वाराणसी: भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय ने गंगा के तट पर बसी भगवान शिव की नगरी में 4 फरवरी 1916 को एशिया के सबसे बड़े भूभाग पर आवासीय विश्वविद्यालय काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की. तब से लेकर आज तक बसंत पंचमी के दिन विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस मनाया जाता है. ऐसे में विश्वविद्यालय के विभिन्न संकाय संस्थानों से झांकियां निकाली जाती हैं.
विश्वविद्यालय के विभिन्न संकाय संस्थानों में झांकियों की तैयारी अंतिम चरण में है. झांकियों के लिए बीएचयू छात्रावास से महिला महाविद्यालय तक सड़क के दोनों तरफ बांस बल्ली लगाई गई हैं. बीएचयू के स्थापना स्थल पर 30 जनवरी को शक्ति पूजन के बाद कैंपस में झांकियां निकाली जाएंगी. विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार की सफाई और लाइटिंग भी जारी है. मालवीय भवन और कुलपति आवास को भी रंगीन झालरों से सजाया जा रहा है.
विश्वविद्यालय की स्थापना से जुड़ीं देश की महान हस्तियां
मालवीय जी की सोच इतनी आगे थी कि वह जानते थे कि जब हमारा देश आजाद होगा तो हमारे देश को नेतृत्व करने वाले चाहिए होंगे. इसलिए उन्होंने आजादी के पहले ही विश्वविद्यालय की स्थापना कर देश के नेतृत्व करने वालों के बीज को रोप दिया. विश्वविद्यालय में स्थापना से लेकर उसके निर्माण तक डॉ. एनी बेसेंट, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णनन, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, काशी नरेश का विशेष योगदान रहा.
इसे भी पढ़ें- मिर्जापुर पहुंचे सीएम योगी, मां विंध्यवासिनी के किए दर्शन
मालवीय जी के वंशज आज भी दे रहे विश्वविद्यालयों को सेवा
1916 से लेकर अब तक मालवीय जी का परिवार विश्वविद्यालय को अपनी सेवाएं दे रहे हैं. मालवीय जी के पुत्र गोविंद मालवीय 1948 से 1951 विश्वविद्यालय के कुलपति थे. मालवीय जी के पौत्र जस्टिस गिरधर मालवीय वर्तमान समय में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं.
यह है विश्वविद्यालय की वर्तमान संरचना
वर्तमान में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में 6 संस्थान, 14 संकाय, 140 विभाग, 4 अंतर अनुवांशिक केंद्र, महिलाओं का संगठक महिला विद्यालय, 3 विद्यालय और 4 संबंधित डिग्री कॉलेज शामिल है. विश्वविद्यालय में 40 हजार छात्र-छात्राएं, 3 हजार शिक्षक तथा लगभग 10 सहायक कर्मचारी कार्य करते हैं.
वस्तुओं को रखा गया है सहेज कर
बीएचयू के भारत कला भवन म्यूजियम में मालवीय जी से जुड़ी वस्तुएं उनकी पुस्तकें, उनकी पोशाक, उनका साफा, उनके खड़ाऊं, उनका चश्मा आज भी सहेज कर रखा है. वहीं भारत रत्न भी इस म्यूजियम में रखा गया है. इसके साथ ही मालवीय भवन में मालवीय जी से जुड़े चित्र विश्वविद्यालय की स्थापना के समय के महत्व के फोटो सहेज कर रखे हुए हैं. इसे प्रतिदिन सैकड़ों पर्यटक देखने आते हैं.
संकाय संस्थानों से निकलेंगी 29 झांकियां
स्थापना दिवस पर कुल 29 झांकियां निकलेंगी. कैंपस में 17 गर्ल्स और 11 ब्वायज हॉस्टल के अलावा 80 छात्रावासों में सरस्वती प्रतिमा स्थापित होंगी. इनमें एक झांकी दृश्य कला संकाय द्वारा 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की थीम पर केंद्रित होगी. छात्र मयंक गुप्ता ने बताया कि हम लोग दृश्य कला संकाय के छात्र इस बार बनारस की थीम पर झांकी बना रहे हैं. इसमें बनारस की हर ऐतिहासिक चीज को दर्शाया गया है. बनारस की जो ट्रेडिशनल चीजें हैं. उन्हें स्थापना दिवस पर हम प्रस्तुत करेंगे.
इसे भी पढ़ें- गंगा यात्रा आज पहुंचेगी प्रयागराज, सीएम योगी त्रिवेणी घाट पर करेंगे पूजा-अर्चना
शोध छात्र शुभम तिवारी ने बताया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ना गर्व की बात है. जहां हर नेता गांधीजी, नेहरू जी और जिन्ना देश की आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे. वहीं महामना ने देश के स्वर्णिम युग का सपना देखते हुए इस विश्वविद्यालय की स्थापना की. हर बसंत पंचमी को हम विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस मनाते हैं और धरती के इस महामना को याद करते हैं. महामना ने उस समय 100 वर्ष आगे के भारत का सपना देखा था.
शारीरिक शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष अभिमन्यु सिंह ने बताया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर विभिन्न संकाय से झांकियां निकाली जाती हैं. इन झांकियों के माध्यम से वर्षभर की उपलब्धियों को दर्शाया जाता है. हमें गर्व है कि हम महामना के मानस पुत्र हैं और देश के सबसे आधुनिक विश्वविद्यालयों में से एक में शिक्षा दे रहे हैं.