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छठ पूजा: आज है खरना, तैयारी में जुटे छठव्रती

महापर्व छठ पूजा गुरुवार यानि 31 अक्टूबर से 'शोभन योग' में नहाय-खाय के साथ शुरू हो गई है. 3 नवंबर को 'अमृत योग' में भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ छठ पूजा संपन्न हो जाएगी. वहीं महिलाएं आज घाटों पर वेदियां बनाकर अपना और परिवार का नाम लिख रही हैं.

छठ पूजा के लिए महिलाएं बना रही वेदियां
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Published : Nov 1, 2019, 12:27 PM IST

वाराणसी: चार दिन के महापर्व डाला छठ की शुरुआत गुरुवार को नहाय-खाय के साथ हो चुकी है. आज खरना का त्योहार मनाया जा रहा है, वहीं सुबह से महिलाएं नदी तट और गंगा किनारे पहुंचकर सूर्य देव की आराधना के बाद गंगा स्नान कर खीर और रोटी बनाने की तैयारियों में जुट गई हैं. शाम को खीर रोटी तैयार कर पारण करने के बाद घर के सारे सदस्यों को प्रसाद खिलाए जाते हैं.

छठ पूजा के लिए महिलाएं बना रही वेदियां.

शुरू हुई छठ की तैयारियां

दीपावली के छठे दिन पड़ने वाला यह बहुत ही कठिन व्रत होता है. कल यानि शनिवार की शाम डूबते सूर्य को और परसों सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महिलाओं का व्रत पूरा होगा. इन सब के बीच धर्म नगरी काशी में भी इस महापर्व को लेकर तैयारियां अब अंतिम चरण में है. बनारस के डीएलडब्ल्यू में सूर्य सरोवर घाट पर महिलाएं घाटों पर वेदियां बनाकर उस पर अपना और अपने परिवार के लोगों का नाम लिखती हैं.

इसे भी पढे़ें:- छठ पर्व: जानिए नहाय-खाय में क्यों खाई जाती है लौकी की सब्जी

क्यों लिखती हैं वेदियों पर नाम...

वैसे तो बिहार में मनाए जाने वाले इस महापर्व छठ की छटा बनारस के अस्सी घाट से लेकर अन्य घाटों पर भी अद्भुत रूप से देखने को मिलती है. काशी में डीजल लोकोमोटिव वर्कशॉप कैंपस में सूर्य सरोवर एक ऐसी जगह है जहां हजारों की संख्या में लोग डाला छठ मनाने पहुंचते हैं. डीरेका कर्मचारी और आस-पास रहने वाले लोगों की मौजूदगी यहां पर बिल्कुल बिहार की यादें ताजा करा देती है. यहीं वजह है कि दीपावली के पहले से ही यहां पर तैयारियां शुरू हो जाती हैं.

बनाई जाती हैं रंग- बिरंगी वेदियां

छठ पूजा के लिए रंग-रोगन के साथ सजावट तेजी से जारी है, इन सबके बीच सबसे अच्छा और आंखों को सुकून देने वाला लगता है तैयार हुई रंग-बिरंगी वेदियां. यहां होने वाली हजारों की भीड़ को देखते हुए हर साल यहां पूजा करने वाले लोग पहले से यहां परमानेंट वेदी बना चुके हैं और उसे लाल रंग में रंगकर अपनी तैयारियां पूरी कर लिए हैं. अभी बहुत से लोग जिन्होंने परमानेंट वेदी तैयार नहीं की है वह मिट्टी से वेदी बनाकर उस पर अपना नाम लिख रहे हैं.

दिया जाएगा सूर्य देवता को अर्घ्य​​​​​​...​

जब छठ मईया की छटा बिखरती है तो यहां पर तिल रखने की भी जगह नहीं होती और कोई अपने आस-पास पूजा के लिए स्थान देने को तैयार नहीं होता. इसी कारण से पहले से ही लोग वेदियां बनाकर अपनी जगह को रिजर्व कर लेते हैं. यहीं वजह है कि इस पूरे स्थान पर चारों तरफ वेदी के ऊपर नाम लिखा दिखाई दे जाएगा. फिलहाल महापर्व छठ की अद्भुत छटा काशी में चारों ओर देखने को अभी से मिलने लगी है और लोगों को बेसब्री से इंतजार है. वहीं 2 और 3 नवंबर को अस्ताचलगामी और उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर इस कठिन व्रत को पूरा किया जाएगा.

वाराणसी: चार दिन के महापर्व डाला छठ की शुरुआत गुरुवार को नहाय-खाय के साथ हो चुकी है. आज खरना का त्योहार मनाया जा रहा है, वहीं सुबह से महिलाएं नदी तट और गंगा किनारे पहुंचकर सूर्य देव की आराधना के बाद गंगा स्नान कर खीर और रोटी बनाने की तैयारियों में जुट गई हैं. शाम को खीर रोटी तैयार कर पारण करने के बाद घर के सारे सदस्यों को प्रसाद खिलाए जाते हैं.

छठ पूजा के लिए महिलाएं बना रही वेदियां.

शुरू हुई छठ की तैयारियां

दीपावली के छठे दिन पड़ने वाला यह बहुत ही कठिन व्रत होता है. कल यानि शनिवार की शाम डूबते सूर्य को और परसों सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महिलाओं का व्रत पूरा होगा. इन सब के बीच धर्म नगरी काशी में भी इस महापर्व को लेकर तैयारियां अब अंतिम चरण में है. बनारस के डीएलडब्ल्यू में सूर्य सरोवर घाट पर महिलाएं घाटों पर वेदियां बनाकर उस पर अपना और अपने परिवार के लोगों का नाम लिखती हैं.

इसे भी पढे़ें:- छठ पर्व: जानिए नहाय-खाय में क्यों खाई जाती है लौकी की सब्जी

क्यों लिखती हैं वेदियों पर नाम...

वैसे तो बिहार में मनाए जाने वाले इस महापर्व छठ की छटा बनारस के अस्सी घाट से लेकर अन्य घाटों पर भी अद्भुत रूप से देखने को मिलती है. काशी में डीजल लोकोमोटिव वर्कशॉप कैंपस में सूर्य सरोवर एक ऐसी जगह है जहां हजारों की संख्या में लोग डाला छठ मनाने पहुंचते हैं. डीरेका कर्मचारी और आस-पास रहने वाले लोगों की मौजूदगी यहां पर बिल्कुल बिहार की यादें ताजा करा देती है. यहीं वजह है कि दीपावली के पहले से ही यहां पर तैयारियां शुरू हो जाती हैं.

बनाई जाती हैं रंग- बिरंगी वेदियां

छठ पूजा के लिए रंग-रोगन के साथ सजावट तेजी से जारी है, इन सबके बीच सबसे अच्छा और आंखों को सुकून देने वाला लगता है तैयार हुई रंग-बिरंगी वेदियां. यहां होने वाली हजारों की भीड़ को देखते हुए हर साल यहां पूजा करने वाले लोग पहले से यहां परमानेंट वेदी बना चुके हैं और उसे लाल रंग में रंगकर अपनी तैयारियां पूरी कर लिए हैं. अभी बहुत से लोग जिन्होंने परमानेंट वेदी तैयार नहीं की है वह मिट्टी से वेदी बनाकर उस पर अपना नाम लिख रहे हैं.

दिया जाएगा सूर्य देवता को अर्घ्य​​​​​​...​

जब छठ मईया की छटा बिखरती है तो यहां पर तिल रखने की भी जगह नहीं होती और कोई अपने आस-पास पूजा के लिए स्थान देने को तैयार नहीं होता. इसी कारण से पहले से ही लोग वेदियां बनाकर अपनी जगह को रिजर्व कर लेते हैं. यहीं वजह है कि इस पूरे स्थान पर चारों तरफ वेदी के ऊपर नाम लिखा दिखाई दे जाएगा. फिलहाल महापर्व छठ की अद्भुत छटा काशी में चारों ओर देखने को अभी से मिलने लगी है और लोगों को बेसब्री से इंतजार है. वहीं 2 और 3 नवंबर को अस्ताचलगामी और उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर इस कठिन व्रत को पूरा किया जाएगा.

Intro:स्टोरी रैप से भेजी है।

स्पेशल स्टोरी:

वाराणसी: चार दिन के महापर्व डाला छठ की शुरुआत गुरुवार को नहाए खाए के साथ हो चुकी है और आज खरना का त्यौहार मनाया जा रहा है. सुबह महिलाएं नदी तट और गंगा किनारे पहुंचकर सूर्य देव की आराधना के बाद गंगा स्नान कर अब खीर और रोटी बनाने की तैयारियों में जुट गई है. शाम को खीर रोटी तैयार कर पारण करने के बाद घर के सारे सदस्यों को प्रसाद खिलाने के बाद शुरू हो जाएगा. 2 दिन का वह कठिन व्रत जिसके लिए इस पर्व को जाना जाता है. कल शाम डूबते सूर्य को और परसों सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महिलाओं का व्रत पूरा होगा. इन सब के बीच धर्म नगरी काशी में भी इस महापर्व को लेकर तैयारियां अब अंतिम चरण में है. बनारस के डीएलडब्ल्यू इससे सूर्य सरोवर में तो महिलाओं ने वेदिया बनाकर उस पर अपना और अपने परिवार के लोगों का नाम तक लिख डाला है. क्यों लिखते हैं वेदियों पर अपना नाम और क्या है इसके पीछे की वजह जानिए.Body:वीओ-01 वैसे तो बिहार में मनाए जाने वाले इस महापर्व छठ की छटा बनारस के अस्सी घाट से लेकर अन्य घाटों पर भी अद्भुत रूप से देखने को मिलती है लेकिन काशी में डीजल लोकोमोटिव वर्कशॉप कैंपस में सूर्य सरोवर एक ऐसी जगह है जहां हजारों की संख्या में लोग डाला छठ मनाने पहुंचते हैं डीरेका कर्मचारी और आसपास रहने वाले लोगों की मौजूदगी यहां पर बिल्कुल बिहार की याद ताजा करा देती है यही वजह है कि दीपावली के पहले से ही यहां पर तैयारियां शुरू हो जाती हैं रंग रोगन के साथ सजावट तेजी से जारी है इन सबके बीच सबसे अच्छा और आंखों को सुकून देने वाला लगता है तैयार हो रही रंग बिरंगी वेदियां देखकर. दरअसल यहां होने वाली हजारों की भीड़ को देखते हुए हर साल यहां पूजा करने वाले लोग पहले से यहां परमानेंट वेदी बना चुके हैं और उसे लाल रंग में रंग कर अपनी तैयारी पूरी कर ली हैं लेकिन बहुत से लोग जिन्होंने परमानेंट वेदी तैयार नहीं की है वह मिट्टी उसे यहां वेदी बनाकर उस पर अपना नाम लिख रहे हैं.Conclusion:वीओ-02 ऐसा करने के पीछे एक बड़ी वजह यह है कि जब छठ की छटा बिखरती है तो यहां पर तिल रखने की जगह नहीं होती कोई अपने आसपास पूजा के लिए स्थान देने को तैयार नहीं होता. इसलिए पहले से ही लोग वेदिया बनाकर अपनी जगह को रिजर्व कर लेते हैं और उस जगह पर अपना कब्जा कर वेदी पर नाम लिखकर यह कंफर्म कर देते हैं कि यह जगह हमारी पूजा के लिए रिजर्व है. यही वजह है कि इस पूरे स्थान पर चारों तरफ वेदी ऊपर नाम लिखा दिखाई दे जाएगा. फिलहाल महापर्व छठ की अद्भुत छटा काशी में चारों ओर देखने को अभी से मिलने लगी है और लोगों को बेसब्री से इंतजार है 2 और 3 नवंबर का जब अस्ताचलगामी और उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर इस कठिन व्रत को पूरा किया जाएगा.

बाईट- स्वीटी तिवारी, व्रती महिला
बाईट- अनिल पांडेय, स्थानीय निवासी

गोपाल मिश्र

9839809074
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