वाराणसी: शहर की पेयजल व्यवस्था को सुचारू रूप से चालू रखने के लिए सौर ऊर्जा से इसके संचालन की तैयारी की गई है. 2022 से वाराणसी की पेयजल व्यवस्था को सौर ऊर्जा से संचालित करने का प्लान तैयार किया गया है. इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बिजली कटौती के बाद भी सौर ऊर्जा के बल पर बिना किसी रूकावट के पेयजल की सप्लाई जारी रहेगी.
17 करोड़ की लागत से लगेगा सोलर प्लांट
वाराणसी जलकल में 2 मेगावाट के सौर ऊर्जा प्लांट को भेलूपुर स्थित जलकल मुख्यालय पर लगाने की तैयारी शुरू की है. 17 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले प्लांट का टेंडर पूरा हो चुका है. पंचायत चुनाव के बाद जल निगम मुख्यालय से इस पर स्वीकृति मिलने के बाद काम तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा. सौर ऊर्जा का प्लांट लगने के बाद रात के समय भी जल आपूर्ति संभव हो सकेगी. इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बिजली न होने पर भी जलापूर्ति प्रभावित नहीं होगी. मुख्य त्योहारों जैसे होली, दीवाली दशहरा या अन्य बड़े पर्व पर पानी की लगातार सप्लाई संभव हो सकेगी. प्लांट को चलाने के लिए सोलर पैनल लगाए जाएंगे जो सूर्य की रोशनी से रिचार्ज होकर अपना काम करेंगे.
एमपी में सफलता के बाद यूपी में ट्रायल
भोपाल और रीवा में सौर ऊर्जा से पानी की आपूर्ति की जा रही है जिसके परिणाम अच्छे हैं. इसे दृष्टिगत रखते हुए यूपी के वाराणसी में यह प्रयोग किया जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि जलकल विभाग को इससे फायदा होगा. जलकल विभाग का प्रतिमाह लगभग 4 करोड रुपए का बिजली बिल आता है लेकिन, 2 मेगावाट का प्लांट लगने से तकरीबन 50 लाख रुपए की अतिरिक्त बचत होगी. इस बारे में मुख्य अभियंता जल निगम एके पुरवार ने बताया कि 17 करोड़ रुपए की लागत से सौर ऊर्जा प्लांट लगाया जा रहा है. इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है. मुख्यालय से अनुमति मिलने के बाद काम तेजी से आगे बढ़ेगा.
जल निगम को मिली है जिम्मेदारी
जलकल के महाप्रबंधक रघुवेंद्र कुमार का कहना है कि जल निगम को सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इससे बिजली कटौती के बाद भी जलापूर्ति करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी. बता दें कि शहर के 2,00,000 से अधिक पानी के कनेक्शन की सप्लाई की जिम्मेदारी जलकल विभाग पर है.