वाराणसी: कहते हैं काशी में कोई भूखा पेट नहीं रहता, क्योंकि यहां माता अन्नपूर्णा हर किसी का पेट स्वयं भरती हैं. लेकिन, अब माता अन्नपूर्णा के साथ बाबा विश्वनाथ भी लोगों का पेट भरेंगे. खास तौर पर यहां आने वाले दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी. इसके लिए विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने एक अन्य क्षेत्र की शुरुआत की है. जानिए क्या है इसकी खासियत.
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि बाबा विश्वनाथ के मंदिर में हर रोज लाखों की संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं और वह दर्शन-पूजन करने के बाद भगवान के प्रसाद की भी इच्छा जाहिर करते हैं. अब उन्हें विश्वनाथ मंदिर प्रशासन की तरफ से दोपहर में रोजाना होने वाली भोग आरती के बाद शाम 4 बजे तक दक्षिण भारतीय थाली प्रसाद स्वरूप में मिलेगी. अभी 1000 शिव भक्त इसका फायदा ले सकेंगे. ये थाली श्री काशी विश्वनाथ धाम की भोगशाला यानी अन्नपूर्णा भवन में तैयार होगी. इस भोग में लहसुन-प्याज का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं होगा.
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बाबा के दर्शन के बाद दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक मिलेगा प्रसाद
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि प्रसाद ग्रहण करने की व्यवस्था शुरू करा दी गई है. इसके लिए मंदिर के ट्रस्टी ब्रज भूषण ओझा और श्री काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी की अगुवाई में 51 ब्राह्मणों ने मंगलाचरण का पाठ किया. बाबा विश्वनाथ के दरबार की भोगशाला कालिका गली के सरस्वती फाटक के पास बनाई गई है. श्रद्धालु बाबा दर्शन करने के बाद दोपहर 12 बजे के बाद से शाम 4 बजे तक प्रसाद ग्रहण कर सकेंगे.
दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष थाली
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन की तरफ से शुरू किए गए भोगशाला में इसके पहले भी आम श्रद्धालुओं के साथ दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं के लिए भोजन की व्यवस्था उपलब्ध थी. मार्च महीने में तत्कालीन राज्य मंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने यहां व्यवस्था की शुरुआत की थी. उस समय भी श्रद्धालुओं को चावल, सांभर, पापड़, अचार के साथ भोजन परोसा जा रहा था. अब इस व्यवस्था को और विस्तृत करते हुए दक्षिण भारत से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष थाली की व्यवस्था शुरू की गई है. इसमें चावल, सांभर, दो तरह की सब्जी, रसम, छाछ, पापड़ और सलाद रहेगा. यह थाली तैयार करने की जिम्मेदारी श्री काशी नाटकोंट्टई नगर क्षतरम् को सौंपी गई है. इसका खर्च मंदिर प्रशासन उठाएगा. आने वाले वक्त में भक्तों की संख्या के मुताबिक ही प्रसाद की थाली बढ़ाई जाएंगी.
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