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सरकार के हाथ में है काशी की बेटी का सपना, देश को दिला चुकी है स्वर्ण पदक - boxer deepika tiwari

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की बेटी और अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज दीपिका तिवारी ने अपने सपने को बरकरार रखने के लिए सरकार से मदद की गुहार लगाई है. मुक्केबाज दीपिका देश के लिये स्वर्ण पदक भी जीत चुकी हैं.

दीपिका तिवारी.
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Published : Aug 8, 2019, 9:12 PM IST

वाराणसी: देश के लिए मुक्केबाजी का प्रतिनिधित्व करने वाली बनारस की बेटी दीपिका तिवारी की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है. इसके लिए वह सरकार के साथ-साथ कई लोगों के दरवाजे खटखटा चुकी हैं. दरअसल दीपिका पिछले पांच सालों में एक भी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता नहीं हारी हैं और हर बार वह स्वर्ण पदक विजेता ही रही हैं.

मुक्केबाज दीपिका ने सरकार से लगाई मदद की गुहार.
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की मैच फीस देने के लिए दीपिका की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है.
  • आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण भी दीपिका देश को स्वर्ण पदक दिलाकर विश्व में एक नया मुकाम हासिल कर चुकी हैं.
  • फिलीपींस में डब्ल्यूबीसी में भारत को पहला स्थान दिलाने में दीपिका की प्रमुख भूमिका रही.
  • आगामी 16 नवंबर को अमेरिका के अटलांटा में आयोजित डब्लूआईबीएफ प्रतियोगिता में बनारस की बेटी हिस्सा लेने जा रही है.
  • आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से दीपिका को सही डाइट तक नहीं मिल पा रही है.
  • दीपिका का कहना है कि दिन भर में 8 घंटे की कड़ी मेहनत और एक भरपूर डाइट ही एक अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज को सफलता हासिल करा सकती है.
  • पैसों की कमी की वजह से दीपिका किसी अच्छे कोचिंग सेंटर में ट्रेनिंग नहीं ले पाती हैं.

दीपिका ने प्रदेश के खेल और सूचना राज्यमंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी को अपनी कहानी सुनाई. साथ ही प्रधानमंत्री को संबोधित पत्र मंत्री को देते हुए कहा है कि उसे खेल निदेशालय की ओर से आर्थिक मदद मिल जाएगी तो उसका जीवन आसान हो जाएगा. दीपिका ने बताया कि खेल राज्य मंत्री की तरफ से उन्हें मदद का पूरा आश्वासन मिला है. साथ ही यह भी कहा गया है कि सरकार की तरफ से जो भी हो सकेगा, वह उनके खेल को बढ़ावा देने के लिए करेगी.

वाराणसी: देश के लिए मुक्केबाजी का प्रतिनिधित्व करने वाली बनारस की बेटी दीपिका तिवारी की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है. इसके लिए वह सरकार के साथ-साथ कई लोगों के दरवाजे खटखटा चुकी हैं. दरअसल दीपिका पिछले पांच सालों में एक भी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता नहीं हारी हैं और हर बार वह स्वर्ण पदक विजेता ही रही हैं.

मुक्केबाज दीपिका ने सरकार से लगाई मदद की गुहार.
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की मैच फीस देने के लिए दीपिका की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है.
  • आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण भी दीपिका देश को स्वर्ण पदक दिलाकर विश्व में एक नया मुकाम हासिल कर चुकी हैं.
  • फिलीपींस में डब्ल्यूबीसी में भारत को पहला स्थान दिलाने में दीपिका की प्रमुख भूमिका रही.
  • आगामी 16 नवंबर को अमेरिका के अटलांटा में आयोजित डब्लूआईबीएफ प्रतियोगिता में बनारस की बेटी हिस्सा लेने जा रही है.
  • आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से दीपिका को सही डाइट तक नहीं मिल पा रही है.
  • दीपिका का कहना है कि दिन भर में 8 घंटे की कड़ी मेहनत और एक भरपूर डाइट ही एक अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज को सफलता हासिल करा सकती है.
  • पैसों की कमी की वजह से दीपिका किसी अच्छे कोचिंग सेंटर में ट्रेनिंग नहीं ले पाती हैं.

दीपिका ने प्रदेश के खेल और सूचना राज्यमंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी को अपनी कहानी सुनाई. साथ ही प्रधानमंत्री को संबोधित पत्र मंत्री को देते हुए कहा है कि उसे खेल निदेशालय की ओर से आर्थिक मदद मिल जाएगी तो उसका जीवन आसान हो जाएगा. दीपिका ने बताया कि खेल राज्य मंत्री की तरफ से उन्हें मदद का पूरा आश्वासन मिला है. साथ ही यह भी कहा गया है कि सरकार की तरफ से जो भी हो सकेगा, वह उनके खेल को बढ़ावा देने के लिए करेगी.

Intro:वाराणसी। कहते हैं धर्म की नगरी होने के साथ-साथ प्रधानमंत्री का यह संसदीय क्षेत्र परंपरा संस्कृति सभ्यता की धरोहर है और इसके साथ ही शिक्षा और खेल जगत की एक नई परिभाषा कायम करता आधुनिकता के दौर में उभरता एक संपूर्ण क्षेत्र है यह बनारस। बनारस के इस रस को और भी ज्यादा बढ़ाती है काशी की बेटियां जो अपने गुणों से न सिर्फ यहां की संस्कृति को जीवित रखती है बल्कि आधुनिकता के दौर में आगे बढ़कर इस शहर के साथ-साथ देश का नाम भी वैश्विक स्तर पर ले जा रही है।


Body:VO1: बनारस की रहने वाली एक बेटी दीपिका तिवारी देश के लिए मुक्केबाजी करती है और आज तक पिछले 5 सालों में दीपिका ने एक भी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता नहीं हारी है। दीपिका को अपनी कैटेगरी में हर प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक ही हासिल हुआ है पिछले 5 साल से मुख्य बाजी की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं खेलने वाली दीपिका की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है और इसके लिए वह सरकार के साथ-साथ कई लोगों के दरवाजे खटखटा चुकी है। बनारस की रहने वाली इस बेटी में प्रतिभा कूट-कूट कर भरी है पर हर बार उन्हें आर्थिक स्थिति के कारण दूसरों के आगे हाथ फैलाना पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए लगने वाली मैच फीस भी देने की दीपिका की फिलहाल स्थिति नहीं है लेकिन इन विषम परिस्थितियों में भी वह लगातार मेहनत कर रही हैं और देश को स्वर्ण पदक दिलाकर विश्व में एक नया मुकाम हासिल कर रही हैं। फिलीपींस में डब्ल्यूबीसी में भारत को पहला स्थान दिलाने में दीपिका की प्रमुख भूमिका रही है और आने वाले 16 नवंबर में अमेरिका के अटलांटा में आयोजित डब्लूआईबीएफ प्रतियोगिता में बनारस की बेटी हिस्सा लेने जा रही है। दीपिका पदक लाने के लिए कड़ी मेहनत तो कर रही है लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से उसको सही डाइट तक नहीं मिल पा रही है और इस बात कि अब चिंता सता रही है कि कहीं इस कारण उसका यह सपना अधूरा रह जाए। बनारस की है मुख्य बस बेटी सही खुराक ना मिलने से परेशान अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से पहले पीएम नरेंद्र मोदी के वाराणसी संसदीय कार्यालय अपने कोच धर्मेंद्र चौहान के साथ पहुंची थी जहां उन्होंने उत्तर प्रदेश के खेल और सूचना राज्यमंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी को अपनी कहानी सुनाई और प्रधानमंत्री को संबोधित पत्र मंत्री को देते हुए कहा है कि उसे खेल निदेशालय की ओर से आर्थिक मदद मिल जाएगी तो उसका जीवन आसान हो जाएगा।

बाइट: दीपिका तिवारी, अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज, वाराणसी


Conclusion:VO2: दीपिका का कहना है कि उसे वह खुराक नहीं मिल पाती है जो एक अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज खिलाड़ी को मिलनी चाहिए। हालांकि दीपिका ने बताया कि खेल राज्य मंत्री की तरफ से उन्हें मदद का पूरा आश्वासन मिला है और साथ ही यह भी कहा गया है कि सरकार की तरफ से जो भी हो सकेगा वह उनके खेल को बढ़ावा देने के लिए करेगी। दीपिका बताती है कि दिन भर में 8 घंटे की कड़ी मेहनत और एक भरपूर डाइट ही एक अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज को सफलता हासिल करवा सकती है। खुराक सही ना होने की वजह से वह अपनी 8 घंटे की ट्रेनिंग भी पूरी नहीं कर पाती हैं। घर की स्थिति ऐसी है कि खाना हमेशा चिंता का विषय बन जाता है। इसके साथ ही कई और तरीके की परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। दीपिका ने बताया कि वह पैसों की कमी की वजह से किसी अच्छे कोचिंग सेंटर में ट्रेनिंग नहीं ले पाती है और उनकी पिछले 3 साल की ट्रेनिंग भले ही मुफ्त कर दी गई हो पर उसके अलावा काफी चीजों को लेकर दूसरों के आगे हाथ फैलाने पड़ते हैं। भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताओं में उनका चयन हो जाता है पर वहां तक पहुंचने के लिए उनके पास पैसों की कमी हो जाती है। गौरतलब है कि दीपिका आज तक हर प्रतियोगिता को जीतती आयी हैं पर उनका यह रिकॉर्ड हो सकता है जल्दी ही टूट जाए क्योंकि उनका कहना है कि जिस तरीके की डाइट उन्हें मिल रही है उसके बाद कोई भी मुक्केबाज प्रतियोगिताएं नहीं जीत सकता है।

Regards
Arnima Dwivedi
Varanasi
7523863236
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