वाराणसी: हुनर किसी उम्र का मोहताज नहीं होता. यह उदाहरण पीएम मोदी की जनसभा में चरितार्थ होते हुए दिखा, जब एक 5 साल की नन्हीं बच्ची गूगल की तरह हर उन सवालों का जवाब दे रही थी जिन सवालों को हम इंटरनेट के माध्यम से तलाशने में लगे रहते हैं. आज ईटीवी भारत आपको ऐसी ही एक बच्ची से मिलवाने जा रहा है जिसने ये साबित कर दिया कि हुनर और ज्ञान किसी बड़े स्कूल में पढ़ने से नहीं बल्कि भगवान का दिया हुआ तोहफा भी होता है. पीएम की जनसभा में अपने पिता के साथ आई हुई बच्ची का नाम दृष्टि मिश्रा है, जो कि वाराणसी के मिर्जामुराद की रहने वाली है. ग्रामीण अंचल में रहने वाली दृष्टि किसी बड़े कॉन्वेन्ट स्कूल में नहीं पढ़ती है बावजूद इसके अपनी उम्र से अधिक जानकारी इसके पास है. जानकारी ऐसी की अच्छे अच्छों के होश उड़ जाएं.
यूट्यूब से मिली प्रेरणा
दृष्टि मिश्रा ने बताया कि एक बार उसने यूट्यूब पर देखा कि एक लड़की को 150 देश के नाम याद थे. फिर दृष्टि ने भी मन में ठाना कि जब उस बच्ची को 150 देश का नाम याद है तो मैं उससे भी ज्यादा याद करूंगी. इसके बाद दृष्टि ने 195 देश के नाम और उसकी राजधानी को याद किया, जिसके लिए इन्हें सम्मानित भी किया गया है. दृष्टि ने बताया कि वह बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लिए भी काम करती हैं और लोगों को जागरूक करती हैं कि बेटियों को बोझ न समझें बल्कि, उन्हें जीने का मौका दें क्योंकि बेटियां भी इंसान होती हैं.
समाज के लिए है प्रेरणा
इस दौरान मौके पर मौजूद बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की क्षेत्रीय सह संयोजक सुष्मिता सेठ ने बताया कि ये छोटी बच्ची कोई साधारण बच्ची नहीं है बल्कि इसमें ऐसी प्रतिभा है जो समाज को बदलने का जज्बा रखती है. इसे 5 वर्ष की उम्र में 195 देशों के नाम याद हैं. यह प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने में जुटी हुई है. उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर यह आगे चलकर देश का भविष्य बदलेगी और मुझे इसपर गर्व है.
आईएएस बनने की है चाहत
बातचीत में दृष्टि के पिता ने बताया कि उन्हें गर्व है कि दृष्टि उनकी बेटी है. उनकी बच्ची समाज में अन्य बच्चों से अलग है. वह महज 5 वर्ष की है लेकिन, कक्षा 5 तक के बच्चों को पढ़ाती है. इसके साथ ही अन्य सामाजिक मुद्दों में रुचि भी रखती है. बड़े होकर ये आईएस बनना चाहती है जिससे समाज की सेवा कर सके.