दशाश्वमेध प्लाजा था, लेकिन अब इसको दशाश्वमेध भवन के नाम से जाना जाता है. लगभग 28.50 करोड़ की लागत से 3082 वर्ग फीट में तैयार हुआ यह प्रोजेक्ट बनारस के सबसे बड़े कमर्शियल प्रोजेक्ट के तौर पर जाना जाता है, क्योंकि यहां पर 196 दुकानों के साथ ही 14 दुकान फूड कोर्ट में और दो ओपन रेस्टोरेंट की सौगात प्रधानमंत्री ने बनारस को दी थी, लेकिन 7 जुलाई 2022 को प्रधानमंत्री के हाथों उद्घाटन होने के बाद भी यह भवन वीरान पड़ा हुआ है. हाल यह है कि यहां अब तक एक भी दुकान का शटर ओपन नहीं हो सका है.
गौरतलब है कि वाराणसी में लगभग 20 साल पुराने प्रोजेक्ट को एक बार फिर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में तैयार किया गया था. 7 जुलाई 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी दौरे पर इस भवन का उद्घाटन भी कर दिया. माना जा रहा था 10 दिन के अंदर इस भवन में मौजूद दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा. तीन मंजिला कांपलेक्स में उन तमाम हाईटेक सुविधाओं को रखा गया है जो एक कमर्शियल कंपलेक्स में जरूरी होती है.

सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट दशाश्वमेध भवन

एस्केलेटर के साथ लिफ्ट की सुविधा और पर्यटकों के बैठने के लिए शानदार व्यवस्था. इसके अलावा यहां पर मौजूद दुकानों की साइज भी अलग-अलग है. नगर निगम के द्वारा पुराने किराएदार के तौर पर छोटी-छोटी दुकान संचालित करने वाले दुकानदारों को आवंटित किए जाने की प्रक्रिया की जानी थी. बड़े ही नॉमिनल रेट पर इन दुकानों को लगभग इस एरिया के 140 छोटे दुकानदारों को आवंटित किया जाना था. ताकि सड़क से दुकानें हटकर एक भवन के अंदर ही संचालित हो सके और दुकानदारों का जीवन स्तर भी सुधर सके, लेकिन आज भी इस भवन के उद्घाटन के 3 महीने पूरे होने के बाद भी यहां पर एक भी दुकान का शटर नहीं खुल पाया है.

इस बारे में जब ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल शुरू की तो पता चला कि अब तक 196 में से सिर्फ 40 दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया ही पूरी की जा सकी है. बाकी शेष दुकानों के आवंटन के लिए कोई आ ही नहीं रहा है. कई बार निविदा निकलने के बाद भी वाराणसी विकास प्राधिकरण के पास खरीदारों का न पहुंचना थोड़ा परेशानी बढ़ाने वाला जरूर है. हालांकि जब हमने इस बारे में अधिकारियों से बातचीत की तो उन्होंने इस संदर्भ में कैमरे पर तो बातचीत करने से इंकार किया.

लेकिन ऑफ कैमरा यह जरूर बताया कि इस भवन के अंदर मौजूद दुकानों को पहले उन लोगों को आवंटित करने की प्रक्रिया करनी है. जिनको इस एरिया में बाहर की दुकानों को हटाकर अंदर विस्थापित किया जाना है. यही वजह है कि पहले जो नियम के मुताबिक जरूरतमंद है उनको दुकान दी जानी है. बाकी ओपन टेंडर बाद में खोला जाएगा. यदि यह लोग दुकाने नहीं लेंगे तो आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. जिसकी वजह से अब तक सिर्फ 40 दुकानें ही आवंटित की जा चुकी है. बेसमेंट फर्स्ट फ्लोर सेकेंड फ्लोर और ऊपर छत पर ओपन रेस्टोरेंट की व्यवस्था के साथ ही लगभग 200 से ज्यादा दुकानें यहां पर मौजूद हैं, लेकिन अब तक दुकानों का आवंटन ना होना भी कई सवाल खड़े कर रहा है.

वाराणसी दशाश्वमेध घाट
वाराणसी दशाश्वमेध घाट

इस बारे में जब हमने क्षेत्रीय लोगों से बातचीत की तो उन्होंने अपनी पीड़ा सुनाते हुए कहा कि हम 10 से 15 हजार रुपए लगाकर छोटा-छोटा धंधा करने वाले लोग हैं. कोई नारियल पानी बेचता है तो कोई प्लास्टिक के सामान और कोई छोटे मोटे कपड़े और पूजा-पाठ के समान, ऐसे में वाराणसी विकास प्राधिकरण एक दुकान की कीमत 10 से 15 लाख रुपए मांग रहा है. कहां से इतना पैसा कोई दे पाएगा कोई, छोटी बचत और छोटी-छोटी इनकम के साथ अपने घर का खर्च चला लें यही बहुत बड़ी बात है. लोगों का कहना था कि जिस समय यह भवन बन रहा था उस वक्त बड़े ही नॉमिनल रेट पर दुकानें देने की बात हुई थी, लेकिन इतना हाई रेट होने की वजह से कोई दुकान लेने जा ही नहीं रहा है. जिसके कारण यह दुकाने अब तक खाली पड़ी है.

वहीं इस प्लाजा को तैयार करने वाली कार्यदाई एजेंसी के प्रोजेक्ट मैनेजर का कहना है कि कुछ दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया पूरी हुई है और और फ़ूड कोर्ट के लिए स्मार्ट सिटी के सहयोग से टेंडर निकाले गए हैं. उम्मीद है कि जल्द ही इस संदर्भ में कार्रवाई आगे बढ़ जाएगी. इस बारे में वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक गोयल का कहना था कि पिछली उपाध्यक्ष की तरफ से जो प्रयास किए गए थे. वह उचित तरीके से आगे बढ़ गए थे नए सिरे से क्या काम करना है इसके लिए उन्हें थोड़ा वक्त चाहिए.

ये भी पढ़ेंः वाराणसी में होने वाली हर गंगा आरती का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, सरकारी आदेश के बाद उठने लगे विरोध के स्वर

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र को हर साल बड़ी से बड़ी सौगात देते हैं. इसी साल 7 जुलाई को भी उन्होंने हजारों करोड़ों रुपए की योजनाओं की सौगात बनारस को दी. जिनमें कई ऐसे प्रोजेक्ट शामिल थे, जो काफी लंबे वक्त से बनारस की छवि को बदलने के लिए तैयार किए जा रहे थे. ऐसा ही एक प्रोजेक्ट था दशाश्वमेध घाट के ऊपर गंगा व्यू गैलरी के साथ बनाया गया दशाश्वमेध भवन है.
इसका पहले नाम दशाश्वमेध प्लाजा था, लेकिन अब इसको दशाश्वमेध भवन के नाम से जाना जाता है. लगभग 28.50 करोड़ की लागत से 3082 वर्ग फीट में तैयार हुआ यह प्रोजेक्ट बनारस के सबसे बड़े कमर्शियल प्रोजेक्ट के तौर पर जाना जाता है, क्योंकि यहां पर 196 दुकानों के साथ ही 14 दुकान फूड कोर्ट में और दो ओपन रेस्टोरेंट की सौगात प्रधानमंत्री ने बनारस को दी थी, लेकिन 7 जुलाई 2022 को प्रधानमंत्री के हाथों उद्घाटन होने के बाद भी यह भवन वीरान पड़ा हुआ है. हाल यह है कि यहां अब तक एक भी दुकान का शटर ओपन नहीं हो सका है.
गौरतलब है कि वाराणसी में लगभग 20 साल पुराने प्रोजेक्ट को एक बार फिर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में तैयार किया गया था. 7 जुलाई 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी दौरे पर इस भवन का उद्घाटन भी कर दिया. माना जा रहा था 10 दिन के अंदर इस भवन में मौजूद दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा. तीन मंजिला कांपलेक्स में उन तमाम हाईटेक सुविधाओं को रखा गया है जो एक कमर्शियल कंपलेक्स में जरूरी होती है.

सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट दशाश्वमेध भवन

एस्केलेटर के साथ लिफ्ट की सुविधा और पर्यटकों के बैठने के लिए शानदार व्यवस्था. इसके अलावा यहां पर मौजूद दुकानों की साइज भी अलग-अलग है. नगर निगम के द्वारा पुराने किराएदार के तौर पर छोटी-छोटी दुकान संचालित करने वाले दुकानदारों को आवंटित किए जाने की प्रक्रिया की जानी थी. बड़े ही नॉमिनल रेट पर इन दुकानों को लगभग इस एरिया के 140 छोटे दुकानदारों को आवंटित किया जाना था. ताकि सड़क से दुकानें हटकर एक भवन के अंदर ही संचालित हो सके और दुकानदारों का जीवन स्तर भी सुधर सके, लेकिन आज भी इस भवन के उद्घाटन के 3 महीने पूरे होने के बाद भी यहां पर एक भी दुकान का शटर नहीं खुल पाया है.

इस बारे में जब ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल शुरू की तो पता चला कि अब तक 196 में से सिर्फ 40 दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया ही पूरी की जा सकी है. बाकी शेष दुकानों के आवंटन के लिए कोई आ ही नहीं रहा है. कई बार निविदा निकलने के बाद भी वाराणसी विकास प्राधिकरण के पास खरीदारों का न पहुंचना थोड़ा परेशानी बढ़ाने वाला जरूर है. हालांकि जब हमने इस बारे में अधिकारियों से बातचीत की तो उन्होंने इस संदर्भ में कैमरे पर तो बातचीत करने से इंकार किया.

लेकिन ऑफ कैमरा यह जरूर बताया कि इस भवन के अंदर मौजूद दुकानों को पहले उन लोगों को आवंटित करने की प्रक्रिया करनी है. जिनको इस एरिया में बाहर की दुकानों को हटाकर अंदर विस्थापित किया जाना है. यही वजह है कि पहले जो नियम के मुताबिक जरूरतमंद है उनको दुकान दी जानी है. बाकी ओपन टेंडर बाद में खोला जाएगा. यदि यह लोग दुकाने नहीं लेंगे तो आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. जिसकी वजह से अब तक सिर्फ 40 दुकानें ही आवंटित की जा चुकी है. बेसमेंट फर्स्ट फ्लोर सेकेंड फ्लोर और ऊपर छत पर ओपन रेस्टोरेंट की व्यवस्था के साथ ही लगभग 200 से ज्यादा दुकानें यहां पर मौजूद हैं, लेकिन अब तक दुकानों का आवंटन ना होना भी कई सवाल खड़े कर रहा है.

वाराणसी दशाश्वमेध घाट
वाराणसी दशाश्वमेध घाट

इस बारे में जब हमने क्षेत्रीय लोगों से बातचीत की तो उन्होंने अपनी पीड़ा सुनाते हुए कहा कि हम 10 से 15 हजार रुपए लगाकर छोटा-छोटा धंधा करने वाले लोग हैं. कोई नारियल पानी बेचता है तो कोई प्लास्टिक के सामान और कोई छोटे मोटे कपड़े और पूजा-पाठ के समान, ऐसे में वाराणसी विकास प्राधिकरण एक दुकान की कीमत 10 से 15 लाख रुपए मांग रहा है. कहां से इतना पैसा कोई दे पाएगा कोई, छोटी बचत और छोटी-छोटी इनकम के साथ अपने घर का खर्च चला लें यही बहुत बड़ी बात है. लोगों का कहना था कि जिस समय यह भवन बन रहा था उस वक्त बड़े ही नॉमिनल रेट पर दुकानें देने की बात हुई थी, लेकिन इतना हाई रेट होने की वजह से कोई दुकान लेने जा ही नहीं रहा है. जिसके कारण यह दुकाने अब तक खाली पड़ी है.

वहीं इस प्लाजा को तैयार करने वाली कार्यदाई एजेंसी के प्रोजेक्ट मैनेजर का कहना है कि कुछ दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया पूरी हुई है और और फ़ूड कोर्ट के लिए स्मार्ट सिटी के सहयोग से टेंडर निकाले गए हैं. उम्मीद है कि जल्द ही इस संदर्भ में कार्रवाई आगे बढ़ जाएगी. इस बारे में वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक गोयल का कहना था कि पिछली उपाध्यक्ष की तरफ से जो प्रयास किए गए थे. वह उचित तरीके से आगे बढ़ गए थे नए सिरे से क्या काम करना है इसके लिए उन्हें थोड़ा वक्त चाहिए.

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