वाराणसी: विश्व की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले काशी के बारे में अब आप पढ़ सकेंगे. काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अब नया कोर्स शुरू होगा, जिसका नाम 'स्टडी ऑफ काशी' होगा. इसका पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए समिति का गठन कर दिया गया है. सब कुछ ठीक रहा तो नए सत्र से दो वर्षीय पीजी कोर्स का प्रारंभ हो जाएगा.
सात समंदर पार से आते हैं लोग
कहा जाता है कि काशी इतिहास से भी प्राचीन है. शायद यही वजह है कि मां गंगा के रम्य तट पर अर्धचंद्राकार में बसी यह अनोखी नगरी, जिसको लाइट ऑफ सिटी कहते हैं, के बारे में अब छात्र पड़ सकेंगे. वह भी किसी पुस्तक में नहीं, बल्कि एक कोर्स के रूप में.
कोर्स की रूपरेखा तैयार करने के लिए बनाई गई कमेटी
नए कोर्स की रूपरेखा तैयार करने के लिए संकाय स्तर पर कमेटी बनाई गई है. रूपरेखा तैयार होने के बाद कमेटी इसे संकाय की पब्लिक प्लानिंग कमेटी के समक्ष रखेगी. इसलिए विश्वविद्यालय एकेडमिक काउंसिल के अध्ययन के बाद ही इस पर फाइनल मुहर लगाई जाएगी. बीएचयू में सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्र ने बताया कि 'स्टडी ऑफ काशी' कोर्स में काशी की आध्यात्मिक परंपरा, राजनीतिक परंपरा, धार्मिक परंपरा, संगीत परंपरा, साड़ी, पान, राजनीतिक इतिहास, भौगोलिक इतिहास, लकड़ी के खिलौने, कुटीर उद्योग और मां गंगा आदि के बारे में छात्रों को पढ़ाया जाएगा.
काशी को पढ़ाने वाला पहला विश्वविद्यालय बना बीएचयू
प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्र ने बताया कि इतिहास विभाग के साथ मिलकर 2 वर्षीय पीजी कोर्स प्रारंभ किया गया है, जिसमें काशी के बारे में पढ़ाया जाएगा. स्वतंत्र भारत में काशी हिंदू विश्वविद्यालय पहला विश्वविद्यालय है, जो काशी के बारे में बच्चों को अध्ययन कराने जा रहा है. नई पीढ़ी के बच्चों को काशी के बारे में वह बात नहीं पता, जो उन्हें होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि सामाजिक विज्ञान संकाय में यह नई योजना बनी है कि 2 वर्ष के एमए पाठ्यक्रम में काशी के बारे में पढ़ाया जाए. पाठ्यक्रम 'स्टडी ऑफ काशी नाम' से होगा. काशी में अगर काशी के बारे में नहीं पढ़ाया जाएगा तो कहां पढ़ाया जाएगा. आज के युवाओं को काशी के बारे में जानना बहुत ही जरूरी है.