ETV Bharat / state

वाह! तो ये है 126 वर्ष के पद्मश्री बाबा शिवानंद के सुखमय जिंदगी का राज..इस अचूक मंत्र को करते हैं फॉलो

राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री पुरस्कार लेने को पहुंचे बाबा शिवानंद ने पीएम व राष्ट्रपति को किया था दंडवत. दिल्ली से सम्मान को लेकर वापस वाराणसी पहुंचे बाबा से ETV भारत के संवाददाता गोपाल मिश्रा ने खास बातचीत की. इलेक्शन को लेकर बाबा बोले मेरा मानना है कि मताधिकार का प्रयोग सभी के लिए आवश्यक है और सभी को इसमें हिस्सा लेना चाहिए.

etv bharat
पद्मश्री बाबा शिवानंद
author img

By

Published : Mar 24, 2022, 4:11 PM IST

Updated : Mar 24, 2022, 9:56 PM IST

वाराणसी: आज के समय में अनियमित दिनचर्या कहें या असीमित बीमारियां इंसान की कम उम्र में मौत समान्य सी बात बन गई है. ऐसे में उम्र को मात देकर स्वस्थ जिंदगी जी रहे 126 साल के योग गुरु बाबा शिवानंद जी महाराज का वीडियो वायरल हो रहा है. जब काशी के शिवानंद बाबा राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री पुरस्कार लेने के लिए पहुंचे तो पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आगे दंडवत नमन किया.

बाबा शिवानंद वाराणसी के कबीर नगर इलाके के एक वन बीएचके फ्लैट में रहते हैं. इस फ्लैट में उनके शिष्य उनकी सेवा में दिन रात लगे रहते हैं. इस स्थान का नाम ही शिवानंद आश्रम है. 126 वर्ष के शिवानंद बाबा की झलक देखकर हर कोई आश्चर्यचकित रह गया. इन सबके बीच दिल्ली से इस सम्मान को लेकर वापस वाराणसी पहुंचे बाबा से ETV भारत ने खास बातचीत की. इस दौरान उनके शिष्य संजय भी मौजूद रहे.

पद्मश्री बाबा शिवानंद

यह भी पढ़ें- 125 वर्ष के पद्मश्री शिवानंद बाबा का अनोखा खान-पान, वीडियो देख बोल उठेंगे 'वाह'


1. स्वामी जी आपके लिए देश के सबसे बड़े सम्मान पद्मश्री को पाने के क्या मायने हैं?
शिवानंद बाबा - यह सम्मान मेरे लिए नहीं बल्कि देश के प्रत्येक नागरिक के लिए है. इसके मायने बहुत ज्यादा है क्योंकि योग के क्षेत्र में दिया गया यह सम्मान लोगों को स्वस्थ रहने और बेहतर दिनचर्या जीने के लिए प्रेरित करेगा. मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे इसके लिए चुना गया. मैं उन सभी का धन्यवाद देता हूं जिन्होंने मुझे इस काबिल समझा और योग को इतना बड़ा सम्मान देकर प्रेरित किया.

2. दुनिया को भारत ने योग सिखाया, आपने देश-विदेश में लाखों लोगों को योग अपनाने के लिए प्रेरित किया..
शिवानंद बाबा- योग जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. योग के साथ आपकी नियमित दिनचर्या का बेहतर होना बहुत जरूरी है. मैं आज इस उम्र में भी नियमित रूप से आधा घंटा योग करता हूं. पहले यह 3 घंटे फिर उम्र बढ़ने के बाद 2 घंटे और अब इतनी उम्र के बाद भी मैं आधा घंटा योग करके अपने आपको फिट रखने की कोशिश करता हूं. मेरा यही मानना है कि जीवन में स्वस्थ रहने के लिए सभी को योग करना चाहिए और अपनी दिनचर्या को बेहतर बनाने के साथ 6 घंटे की नींद लेनी चाहिए. इसके अलावा कम भोजन करना चाहिए जो आप को स्वस्थ रखने में बड़ा योगदान देता है.

3. आपने योग और स्पिरिचुअलिटी की शिक्षा से लाखों लोगों का जीवन बदला है, इसका मूल मंत्र क्या है?
शिवानंद बाबा- मूल मंत्र सिर्फ और सिर्फ योग है. योग आपके ध्यान को बढ़ाता है. आप एक तरफ केंद्रित हो पाते हैं. जब आप किसी कार्य के प्रति केंद्रित होते हैं तो आप खुद से ही अपने जीवन में सुधार महसूस करते हैं. योग के अलावा सबसे महत्वपूर्ण है, अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना. आज हर कोई कभी न खत्म होने वाली इच्छाओं को लेकर चल रहा है. इसकी वजह से तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यदि आप अपनी खत्म ना होने वाली इन इच्छाओं को नियंत्रित कर लेंगे तो आपका जीवन सुखमय हो जाएगा.

पद्मश्री बाबा शिवानंद
पद्मश्री बाबा शिवानंद
4. आपकी उम्र 126 साल हो चुकी है और आपका खान-पान दिनचर्या क्या रहती है?बाबा शिवानंद- 126 साल का होने के बाद भी मेरी दिनचर्या अभी वहीं है जो मैं बीते इतने सालों से फॉलो कर रहा हूं. (उनके शिष्य संजय ने बताया कि गुरुजी का मंत्र है नो ऑयल ओनली बॉईल. उनके शिष्य ने बताया कि सुबह सूर्योदय से पहले उठने के बाद वह अपने नियमित दिनचर्या को पूरा करते हुए आधा घंटा योगा करते हैं. फिर पूजा पाठ करने के बाद सुबह गर्म पानी पीते हैं. इसके अलावा दो रोटी एक सब्जी खाने के बाद पूरा दिन अपने कामों में लगे रहते हैं. लोगों से मिलना जुलना योग के लिए प्रेरित करना पसंद है. शाम को थोड़ा देर फिर योगा को समय देने के बाद उबले हुए भोजन जिसमें चूड़ा या अन्य कुछ सामग्री हो सकती है. इसे ग्रहण करते हैं और रात में फिर से हल्का भोजन लेकर वह 8 बजे से पहले ही सोने के लिए चले जाते हैं. गुरुजी का मानना है कि 6 घंटे की नींद बेहद आवश्यक होती है लेकिन जल्दी सो कर जल्दी उठने की आदत ही आपके जीवन को बेहतर बनाती है. आज की लाइफ स्टाइल रात में देर से सोना और सुबह देर से उठना यह सही नहीं है और ज्यादा तेल मसाले का भोजन लोगों की समस्याओं को बढ़ाने वाला है).5. बाबा जी आपको 126 साल का युवा कहना गलत नहीं होगा, इसका राज क्या है?बाबा शिवानंद- इस उम्र में भी आधा घंटा योग करना. उनको स्वस्थ रखने का काम कर रहा है. इसलिए 126 साल का युवा कहना कहीं से गलत नहीं है. आज भी अपनी नियमित दिनचर्या की वजह से स्वस्थ हैं और हाल ही में देश के कुछ बड़े प्राइवेट अस्पतालों की तरफ से फुल बॉडी चेकअप भी किया गया था, जिसमें उनको किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं मिली है. 6. बाबा जी 6 साल में आपने अपने माता पिता को खो दिया, उसके बाद भी योग के प्रति आपका लगाव कैसा रहा?बाबा शिवानंद- शिष्य संजय ने बताया कि 4 वर्ष की अवस्था में स्वामी शिवानंद जी अपने गुरु के पास अपने माता-पिता के साथ आए थे. अपने गुरु को योगा करता देखकर उनके मन में हमेशा से जिज्ञासा रहती थी. उन्होंने अपने गुरु को ही अपना आदर्श मान लिया. अचानक से नहीं बल्कि 4 वर्ष की अवस्था से ही वह अपने गुरु को योगा करता देखकर उनके कार्यों को ही करना चाहते थे और उन्होंने अपने गुरु के बताए रास्ते पर चलते हुए लोगों को अपने जीवन का आधार बना लिया.7. धर्म को लेकर लोगों के बीच आपसी दूरियां बढ़ रही हैं आपका क्या नजरिया है?बाबा शिवानंद-धर्म को लेकर इतना नहीं सोचते हैं क्योंकि उनका मानना है कि धर्म और अन्य बातें तभी मायने रखती हैं जब इंसान स्वस्थ रहता है. वह सिर्फ और सिर्फ पूरे विश्व को स्वस्थ रखने और बिल्कुल फिट रहने का मंत्र देना चाहते हैं. धर्म और यह सब बातें समझ में नहीं आतीं. आज के दौर में योगा हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है. योग करने से हर धर्म हर संप्रदाय के लोग स्वस्थ रहते हैं. जब देश स्वस्थ रहेगा तभी देश आगे बढ़ेगा.8. बनारस आना आपको कैसा लगता है, यहां आपको सबसे अच्छा क्या लगता है?बाबा शिवानंद- बनारस बहुत पसंद है. मैं यहां अपने माता-पिता के साथ आता-जाता रहता था. अब जब उम्र के इस पड़ाव पर हूं तो काशी में ही प्रवास कर रहा हूं. काशी में ही बस चुका हूं. अपने जीवन के अंतिम पलों को भी काशी में ही बिताना चाहता हूं. मैं जहां रहता हूं, वह केदारखंड में आता है. मुझे इतना विश्वास है कि केदारखंड में मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. बनारस में रहकर मैं खुद को भाग्यवान महसूस करता हूं.9. आपने पहली बार 2014 लोकसभा में वोट दिया' उससे पहले चुनाव में क्यों नहीं वोट दिया?बाबा शिवानंद- मैं 2014 से पहले देश के अलग-अलग हिस्से में घूमता रहता था. मैं एक जगह स्थिर रहता ही नहीं था. इसलिए मेरा कोई स्थाई पता न होने के कारण मैं वोट नहीं दे पा रहा था. 2014 में काशी में आकर यही बस गया और यहां से मेरे सारे डॉक्यूमेंट तैयार हुए. इसके बाद मैंने वोट दिया और इस बार भी मैंने विधानसभा चुनाव में मतदान किया. मेरा मानना है कि मताधिकार का प्रयोग सभी के लिए आवश्यक है और सभी को इसमें हिस्सा लेना चाहिए.10. बाबा जी! जब कोरोना के टीके को लेकर लोगों के मन में डर था, तब आपने सबसे पहले टीका लगवाया, डर नहीं लगा?बाबा शिवानंद- मुझे कोई डर नहीं लगा. स्वामी जी के शिष्य संजय का कहना था कि जब स्वामी जी ने टीका लगवाया तो उसका कवरेज मीडिया ने इतने बेहतर तरीके से दिया कि उनके इस प्रयास को देखकर बहुत से लोग खुद टीका लगवाने पहुंचे. स्वामी शिवानंद का कहना है कि टीका लगवाने के साथ योगा करते रहने से आपके अंदर इम्यूनिटी बूस्ट करती है और आप इस बीमारी से बच जाते हैं. टीकाकरण बेहद आवश्यक है.11. दरबार हॉल में सम्मान पाने से पहले आपने पीएम और राष्ट्रपति को नमन करके भारतीय संस्कृति की मिसाल दीबाबा शिवानंद- जब मैं वहां पहुंचा तो मेरे दिमाग में बाकी कुछ नहीं चल रहा था. मेरे लिए व्यक्ति से ज्यादा पद महत्वपूर्ण है. वहां बैठे हर व्यक्ति मुझे नारायण के रूप में नजर आ रहे थे. मैंने वही किया जो हिंदू संस्कृति में किया जाता है. झुककर नमन करते हुए मैंने सभी का धन्यवाद दिया और जब मुझे राष्ट्रपति जी ने उठाकर सम्मानित किया, उसके बाद उन्होंने मुझसे पूछा आप स्वस्थ हैं. किसी तरह की कोई परेशानी तो नहीं है. इस पर मैंने किसी तरह की कोई दिक्कत न होने की बात कही. बस सुनने में दिक्कत होती है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

वाराणसी: आज के समय में अनियमित दिनचर्या कहें या असीमित बीमारियां इंसान की कम उम्र में मौत समान्य सी बात बन गई है. ऐसे में उम्र को मात देकर स्वस्थ जिंदगी जी रहे 126 साल के योग गुरु बाबा शिवानंद जी महाराज का वीडियो वायरल हो रहा है. जब काशी के शिवानंद बाबा राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री पुरस्कार लेने के लिए पहुंचे तो पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आगे दंडवत नमन किया.

बाबा शिवानंद वाराणसी के कबीर नगर इलाके के एक वन बीएचके फ्लैट में रहते हैं. इस फ्लैट में उनके शिष्य उनकी सेवा में दिन रात लगे रहते हैं. इस स्थान का नाम ही शिवानंद आश्रम है. 126 वर्ष के शिवानंद बाबा की झलक देखकर हर कोई आश्चर्यचकित रह गया. इन सबके बीच दिल्ली से इस सम्मान को लेकर वापस वाराणसी पहुंचे बाबा से ETV भारत ने खास बातचीत की. इस दौरान उनके शिष्य संजय भी मौजूद रहे.

पद्मश्री बाबा शिवानंद

यह भी पढ़ें- 125 वर्ष के पद्मश्री शिवानंद बाबा का अनोखा खान-पान, वीडियो देख बोल उठेंगे 'वाह'


1. स्वामी जी आपके लिए देश के सबसे बड़े सम्मान पद्मश्री को पाने के क्या मायने हैं?
शिवानंद बाबा - यह सम्मान मेरे लिए नहीं बल्कि देश के प्रत्येक नागरिक के लिए है. इसके मायने बहुत ज्यादा है क्योंकि योग के क्षेत्र में दिया गया यह सम्मान लोगों को स्वस्थ रहने और बेहतर दिनचर्या जीने के लिए प्रेरित करेगा. मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे इसके लिए चुना गया. मैं उन सभी का धन्यवाद देता हूं जिन्होंने मुझे इस काबिल समझा और योग को इतना बड़ा सम्मान देकर प्रेरित किया.

2. दुनिया को भारत ने योग सिखाया, आपने देश-विदेश में लाखों लोगों को योग अपनाने के लिए प्रेरित किया..
शिवानंद बाबा- योग जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. योग के साथ आपकी नियमित दिनचर्या का बेहतर होना बहुत जरूरी है. मैं आज इस उम्र में भी नियमित रूप से आधा घंटा योग करता हूं. पहले यह 3 घंटे फिर उम्र बढ़ने के बाद 2 घंटे और अब इतनी उम्र के बाद भी मैं आधा घंटा योग करके अपने आपको फिट रखने की कोशिश करता हूं. मेरा यही मानना है कि जीवन में स्वस्थ रहने के लिए सभी को योग करना चाहिए और अपनी दिनचर्या को बेहतर बनाने के साथ 6 घंटे की नींद लेनी चाहिए. इसके अलावा कम भोजन करना चाहिए जो आप को स्वस्थ रखने में बड़ा योगदान देता है.

3. आपने योग और स्पिरिचुअलिटी की शिक्षा से लाखों लोगों का जीवन बदला है, इसका मूल मंत्र क्या है?
शिवानंद बाबा- मूल मंत्र सिर्फ और सिर्फ योग है. योग आपके ध्यान को बढ़ाता है. आप एक तरफ केंद्रित हो पाते हैं. जब आप किसी कार्य के प्रति केंद्रित होते हैं तो आप खुद से ही अपने जीवन में सुधार महसूस करते हैं. योग के अलावा सबसे महत्वपूर्ण है, अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना. आज हर कोई कभी न खत्म होने वाली इच्छाओं को लेकर चल रहा है. इसकी वजह से तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यदि आप अपनी खत्म ना होने वाली इन इच्छाओं को नियंत्रित कर लेंगे तो आपका जीवन सुखमय हो जाएगा.

पद्मश्री बाबा शिवानंद
पद्मश्री बाबा शिवानंद
4. आपकी उम्र 126 साल हो चुकी है और आपका खान-पान दिनचर्या क्या रहती है?बाबा शिवानंद- 126 साल का होने के बाद भी मेरी दिनचर्या अभी वहीं है जो मैं बीते इतने सालों से फॉलो कर रहा हूं. (उनके शिष्य संजय ने बताया कि गुरुजी का मंत्र है नो ऑयल ओनली बॉईल. उनके शिष्य ने बताया कि सुबह सूर्योदय से पहले उठने के बाद वह अपने नियमित दिनचर्या को पूरा करते हुए आधा घंटा योगा करते हैं. फिर पूजा पाठ करने के बाद सुबह गर्म पानी पीते हैं. इसके अलावा दो रोटी एक सब्जी खाने के बाद पूरा दिन अपने कामों में लगे रहते हैं. लोगों से मिलना जुलना योग के लिए प्रेरित करना पसंद है. शाम को थोड़ा देर फिर योगा को समय देने के बाद उबले हुए भोजन जिसमें चूड़ा या अन्य कुछ सामग्री हो सकती है. इसे ग्रहण करते हैं और रात में फिर से हल्का भोजन लेकर वह 8 बजे से पहले ही सोने के लिए चले जाते हैं. गुरुजी का मानना है कि 6 घंटे की नींद बेहद आवश्यक होती है लेकिन जल्दी सो कर जल्दी उठने की आदत ही आपके जीवन को बेहतर बनाती है. आज की लाइफ स्टाइल रात में देर से सोना और सुबह देर से उठना यह सही नहीं है और ज्यादा तेल मसाले का भोजन लोगों की समस्याओं को बढ़ाने वाला है).5. बाबा जी आपको 126 साल का युवा कहना गलत नहीं होगा, इसका राज क्या है?बाबा शिवानंद- इस उम्र में भी आधा घंटा योग करना. उनको स्वस्थ रखने का काम कर रहा है. इसलिए 126 साल का युवा कहना कहीं से गलत नहीं है. आज भी अपनी नियमित दिनचर्या की वजह से स्वस्थ हैं और हाल ही में देश के कुछ बड़े प्राइवेट अस्पतालों की तरफ से फुल बॉडी चेकअप भी किया गया था, जिसमें उनको किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं मिली है. 6. बाबा जी 6 साल में आपने अपने माता पिता को खो दिया, उसके बाद भी योग के प्रति आपका लगाव कैसा रहा?बाबा शिवानंद- शिष्य संजय ने बताया कि 4 वर्ष की अवस्था में स्वामी शिवानंद जी अपने गुरु के पास अपने माता-पिता के साथ आए थे. अपने गुरु को योगा करता देखकर उनके मन में हमेशा से जिज्ञासा रहती थी. उन्होंने अपने गुरु को ही अपना आदर्श मान लिया. अचानक से नहीं बल्कि 4 वर्ष की अवस्था से ही वह अपने गुरु को योगा करता देखकर उनके कार्यों को ही करना चाहते थे और उन्होंने अपने गुरु के बताए रास्ते पर चलते हुए लोगों को अपने जीवन का आधार बना लिया.7. धर्म को लेकर लोगों के बीच आपसी दूरियां बढ़ रही हैं आपका क्या नजरिया है?बाबा शिवानंद-धर्म को लेकर इतना नहीं सोचते हैं क्योंकि उनका मानना है कि धर्म और अन्य बातें तभी मायने रखती हैं जब इंसान स्वस्थ रहता है. वह सिर्फ और सिर्फ पूरे विश्व को स्वस्थ रखने और बिल्कुल फिट रहने का मंत्र देना चाहते हैं. धर्म और यह सब बातें समझ में नहीं आतीं. आज के दौर में योगा हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है. योग करने से हर धर्म हर संप्रदाय के लोग स्वस्थ रहते हैं. जब देश स्वस्थ रहेगा तभी देश आगे बढ़ेगा.8. बनारस आना आपको कैसा लगता है, यहां आपको सबसे अच्छा क्या लगता है?बाबा शिवानंद- बनारस बहुत पसंद है. मैं यहां अपने माता-पिता के साथ आता-जाता रहता था. अब जब उम्र के इस पड़ाव पर हूं तो काशी में ही प्रवास कर रहा हूं. काशी में ही बस चुका हूं. अपने जीवन के अंतिम पलों को भी काशी में ही बिताना चाहता हूं. मैं जहां रहता हूं, वह केदारखंड में आता है. मुझे इतना विश्वास है कि केदारखंड में मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. बनारस में रहकर मैं खुद को भाग्यवान महसूस करता हूं.9. आपने पहली बार 2014 लोकसभा में वोट दिया' उससे पहले चुनाव में क्यों नहीं वोट दिया?बाबा शिवानंद- मैं 2014 से पहले देश के अलग-अलग हिस्से में घूमता रहता था. मैं एक जगह स्थिर रहता ही नहीं था. इसलिए मेरा कोई स्थाई पता न होने के कारण मैं वोट नहीं दे पा रहा था. 2014 में काशी में आकर यही बस गया और यहां से मेरे सारे डॉक्यूमेंट तैयार हुए. इसके बाद मैंने वोट दिया और इस बार भी मैंने विधानसभा चुनाव में मतदान किया. मेरा मानना है कि मताधिकार का प्रयोग सभी के लिए आवश्यक है और सभी को इसमें हिस्सा लेना चाहिए.10. बाबा जी! जब कोरोना के टीके को लेकर लोगों के मन में डर था, तब आपने सबसे पहले टीका लगवाया, डर नहीं लगा?बाबा शिवानंद- मुझे कोई डर नहीं लगा. स्वामी जी के शिष्य संजय का कहना था कि जब स्वामी जी ने टीका लगवाया तो उसका कवरेज मीडिया ने इतने बेहतर तरीके से दिया कि उनके इस प्रयास को देखकर बहुत से लोग खुद टीका लगवाने पहुंचे. स्वामी शिवानंद का कहना है कि टीका लगवाने के साथ योगा करते रहने से आपके अंदर इम्यूनिटी बूस्ट करती है और आप इस बीमारी से बच जाते हैं. टीकाकरण बेहद आवश्यक है.11. दरबार हॉल में सम्मान पाने से पहले आपने पीएम और राष्ट्रपति को नमन करके भारतीय संस्कृति की मिसाल दीबाबा शिवानंद- जब मैं वहां पहुंचा तो मेरे दिमाग में बाकी कुछ नहीं चल रहा था. मेरे लिए व्यक्ति से ज्यादा पद महत्वपूर्ण है. वहां बैठे हर व्यक्ति मुझे नारायण के रूप में नजर आ रहे थे. मैंने वही किया जो हिंदू संस्कृति में किया जाता है. झुककर नमन करते हुए मैंने सभी का धन्यवाद दिया और जब मुझे राष्ट्रपति जी ने उठाकर सम्मानित किया, उसके बाद उन्होंने मुझसे पूछा आप स्वस्थ हैं. किसी तरह की कोई परेशानी तो नहीं है. इस पर मैंने किसी तरह की कोई दिक्कत न होने की बात कही. बस सुनने में दिक्कत होती है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

Last Updated : Mar 24, 2022, 9:56 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.