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जानिए ऐसे पवित्र स्थल के बारे में, जहां वाल्मीकि ने रची थी रामायण

यूपी के उन्नाव स्थित परियर कस्बा...वही पवित्र तीर्थ स्थल है, जहां पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र के पुत्र लव-कुश का जन्म हुआ था. मान्यता है कि महर्षि वाल्मीकि ने यहां पर मौजूद वट वृक्ष के नीचे रामायण की रचना की थी.

वाल्मीकि जयंती
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Published : Oct 13, 2019, 9:28 PM IST

उन्नाव: उत्तर प्रदेश में ऐसे कई पौराणिक और धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जो किसी न किसी ग्रंथ से जुड़े होने के कारण इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं. तो वहीं कुछ ऐसे भी धार्मिक स्थल हैं, जो अभी भी गुमनामी के अंधेरे के चलते इतिहास से कोसों दूर हैं. ऐसा ही एक धार्मिक उन्नाव जिले के परियर कस्बे में स्थित है, जो रामायण काल की कई अनोखी घटनाओं को अपने आप में संजोए हुए हैं.

परियर कस्बा, जहां महर्षि वाल्मीकि ने की थी रामायण की रचना.

पढ़ें: आर्थिक लाभ के कारण यहां 6 दिन बाद होता है रावण दहन

परियर है महर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि
परियर कस्बा वह पवित्र तीर्थ स्थल है, जहां पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र के पुत्र लव-कुश का जन्म हुआ था. यहां महर्षि वाल्मीकि का आश्रम भी है, जहां पर माता सीता ने अपने जीवन के कई साल बिताए थे. मान्यता तो यह भी है कि महर्षि वाल्मीकि ने यहां पर मौजूद वट वृक्ष के नीचे ही रामायण की रचना भी की थी.

परियर में ही श्री राम की सेना और लव-कुश में हुआ था युद्ध
जिले के परियर कस्बे में ही पर लव-कुश और भगवान रामचंद्र जी की सेना के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें श्री राम की सेना परास्त हुई थी. यहां आज भी खुदाई के दौरान इस स्थान से बाणों के कई फलक मिलते हैं. साथ ही आश्रम के अंदर खड़ा बरगद का पेड़ माता सीता के जीवन के कई पहलुओं की याद दिलाता है और अपने अंत समय में धरती में समा जाने वाला यह स्थान आज भी जानकीकुंड के रूप में मौजूद है.

उन्नाव: उत्तर प्रदेश में ऐसे कई पौराणिक और धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जो किसी न किसी ग्रंथ से जुड़े होने के कारण इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं. तो वहीं कुछ ऐसे भी धार्मिक स्थल हैं, जो अभी भी गुमनामी के अंधेरे के चलते इतिहास से कोसों दूर हैं. ऐसा ही एक धार्मिक उन्नाव जिले के परियर कस्बे में स्थित है, जो रामायण काल की कई अनोखी घटनाओं को अपने आप में संजोए हुए हैं.

परियर कस्बा, जहां महर्षि वाल्मीकि ने की थी रामायण की रचना.

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परियर है महर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि
परियर कस्बा वह पवित्र तीर्थ स्थल है, जहां पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र के पुत्र लव-कुश का जन्म हुआ था. यहां महर्षि वाल्मीकि का आश्रम भी है, जहां पर माता सीता ने अपने जीवन के कई साल बिताए थे. मान्यता तो यह भी है कि महर्षि वाल्मीकि ने यहां पर मौजूद वट वृक्ष के नीचे ही रामायण की रचना भी की थी.

परियर में ही श्री राम की सेना और लव-कुश में हुआ था युद्ध
जिले के परियर कस्बे में ही पर लव-कुश और भगवान रामचंद्र जी की सेना के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें श्री राम की सेना परास्त हुई थी. यहां आज भी खुदाई के दौरान इस स्थान से बाणों के कई फलक मिलते हैं. साथ ही आश्रम के अंदर खड़ा बरगद का पेड़ माता सीता के जीवन के कई पहलुओं की याद दिलाता है और अपने अंत समय में धरती में समा जाने वाला यह स्थान आज भी जानकीकुंड के रूप में मौजूद है.

Intro:उन्नाव ::- उत्तर प्रदेश मैं कई पौराणिक और धार्मिक स्थल मौजूद हैं जो किसी ना किसी ग्रंथ और महा ग्रंथ के रूप में इतिहास के पन्नों में दर्ज है लेकिन कुछ ऐसे भी धार्मिक स्थल हैं जो अभी भी गुमनामी के अंधेरे में ऐतिहासिक पन्नों से कोसों दूर हैं ऐसा ही एक धार्मिक स्थल है परियर उन्नाव जिले में गंगा नदी के किनारे बसा है यह कस्बा रामायण काल की कई अनोखी घटना को अपने में संजोए हुए हैं यही व पवित्र तीर्थ स्थल है जहां पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी के दोनों पुत्र लव और कुश का जन्म हुआ था यहां पर स्थित है वह बाल्मीकि आश्रम जहां पर माता सीता ने अपने जीवन के कई साल बिताए आश्रम के पास ही महाराण नामक वह स्थान है जहां पर लव कुश और भगवान रामचंद्र जी की सेना के बीच भयानक युद्ध हुआ था जिसमें श्री राम की सेना परास्त हुई थी आज भी खुदाई के दौरान इस स्थान से बाणों के कई फलक मिलते हैं आश्रम के अंदर खड़ा या बरगद का पेड़ माता सीता के जीवन के कई पहलुओं की याद दिलाता है और अपने अंत समय में धरती में समा जाने वाला यह स्थान आज भी जानकीकुंड के रूप में मौजूद है


Body:जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने मंदिर के पुजारी ब्रजकिशोर से जब बात की गई तो उन्होंने बताया की जब माता सीता के दोनो पुत्रो ने लव और कुश ने श्री राम के अश्वमेघ वाला घोड़ा खोला गया था अभी उस घोड़े पर नजर लव और कुश की पड़ी तो दोनो बालको ने चुनौती को स्वीकार कर घोड़े को पकड़ लिया और श्री राम की सेना से युद्ध करने के लिए तो तैयार हो गए जिस पर घोड़े को और हनुमान जी को बंदी बनाकर बरगद के पेड़ में बांध दिया था


Conclusion:उत्तर प्रदेश के उन्नाव जनपद परियर बिठूर मार्ग गंगा मईया की नगरी महर्षि बाल्मीकि की तपोभूमि माँ जानकी की सारण स्थली महराज लव कुश की जन्म स्थली व रण स्थली कहे जाने वाले जानकी कुण्ड धाम जो अपनी गाथाओ के चलते इतिहास के पन्नो मे सुनहरे आझरो से लिखा गया है जानकी धाम मे साल के बारो महीने सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है
परियर क्षेत्र जो कभी सघन वन के नाम से जाना जाता था आज महर्षि बाल्मीकि की जयंती पर बहुत ही सुंदर कार्यक्रमों के आयोजन के साथ साथ भण्डारे का आयोजन किया गया
जानकी कुण्ड धाम के अझय बर्ट जिसमे लवकुश महाराज ने अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को पकड़ कर बाँधा था इसी अझय वार्ट के नीचे महर्षि बाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी
जानकी कुण्ड के वट वृक्ष की एक विशेषता है जो जानकी धाम की परिक्रमा करता हुवा दिखाई देता है

उन्नाव
अंकित दीक्षित
9169728040
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