वाराणसी: बच्चों को गुलाम और आजाद भारत की आंखों देखी कहानी सुनाने वाले 113 वर्ष के झुलई प्रजापति का शनिवार शाम 4:30 बजे निधन हो गया. वह जिले के सारनाथ क्षेत्र के सिंहपुर में रहते थे. वह दूर-दूर तक लोगों के बीच वैद्य के नाम से पहचाने जाते थे. झुलई पहलवान हर तरह के फोड़े-फुंसी के बारे में अच्छी जानकारी रखते थे.
झुलई पहलवान प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से लोगों की निःशुल्क चिकित्सा करते थे. वह हड्डी और नसों के भी जानकार थे. उस जमाने में जब एक्सरे का कोई चलन नहीं था, तब वह अपने हाथों से छूकर हड्डियों की टूटी स्थिति को बता दिया करते थे. साथ ही जानवरों के रोगों के इलाज का प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से उपचार करने वाले पहलवान आजादी को इतने करीब से देखने वाले क्षेत्र के एकमात्र सबसे बुजुर्ग व्यक्ति थे. वह कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. उनका दाह संस्कार सराय मोहाना घाट पर किया गया. उन्हें बड़े बेटे गौरीशंकर ने मुखाग्नि दी. वह अपने पीछे 99 वर्षीय पत्नी, 4 बेटों, पोते, पोतियों का भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं.