वाराणसी: चार दिन के महापर्व डाला छठ की शुरुआत गुरुवार को नहाय-खाय के साथ हो चुकी है. आज खरना का त्योहार मनाया जा रहा है, वहीं सुबह से महिलाएं नदी तट और गंगा किनारे पहुंचकर सूर्य देव की आराधना के बाद गंगा स्नान कर खीर और रोटी बनाने की तैयारियों में जुट गई हैं. शाम को खीर रोटी तैयार कर पारण करने के बाद घर के सारे सदस्यों को प्रसाद खिलाए जाते हैं.
शुरू हुई छठ की तैयारियां
दीपावली के छठे दिन पड़ने वाला यह बहुत ही कठिन व्रत होता है. कल यानि शनिवार की शाम डूबते सूर्य को और परसों सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महिलाओं का व्रत पूरा होगा. इन सब के बीच धर्म नगरी काशी में भी इस महापर्व को लेकर तैयारियां अब अंतिम चरण में है. बनारस के डीएलडब्ल्यू में सूर्य सरोवर घाट पर महिलाएं घाटों पर वेदियां बनाकर उस पर अपना और अपने परिवार के लोगों का नाम लिखती हैं.
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क्यों लिखती हैं वेदियों पर नाम...
वैसे तो बिहार में मनाए जाने वाले इस महापर्व छठ की छटा बनारस के अस्सी घाट से लेकर अन्य घाटों पर भी अद्भुत रूप से देखने को मिलती है. काशी में डीजल लोकोमोटिव वर्कशॉप कैंपस में सूर्य सरोवर एक ऐसी जगह है जहां हजारों की संख्या में लोग डाला छठ मनाने पहुंचते हैं. डीरेका कर्मचारी और आस-पास रहने वाले लोगों की मौजूदगी यहां पर बिल्कुल बिहार की यादें ताजा करा देती है. यहीं वजह है कि दीपावली के पहले से ही यहां पर तैयारियां शुरू हो जाती हैं.
बनाई जाती हैं रंग- बिरंगी वेदियां
छठ पूजा के लिए रंग-रोगन के साथ सजावट तेजी से जारी है, इन सबके बीच सबसे अच्छा और आंखों को सुकून देने वाला लगता है तैयार हुई रंग-बिरंगी वेदियां. यहां होने वाली हजारों की भीड़ को देखते हुए हर साल यहां पूजा करने वाले लोग पहले से यहां परमानेंट वेदी बना चुके हैं और उसे लाल रंग में रंगकर अपनी तैयारियां पूरी कर लिए हैं. अभी बहुत से लोग जिन्होंने परमानेंट वेदी तैयार नहीं की है वह मिट्टी से वेदी बनाकर उस पर अपना नाम लिख रहे हैं.
दिया जाएगा सूर्य देवता को अर्घ्य...
जब छठ मईया की छटा बिखरती है तो यहां पर तिल रखने की भी जगह नहीं होती और कोई अपने आस-पास पूजा के लिए स्थान देने को तैयार नहीं होता. इसी कारण से पहले से ही लोग वेदियां बनाकर अपनी जगह को रिजर्व कर लेते हैं. यहीं वजह है कि इस पूरे स्थान पर चारों तरफ वेदी के ऊपर नाम लिखा दिखाई दे जाएगा. फिलहाल महापर्व छठ की अद्भुत छटा काशी में चारों ओर देखने को अभी से मिलने लगी है और लोगों को बेसब्री से इंतजार है. वहीं 2 और 3 नवंबर को अस्ताचलगामी और उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर इस कठिन व्रत को पूरा किया जाएगा.