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स्वतंत्रता दिवस विशेष: आजादी की लड़ाई में बीएचयू ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

स्वतंत्रता आंदोलन में काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. आजादी की लड़ाई में विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया. इतिहास विभाग के प्रोफेसर राकेश पांडेय का कहना है कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय का निर्माण भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति की आकांक्षा का परिणाम है.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय.
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Published : Aug 15, 2019, 5:05 AM IST

वाराणसी: 15 अगस्त 1947 को लगभग 200 वर्षों की गुलामी के बाद हमें आजादी मिली. धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी भी इस आंदोलन का गवाह बनी. आंदोलनकारियों के शहर बनारस में हिंदुस्तानियों का पहला विश्वविद्यालय काशी हिंदू विश्वविद्यालय की नींव पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1916 में रखी. भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय उन दिनों पत्रकार और वकील के साथ कांग्रेस के बड़े नेता हुआ करते थे.

आजादी की लड़ाई में बीएचयू की भूमिका.

आजादी की लड़ाई में बीएचयू का योगदान
बड़े भू-भाग वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा के साथ देश को कैसे आजाद कराया जाए, इसकी भी शिक्षा दी जाने लगी. बीएचयू के इतिहास विभाग के प्रोफेसर राकेश पांडेय का कहना है कि बीएचयू के निर्माण और उसकी प्रक्रिया, स्वतंत्रता संग्राम की बहुत बड़ी कड़ी है. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय का आजादी की लड़ाई में बहुत बड़ा योगदान रहा है.

छात्रों और शिक्षकों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
प्रोफेसर ने बताया कि यहां के छात्रों ने शिक्षा ग्रहण करने के बाद पूरे विश्वविद्यालय और देश के कोने-कोने में जाकर आजादी की लड़ाई की कमान संभाली. विश्वविद्यालय के शिक्षक ही नहीं बल्कि छात्र और कर्मचारियों ने भी देश को आजाद कराने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. प्रोफेसर राकेश पांडेय ने बताया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय का निर्माण भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति की आकांक्षा का परिणाम है, क्योंकि जब यह विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया. इस विश्वविद्यालय को अस्तित्व में लाने के लिए पूरे भारतवर्ष का भ्रमण किया गया.

महात्मा गांधी और मालवीय जी के नेतृत्व में लड़ी गई लड़ाई
प्रोफेसर ने बताया कि 1920 से लेकर 1922 तक असहयोग आंदोलन हुआ. 1933 तक सविनय अवज्ञा आंदोलन, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन हुआ. ये सभी अखिल भारतीय स्तर के आंदोलन थे, जिसमें भारत की जनता ने भाग लिया. इसका नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया. महात्मा गांधी के नेतृत्व और पंडित मदन मोहन मालवीय के आशीर्वाद से इन सभी आंदोलनों में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया.

वाराणसी: 15 अगस्त 1947 को लगभग 200 वर्षों की गुलामी के बाद हमें आजादी मिली. धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी भी इस आंदोलन का गवाह बनी. आंदोलनकारियों के शहर बनारस में हिंदुस्तानियों का पहला विश्वविद्यालय काशी हिंदू विश्वविद्यालय की नींव पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1916 में रखी. भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय उन दिनों पत्रकार और वकील के साथ कांग्रेस के बड़े नेता हुआ करते थे.

आजादी की लड़ाई में बीएचयू की भूमिका.

आजादी की लड़ाई में बीएचयू का योगदान
बड़े भू-भाग वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा के साथ देश को कैसे आजाद कराया जाए, इसकी भी शिक्षा दी जाने लगी. बीएचयू के इतिहास विभाग के प्रोफेसर राकेश पांडेय का कहना है कि बीएचयू के निर्माण और उसकी प्रक्रिया, स्वतंत्रता संग्राम की बहुत बड़ी कड़ी है. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय का आजादी की लड़ाई में बहुत बड़ा योगदान रहा है.

छात्रों और शिक्षकों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
प्रोफेसर ने बताया कि यहां के छात्रों ने शिक्षा ग्रहण करने के बाद पूरे विश्वविद्यालय और देश के कोने-कोने में जाकर आजादी की लड़ाई की कमान संभाली. विश्वविद्यालय के शिक्षक ही नहीं बल्कि छात्र और कर्मचारियों ने भी देश को आजाद कराने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. प्रोफेसर राकेश पांडेय ने बताया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय का निर्माण भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति की आकांक्षा का परिणाम है, क्योंकि जब यह विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया. इस विश्वविद्यालय को अस्तित्व में लाने के लिए पूरे भारतवर्ष का भ्रमण किया गया.

महात्मा गांधी और मालवीय जी के नेतृत्व में लड़ी गई लड़ाई
प्रोफेसर ने बताया कि 1920 से लेकर 1922 तक असहयोग आंदोलन हुआ. 1933 तक सविनय अवज्ञा आंदोलन, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन हुआ. ये सभी अखिल भारतीय स्तर के आंदोलन थे, जिसमें भारत की जनता ने भाग लिया. इसका नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया. महात्मा गांधी के नेतृत्व और पंडित मदन मोहन मालवीय के आशीर्वाद से इन सभी आंदोलनों में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया.

Intro:15 अगस्त 1947 एक ऐसा दिन जब इसका नाम हमारी जुबां पर आता है तो हमारे पूरे तन बदन में जोश भर जाता है। ऐसा हो भी क्यों ना लगभग 200 वर्ष की गुलामी से हमें आजादी मिली।

धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी आंदोलनकारियों का भी शहर रहा है ऐसे में हिंदुस्तानियों का पहला विश्वविद्यालय काशी हिंदू विश्वविद्यालय की नीव 1916 में रखी गई और 1920 में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत कीया



Body:भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय उन दिनों पत्रकार वकील के साथ कांग्रेस के बड़े नेता हुआ करते थे मालवीय जी ने इतने बड़े भूभाग विश्वविद्यालय का निर्माण तो कर दिया उसके साथ ही यहां पर उच्च शिक्षा के साथ देश को कैसे आजाद कराई जाए इसकी भी शिक्षा दी जाती रही विश्वविद्यालय के केवल शिक्षक ही नहीं बल्कि छात्र कर्मचारी भी देश को आजाद करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय इतिहास विभाग के प्रोफेसर राकेश पांडे से जानते हैं विश्वविद्यालय का आजादी में क्या योगदान रहा।


Conclusion:प्रोफ़ेसर राजेश पांडेय ने बताया काशी हिंदू विश्वविद्यालय का निर्माण भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के आकांक्षा का परिणाम है।बीएचयू के निर्माण और उसकी प्रक्रिया। स्वतंत्रता संग्राम यह बहुत बड़ी कड़ी मानी जाएगी। एक बहुत बड़ी घटना मानी जाएगी क्योंकि जब यह विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया इस विश्वविद्यालय को अस्तित्व में आने के लिए पूरे भारतवर्ष का भ्रमण किया गया उस भ्रमण करने में लोगों के मन में यह विश्वास आया कि यह एक हमारा विश्वविद्यालय आ रहा है उसके पहले जो विश्वविद्यालय भारत में अंग्रेजों ने बनाए थे जैसे मुंबई का विश्वविद्यालय मद्रास का विश्वविद्यालय यह परीक्षा लेने वाले विश्वविद्यालय थे। काशी हिंदू विश्वविद्यालय एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय था। विश्वविद्यालय का आजादी की लड़ाई में बहुत बड़ा योगदान रहा। यहां के छात्रों ने यहां पर शिक्षा ग्रहण करने के बाद पूरे विश्वविद्यालयों और पूरे देश के कोने कोने में जाकर आजादी की लड़ाई की कमान संभाली। जो भी भारत में आंदोलन हुआ उसका नेतृत्व खासतौर पर हम बात करें 1920 से लेकर 1922 तक असहयोग आंदोलन हुआ 1933 तक सभी सविय अवज्ञा आंदोलन। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन हुआ यह सभी अखिल भारतीय स्तर के आंदोलन थे जिसमें पूरी भारत की जनता ने भाग लिया इसका नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया। महात्मा गांधी के नेतृत्व और पंडित मदन मोहन मालवीय के आशीर्वाद से इन सभी आंदोलनों में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया।



नोट :-- संबंधित खबर 15 अगस्त के लिए स्पेशल है इसकी एडिटिंग हैदराबाद होगी इस खबर को करने के लिए गोपाल सर ने कहा था जिसमें इतिहासकार की बाइट पीटीसी और काशी हिंदू विश्वविद्यालय का शार्ट है कुछ शॉट और पुरानी तस्वीर है जो आजादी के समय के हैं।

अशुतोष उपध्याय

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