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उन्नाव रेप पीड़िता और उसके परिजनों को दिल्ली में रहने का आदेश - एम्स से डिस्चार्ज

पीड़िता के 25 सितंबर को एम्स से डिस्चार्ज होने की उम्मीद है. उसके बाद पीड़िता और उसकी मां, दो बहनें और एक भाई एम्स के हॉस्टल में एक हफ्ते तक अस्थायी रुप से रहेंगे.

एम्स दिल्ली.
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Published : Sep 25, 2019, 9:31 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने उन्नाव रेप पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों को दिल्ली में रहने की व्यवस्था करने का आदेश दिया है. डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज धर्मेश शर्मा को उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि पीड़िता और उसके परिजन यूपी में नहीं रहना चाहते हैं क्योंकि यहां उन्हें अपनी जान का खतरा महसूस हो रहा है. उसके बाद कोर्ट ने पीड़िता और उसके परिजनों को दिल्ली में रहने की व्यवस्था करने का आदेश दिया.

पीड़िता के आज यानि 25 सितंबर को एम्स अस्पताल से डिस्चार्ज होने की उम्मीद है. उसके बाद पीड़िता और उसकी मां, दो बहनें और एक भाई एम्स के हॉस्टल में एक हफ्ते तक अस्थायी रुप से रहेंगे. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पीड़िता को पिछले 28 जुलाई को लखनऊ से दिल्ली एम्स में इलाज के लिए शिफ्ट किया गया था.

पिछले 11 और 12 सितंबर को जज धर्मेश शर्मा ने एम्स के ट्रॉमा सेंटर जाकर बने अस्थायी कोर्ट में पीड़िता का बयान दर्ज किया था. पीड़िता का बयान इन-कैमरा दर्ज किया गया. बयान दर्ज करने के दौरान आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को भी ट्रामा सेंटर में बनाए गए अस्थायी कोर्ट में पेश किया गया था.

बता दें कि पिछले 6 सितंबर को जज धर्मेश शर्मा ने ट्रायल पूरा करने के लिए 45 दिन की समयसीमा को बढ़ाये जाने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसकी इजाजत देते हुए कहा था कि आगे भी समय सीमा बढ़ाये जाने की ज़रूरत महसूस होने पर वो सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं.

पिछले 2 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तीस हजारी कोर्ट से पूछा था कि मामले की सुनवाई करने में कितना समय लगेगा. दरअसल इस मामले के एक आरोपी शशि सिंह ने कोर्ट को बताया कि इस केस से जुड़े दुर्घटना मामले में सीबीआई की ओर से अभी तक आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया है.

नई दिल्ली: दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने उन्नाव रेप पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों को दिल्ली में रहने की व्यवस्था करने का आदेश दिया है. डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज धर्मेश शर्मा को उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि पीड़िता और उसके परिजन यूपी में नहीं रहना चाहते हैं क्योंकि यहां उन्हें अपनी जान का खतरा महसूस हो रहा है. उसके बाद कोर्ट ने पीड़िता और उसके परिजनों को दिल्ली में रहने की व्यवस्था करने का आदेश दिया.

पीड़िता के आज यानि 25 सितंबर को एम्स अस्पताल से डिस्चार्ज होने की उम्मीद है. उसके बाद पीड़िता और उसकी मां, दो बहनें और एक भाई एम्स के हॉस्टल में एक हफ्ते तक अस्थायी रुप से रहेंगे. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पीड़िता को पिछले 28 जुलाई को लखनऊ से दिल्ली एम्स में इलाज के लिए शिफ्ट किया गया था.

पिछले 11 और 12 सितंबर को जज धर्मेश शर्मा ने एम्स के ट्रॉमा सेंटर जाकर बने अस्थायी कोर्ट में पीड़िता का बयान दर्ज किया था. पीड़िता का बयान इन-कैमरा दर्ज किया गया. बयान दर्ज करने के दौरान आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को भी ट्रामा सेंटर में बनाए गए अस्थायी कोर्ट में पेश किया गया था.

बता दें कि पिछले 6 सितंबर को जज धर्मेश शर्मा ने ट्रायल पूरा करने के लिए 45 दिन की समयसीमा को बढ़ाये जाने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसकी इजाजत देते हुए कहा था कि आगे भी समय सीमा बढ़ाये जाने की ज़रूरत महसूस होने पर वो सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं.

पिछले 2 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तीस हजारी कोर्ट से पूछा था कि मामले की सुनवाई करने में कितना समय लगेगा. दरअसल इस मामले के एक आरोपी शशि सिंह ने कोर्ट को बताया कि इस केस से जुड़े दुर्घटना मामले में सीबीआई की ओर से अभी तक आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया है.

Intro:नई दिल्ली। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने उन्नाव रेप पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों को दिल्ली में रहने की व्यवस्था करने का आदेश दिया था। डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज धर्मेश शर्मा को आज उत्तरप्रदेश सरकार ने बताया कि पीड़िता और उसके परिजन यूपी में नहीं रहना चाहते हैं क्योंकि वहां उन्हें अपनी जान पर खतरा महसूस हो रहा है। उसके बाद कोर्ट ने पीड़िता और उसके परिजनों को दिल्ली में रहने की व्यवस्था करने का आदेश दिया।



Body:पीड़िता के कल यानि 25 सितंबर को एम्स अस्पताल से डिस्चार्ज होने की उम्मीद है। उसके बाद पीड़िता और उसकी मां, दो बहनें और एक भाई एम्स के हॉस्टल में एक हफ्ते तक अस्थायी रुप से रहेंगे।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पीड़िता को पिछले 28 जुलाई को लखनऊ से दिल्ली एम्स में इलाज के लिए शिफ्ट किया गया था। 
पिछले 11 और 12 सितंबर को जज धर्मेश शर्मा ने एम्स के ट्रॉमा सेंटर जाकर बने अस्थायी कोर्ट में पीड़िता का बयान दर्ज किया था। पीड़िता का बयान इन-कैमरा दर्ज किया गया । बयान दर्ज करने के दौरान आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को भी ट्रामा सेंटर में बनाए गए अस्थायी कोर्ट में पेश किया गया था।
पिछले 6 सितंबर को जज धर्मेश शर्मा ने ट्रायल पूरा करने के लिए 45 दिन की समयसीमा को बढ़ाये जाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी इजाजत देते हुए कहा था कि आगे भी समयसीमा बढ़ाये जाने की ज़रूरत महसूस होने पर वो सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं।



Conclusion:पिछले 2 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तीस हजारी कोर्ट से पूछा था कि मामले की सुनवाई करने में कितना समय लगेगा। दरअसल इस मामले के एक आरोपी शशि सिंह ने कोर्ट को बताया कि इस केस से जुड़े दुर्घटना मामले में सीबीआई की ओर से अभी तक आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया है।
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