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बीएचयू सीट वृद्धि मामला, छात्रों ने अपनी आवाज बुलंद करने के लिए शुरू की भूख हड़ताल - बीएएमएस छात्र भूख हड़ताल

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में बीएएमएस के छात्रों का सीट वृद्धि की मांग को लेकर धरना जारी है. छात्रों ने आज से भूख हड़ताल शुरू कर दी है. उन्होंने कहा कि वे हार नहीं मानेंगे.

छात्रों का धरना
छात्रों का धरना
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Published : Nov 1, 2022, 12:18 PM IST

वाराणसी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में BAMS के छात्र बीते 27 दिनों से सीट वृद्धि की मांग को लेकर धरनारत हैं. छात्रों का आंदोलन अनवरत जारी है. छात्र प्रदर्शन के बाद मंगलवार से भूख हड़ताल पर हैं. छात्रों का कहना है कि जब तक विवि प्रशासन उनकी मांगों को नहीं मानता, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा. छात्र इस बार हार नहीं मानेंगे.

बता दें कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में बीएएमएस के छात्र 26 दिनों से सीट बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. छात्रों का यह धरना कुलपति आवास के सामने चल रहा है. छात्रों का कहना है कि यदि उनकी मांग अक्टूबर में ही मान ली जाती तो उन्हें इस तरीके का आंदोलन नहीं करना पड़ता. 31 अक्टूबर को नेशनल कमिशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन का पोर्टल बंद हो गया है, जहां छात्र पीजी रजिस्ट्रेशन कराने की मांग कर रहे हैं.

पीजी में 45 सीट बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलनरत छात्रों का कहना है कि केवल अक्टूबर में ही नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन का पोर्टल खुलता है. अक्टूबर के बाद सीट बढ़ोतरी का काम बंद हो गया है. लेकिन, विश्वविद्यालय प्रशासन की तानाशाही नहीं खत्म हुई. छात्रों ने कहा कि बीते 2 सालों से ऐसे ही विश्वविद्यालय प्रशासन हमारी मांगों को अनसुना कर रहा है और इस बार फिर से वह अपनी मनमानी कर रहा है.

फीस वृद्धि के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को महज 80 लाख का भुगतान करना है. लेकिन, विवि प्रशासन नहीं कर रहा है. छात्रों ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन के पास इतनी शक्ति है कि वह पोर्टल को पुनः खुलवा करके रजिस्ट्रेशन करा दे. लेकिन, वह ऐसा नहीं कर रहा. इसलिए अब वे भूख हड़ताल के जरिए अपनी आवाज को बुलंद कर रहे हैं. छात्रों ने कहा कि उनका आंदोलन तब तक चलेगा, जब तक विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी बातों को सुन नहीं लेता है.

खुले आसमान के नीचे रात बिता रहे छात्र

बता दें कि 27 दिन से बीएएमएस के छात्र खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं. आंदोलन के क्रम में छात्रों ने दो बार ओपीडी सेवाओं को बंद भी किया था, उस समय प्रॉक्टोरियल बोर्ड के साथ धक्का-मुक्की भी हुई थी. लेकिन, अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन इनकी मांगों को अनसुना किए हुए है.

8 छात्रों को हो चुका डेंगू

इस बाबत छात्र ऋत्विक सिंह ने बताया कि वे लोग 27 दिनों से यहां आंदोलन कर रहे हैं. वे लोग सड़क पर ही रहते हैं. इस दौरान ऑडोमॉस लगा करके रात बीतती है. लेकिन, उसके बावजूद भी 8 दोस्तों को डेंगू हो चुका है. इनमें से तीन घर जा चुके हैं. बाकी का इलाज अस्पताल में चल रहा है. उन्होंने बताया कि ये विपरीत परिस्थितियां उन्हें तोड़ने वाली नहीं हैं. वो अडिग रहकर अपने आंदोलन को संचालित करेंगे.

यह भी पढ़ें: 68,500 शिक्षक भर्ती मामले में जिला आवंटन को लेकर याचिका खारिज, सचिव को प्रत्यावेदन तय करने का निर्देश

फीस वृद्धि मामले पर विश्वविद्यालय ने नियुक्त की कमेटी

बता दें कि आयुर्वेद के विद्यार्थियों के साथ विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि की मांग को लेकर एबीवीपी व अन्य छात्र संगठन अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. छात्रों का धरना बीते 27 दिनों से जारी है. छात्र कैंपस में धरना स्थल पर डेरा डालकर पढ़ाई-लिखाई करने के साथ चूल्हे पर भोजन भी बना रहे हैं. छात्रों के धरने को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से 6 सदस्य समिति का गठन भी किया गया है. यह समिति फीस वृद्धि को लेकर छात्रों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करेगी और उसके बाद कोई निर्णय लिया जाएगा.

वाराणसी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में BAMS के छात्र बीते 27 दिनों से सीट वृद्धि की मांग को लेकर धरनारत हैं. छात्रों का आंदोलन अनवरत जारी है. छात्र प्रदर्शन के बाद मंगलवार से भूख हड़ताल पर हैं. छात्रों का कहना है कि जब तक विवि प्रशासन उनकी मांगों को नहीं मानता, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा. छात्र इस बार हार नहीं मानेंगे.

बता दें कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में बीएएमएस के छात्र 26 दिनों से सीट बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. छात्रों का यह धरना कुलपति आवास के सामने चल रहा है. छात्रों का कहना है कि यदि उनकी मांग अक्टूबर में ही मान ली जाती तो उन्हें इस तरीके का आंदोलन नहीं करना पड़ता. 31 अक्टूबर को नेशनल कमिशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन का पोर्टल बंद हो गया है, जहां छात्र पीजी रजिस्ट्रेशन कराने की मांग कर रहे हैं.

पीजी में 45 सीट बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलनरत छात्रों का कहना है कि केवल अक्टूबर में ही नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन का पोर्टल खुलता है. अक्टूबर के बाद सीट बढ़ोतरी का काम बंद हो गया है. लेकिन, विश्वविद्यालय प्रशासन की तानाशाही नहीं खत्म हुई. छात्रों ने कहा कि बीते 2 सालों से ऐसे ही विश्वविद्यालय प्रशासन हमारी मांगों को अनसुना कर रहा है और इस बार फिर से वह अपनी मनमानी कर रहा है.

फीस वृद्धि के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को महज 80 लाख का भुगतान करना है. लेकिन, विवि प्रशासन नहीं कर रहा है. छात्रों ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन के पास इतनी शक्ति है कि वह पोर्टल को पुनः खुलवा करके रजिस्ट्रेशन करा दे. लेकिन, वह ऐसा नहीं कर रहा. इसलिए अब वे भूख हड़ताल के जरिए अपनी आवाज को बुलंद कर रहे हैं. छात्रों ने कहा कि उनका आंदोलन तब तक चलेगा, जब तक विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी बातों को सुन नहीं लेता है.

खुले आसमान के नीचे रात बिता रहे छात्र

बता दें कि 27 दिन से बीएएमएस के छात्र खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं. आंदोलन के क्रम में छात्रों ने दो बार ओपीडी सेवाओं को बंद भी किया था, उस समय प्रॉक्टोरियल बोर्ड के साथ धक्का-मुक्की भी हुई थी. लेकिन, अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन इनकी मांगों को अनसुना किए हुए है.

8 छात्रों को हो चुका डेंगू

इस बाबत छात्र ऋत्विक सिंह ने बताया कि वे लोग 27 दिनों से यहां आंदोलन कर रहे हैं. वे लोग सड़क पर ही रहते हैं. इस दौरान ऑडोमॉस लगा करके रात बीतती है. लेकिन, उसके बावजूद भी 8 दोस्तों को डेंगू हो चुका है. इनमें से तीन घर जा चुके हैं. बाकी का इलाज अस्पताल में चल रहा है. उन्होंने बताया कि ये विपरीत परिस्थितियां उन्हें तोड़ने वाली नहीं हैं. वो अडिग रहकर अपने आंदोलन को संचालित करेंगे.

यह भी पढ़ें: 68,500 शिक्षक भर्ती मामले में जिला आवंटन को लेकर याचिका खारिज, सचिव को प्रत्यावेदन तय करने का निर्देश

फीस वृद्धि मामले पर विश्वविद्यालय ने नियुक्त की कमेटी

बता दें कि आयुर्वेद के विद्यार्थियों के साथ विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि की मांग को लेकर एबीवीपी व अन्य छात्र संगठन अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. छात्रों का धरना बीते 27 दिनों से जारी है. छात्र कैंपस में धरना स्थल पर डेरा डालकर पढ़ाई-लिखाई करने के साथ चूल्हे पर भोजन भी बना रहे हैं. छात्रों के धरने को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से 6 सदस्य समिति का गठन भी किया गया है. यह समिति फीस वृद्धि को लेकर छात्रों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करेगी और उसके बाद कोई निर्णय लिया जाएगा.

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