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बहराइच: भरथापुर के ग्रामीणों को किया जाएगा विस्थापित - भारत-नेपाल सीमा

यूपी के बहराइच के मिहीपुरवा तहसील क्षेत्र के अंतर्गत भारत-नेपाल सीमा पर गेरुआ और कौडियाला नदियों के बीच टापू की मानिंद कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के घने जंगलों के बीच बसें भरथापुर गांव के निवासियों के दिन बहुरने वाले हैं. भरतपुर गांव के निवासियों को विस्थापित कर कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के ही ककरहा वन रेन्ज अंतर्गत स्थित नौबना बीट में जंगल के खाली भू-भाग पर बसाया जाएगा.

भरथापुर के ग्रामीणों को किया जाएगा विस्थापित
भरथापुर के ग्रामीणों को किया जाएगा विस्थापित
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Published : Jul 16, 2020, 5:03 PM IST

बहराइच: मिहीपुरवा तहसील क्षेत्र के अंतर्गत भारत-नेपाल सीमा पर गेरुआ और कौडियाला नदियों के बीच टापू की मानिंद कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के घने जंगलों के बीच बसे भरथापुर गांव के निवासियों के दिन बहुरने वाले हैं. भरतपुर गांव के निवासियों को विस्थापित कर कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के ही ककरहा वन रेन्ज अंतर्गत स्थित नौबना बीट में जंगल के खाली भू-भाग पर बसाया जाएगा. भरतपुर को विस्थापित करने की मांग काफी दिनों से चल रही थी. इसके लिए प्रशासन द्वारा काफी दिनों से प्रयास भी किए जा रहे हैं.

तहसील स्तरीय टीम का गठन
विस्थापन प्रक्रिया को गति देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर जिलाधिकारी शम्भू कुमार ने उपजिलाधिकारी मिहीपुरवा के नेतृत्व में एक तहसील स्तरीय टीम का गठन किया है. इसमें कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी, खंड विकास अधिकारी मिहींपुरवा, एसएसबी के एक समकक्ष अधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोतीपुर के प्रभारी चिकित्साधिकारी को सदस्य बनाया गया है. जिलाधिकारी के निर्देशन में उपजिलाधिकारी के नेतृत्व में बनी टीम ने मंगलवार को भरथापुर ग्राम का दौरा किया.

नौबना में किया जाएगा विस्थापित
एसडीएम बाबूराम ने बताया कि शासन के निर्देश पर भरथापुर के ग्रामीणों को नौबना जंगल की वन भूमि पर बसाया जाएगा, क्योंकि भरथापुर गांव नेपाल से आईं दो नदियों और कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के घने जंगलों के बीच बसा है. घने जंगलों के बीच दुरूह क्षेत्र में बसा होने के कारण भरथापुर के ग्रामीणों को आएदिन जंगली हाथियों सहित खतरनाक वन्य जीवों के हमले से दो-चार होना पड़ता है. अपनी दैनिक उपभोग की वस्तुओं, कृषि कार्य से जुड़ी सामग्री और चिकित्सा सेवाओं के लिए उन्हें नदी पार कर बिछिया बाजार तथा मिहींपुरवा तहसील मुख्यालय आना पड़ता है.

पति-पत्नि सहित बालिग को मिलेगा मुआवजा
बरसात के समय भरथापुर के ग्रामीणों के लिए नदी पार कर आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी के लिए बिछिया सहित मुख्य बाजारों तक पहुंचना बहुत कठिन हो जाता है. इस समस्याओं के दृष्टिगत बनाई गई विस्थापन प्रक्रिया में भरथापुर निवासी दम्पति सहित प्रत्येक बालिग सदस्य को दो हेक्टेयर भूमि या दस लाख रुपये, जमीन और मकान का मुवावजा दिया जाएगा. इसके अतिरिक्त हर बालिग को अनिवार्य रूप से दश लाख रुपये शासन की तरफ से दिए जाएंगे.

20 जुलाई तक होगा सर्वे
भरथापुर में लगभग 125 परिवार रहते हैं, जिनके नाम से 70 हेक्टेयर भूमि राजस्व अभिलेखों में अंकित है. इसका मुवावजा कलेक्टर रेट से दिया जाएगा. सर्वे के लिए एक क्षेत्रीय सर्वे टीम बनाई गई है. इसमें डिप्टी रेंजर महेंद्र पांडे, एडीओ पंचायत रामनारायण मौर्य, जेई पीडब्ल्यूडी, ग्राम विकास अधिकारी और एक चिकित्साधिकारी सदस्य बनाए गए हैं. क्षेत्रीय सर्वे टीम 20 जुलाई तक सर्वे पूर्ण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. उसके आधार पर सभी ग्रामीणों को विस्थापित कर नौबना जंगल की भूमि पर लाकर बसाए जाने की अगली प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

ग्रामीण उपलब्ध कराएं दस्तावेज
एसडीएम बाबूराम ने बताया कि बसाए गए नए ग्राम का नाम नया भरथापुर ही रखा जाएगा. सभी ग्रामीणों से संवाद स्थापित कर अवगत करा दिया गया है कि वे अपना फोटो, आधार कार्ड, बैंक का खाता, परिवार रजिस्टर की नकल, खसरा-खतौनी सर्वे टीम को उपलब्ध करा दें. इससे आगे की कार्यवाही शीघ्रता से पूरी की जा सके.

भरथापुर भ्रमण के दौरान उप जिलाधिकारी मिहींपुरवा बाबूराम सहित खंड विकास अधिकारी मिहींपुरवा चंद्रशेखर प्रसाद, कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी यशवंत सिंह, वन क्षेत्राधिकारी कतर्नियाघाट पीयूष मोहन श्रीवास्तव, एडीओ पंचायत राम नारायण मौर्य, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोतीपुर के प्रभारी चिकित्साधिकारी रामनारायण वर्मा, डिप्टी रेंजर महेंद्र पांडे, ग्राम विकास अधिकारी राहुल शशांक, आंबा ग्राम प्रधान राजेश दुबे सहित क्षेत्रीय राजस्व टीम, विकास विभाग की टीम और वन टीम शामिल रही.

बहराइच: मिहीपुरवा तहसील क्षेत्र के अंतर्गत भारत-नेपाल सीमा पर गेरुआ और कौडियाला नदियों के बीच टापू की मानिंद कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के घने जंगलों के बीच बसे भरथापुर गांव के निवासियों के दिन बहुरने वाले हैं. भरतपुर गांव के निवासियों को विस्थापित कर कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के ही ककरहा वन रेन्ज अंतर्गत स्थित नौबना बीट में जंगल के खाली भू-भाग पर बसाया जाएगा. भरतपुर को विस्थापित करने की मांग काफी दिनों से चल रही थी. इसके लिए प्रशासन द्वारा काफी दिनों से प्रयास भी किए जा रहे हैं.

तहसील स्तरीय टीम का गठन
विस्थापन प्रक्रिया को गति देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर जिलाधिकारी शम्भू कुमार ने उपजिलाधिकारी मिहीपुरवा के नेतृत्व में एक तहसील स्तरीय टीम का गठन किया है. इसमें कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी, खंड विकास अधिकारी मिहींपुरवा, एसएसबी के एक समकक्ष अधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोतीपुर के प्रभारी चिकित्साधिकारी को सदस्य बनाया गया है. जिलाधिकारी के निर्देशन में उपजिलाधिकारी के नेतृत्व में बनी टीम ने मंगलवार को भरथापुर ग्राम का दौरा किया.

नौबना में किया जाएगा विस्थापित
एसडीएम बाबूराम ने बताया कि शासन के निर्देश पर भरथापुर के ग्रामीणों को नौबना जंगल की वन भूमि पर बसाया जाएगा, क्योंकि भरथापुर गांव नेपाल से आईं दो नदियों और कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के घने जंगलों के बीच बसा है. घने जंगलों के बीच दुरूह क्षेत्र में बसा होने के कारण भरथापुर के ग्रामीणों को आएदिन जंगली हाथियों सहित खतरनाक वन्य जीवों के हमले से दो-चार होना पड़ता है. अपनी दैनिक उपभोग की वस्तुओं, कृषि कार्य से जुड़ी सामग्री और चिकित्सा सेवाओं के लिए उन्हें नदी पार कर बिछिया बाजार तथा मिहींपुरवा तहसील मुख्यालय आना पड़ता है.

पति-पत्नि सहित बालिग को मिलेगा मुआवजा
बरसात के समय भरथापुर के ग्रामीणों के लिए नदी पार कर आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी के लिए बिछिया सहित मुख्य बाजारों तक पहुंचना बहुत कठिन हो जाता है. इस समस्याओं के दृष्टिगत बनाई गई विस्थापन प्रक्रिया में भरथापुर निवासी दम्पति सहित प्रत्येक बालिग सदस्य को दो हेक्टेयर भूमि या दस लाख रुपये, जमीन और मकान का मुवावजा दिया जाएगा. इसके अतिरिक्त हर बालिग को अनिवार्य रूप से दश लाख रुपये शासन की तरफ से दिए जाएंगे.

20 जुलाई तक होगा सर्वे
भरथापुर में लगभग 125 परिवार रहते हैं, जिनके नाम से 70 हेक्टेयर भूमि राजस्व अभिलेखों में अंकित है. इसका मुवावजा कलेक्टर रेट से दिया जाएगा. सर्वे के लिए एक क्षेत्रीय सर्वे टीम बनाई गई है. इसमें डिप्टी रेंजर महेंद्र पांडे, एडीओ पंचायत रामनारायण मौर्य, जेई पीडब्ल्यूडी, ग्राम विकास अधिकारी और एक चिकित्साधिकारी सदस्य बनाए गए हैं. क्षेत्रीय सर्वे टीम 20 जुलाई तक सर्वे पूर्ण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. उसके आधार पर सभी ग्रामीणों को विस्थापित कर नौबना जंगल की भूमि पर लाकर बसाए जाने की अगली प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

ग्रामीण उपलब्ध कराएं दस्तावेज
एसडीएम बाबूराम ने बताया कि बसाए गए नए ग्राम का नाम नया भरथापुर ही रखा जाएगा. सभी ग्रामीणों से संवाद स्थापित कर अवगत करा दिया गया है कि वे अपना फोटो, आधार कार्ड, बैंक का खाता, परिवार रजिस्टर की नकल, खसरा-खतौनी सर्वे टीम को उपलब्ध करा दें. इससे आगे की कार्यवाही शीघ्रता से पूरी की जा सके.

भरथापुर भ्रमण के दौरान उप जिलाधिकारी मिहींपुरवा बाबूराम सहित खंड विकास अधिकारी मिहींपुरवा चंद्रशेखर प्रसाद, कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी यशवंत सिंह, वन क्षेत्राधिकारी कतर्नियाघाट पीयूष मोहन श्रीवास्तव, एडीओ पंचायत राम नारायण मौर्य, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोतीपुर के प्रभारी चिकित्साधिकारी रामनारायण वर्मा, डिप्टी रेंजर महेंद्र पांडे, ग्राम विकास अधिकारी राहुल शशांक, आंबा ग्राम प्रधान राजेश दुबे सहित क्षेत्रीय राजस्व टीम, विकास विभाग की टीम और वन टीम शामिल रही.

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