सुल्तानपुर: जिले के दुर्घटना और गंभीर रोग से पीड़ित लोगों को इलाज के लिए अभी लखनऊ, वाराणसी या इलाहाबाद ही जाना होगा. आचार संहिता के चलते कुछ तकनीकी उपकरण नहीं आ पा रहे हैं क्योंकि बजट का प्रबंध आड़े आ गया है. ऐसे में शहर के नव निर्मित ट्रॉमा सेंटर को अंतिम रूप देने की कवायद पर ग्रहण लग गया है. लंबे अर्से से बाट जोह रहे जनपद वासियों को इससे निराशा हाथ लगी है. आदर्श आचार संहिता की वजह से इसके लिए अभी 2 महीने का और इंतजार करना होगा. हालांकि, ट्रॉमा सेंटर के निर्माण की 70 से 80 फीसदी निर्माण प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.
मामला जिला मुख्यालय क्षेत्र में बन रहे ट्रॉमा सेंटर भवन से जुड़ा हुआ है. ट्रॉमा सेंटर भवन तैयार हो चुका है. उसकी फिनिश इन का कार्य भी पूरा हो चुका है. कई उपकरण भी लगाए जा चुके हैं. सक्शन क्लीनर और ऑक्सीजन की पाइप लाइन बिछा दी गई है. हालांकि, अभी वेंटिलेटर स्थापित नहीं हो पाया है. इसकी वजह से ट्रामा सेंटर को फाइनल टच नहीं दिया जा पा रहा है. चिकित्सा विभाग के अफसरों की मानें तो कई ऐसे उपकरण आने बाकी हैं जो ट्रामा सेंटर के लिए अनिवार्य घटक हैं. इसमें सीटी स्कैन मशीन, एम आर आई और कई गंभीर किस्म की जांच करने वाले उपकरण शामिल हैं. ये सभी उपकरण गंभीर बीमारियों या दुर्घटना पीड़ितों के लिए जीनवरक्षक का काम करते हैं.
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर बीवी सिंह कहते हैं कि आदर्श आचार संहिता का प्रभाव पड़ा है. कुछ ऐसे उपकरण जो ट्रामा सेंटर के लिए अनिवार्य हैं, अभी नहीं आ सके हैं. इसकी वजह से लोकसभा चुनाव के बाद ही ट्रॉमा सेंटर का शुभारंभ हो संभव हो सकेगा. फिलहाल सेंटर की 80 फीसद तैयारी पूरी हो चुकी है.
आचार संहिता के चलते सुल्तानपुर में ट्रॉमा सेंटर के शुभारंभ पर लगा ग्रहण
सुल्तानपुर में बन रहे एक मात्र ट्रॉमा सेंटर के शुभारंभ पर आचार सहिंता के चलते ग्रहण लग गया है. बजटीय आवंटन रुक जाने से इसके लिए कुछ जरूरी उपकरणों का आना संभव नहीं हो पा रहा है. जिसके चलते जनपदवासियों का शहर में ही रहकर इलाज कराने के लिए कुछ दिन का इंतजार और बढ़ गया है.
सुल्तानपुर: जिले के दुर्घटना और गंभीर रोग से पीड़ित लोगों को इलाज के लिए अभी लखनऊ, वाराणसी या इलाहाबाद ही जाना होगा. आचार संहिता के चलते कुछ तकनीकी उपकरण नहीं आ पा रहे हैं क्योंकि बजट का प्रबंध आड़े आ गया है. ऐसे में शहर के नव निर्मित ट्रॉमा सेंटर को अंतिम रूप देने की कवायद पर ग्रहण लग गया है. लंबे अर्से से बाट जोह रहे जनपद वासियों को इससे निराशा हाथ लगी है. आदर्श आचार संहिता की वजह से इसके लिए अभी 2 महीने का और इंतजार करना होगा. हालांकि, ट्रॉमा सेंटर के निर्माण की 70 से 80 फीसदी निर्माण प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.
मामला जिला मुख्यालय क्षेत्र में बन रहे ट्रॉमा सेंटर भवन से जुड़ा हुआ है. ट्रॉमा सेंटर भवन तैयार हो चुका है. उसकी फिनिश इन का कार्य भी पूरा हो चुका है. कई उपकरण भी लगाए जा चुके हैं. सक्शन क्लीनर और ऑक्सीजन की पाइप लाइन बिछा दी गई है. हालांकि, अभी वेंटिलेटर स्थापित नहीं हो पाया है. इसकी वजह से ट्रामा सेंटर को फाइनल टच नहीं दिया जा पा रहा है. चिकित्सा विभाग के अफसरों की मानें तो कई ऐसे उपकरण आने बाकी हैं जो ट्रामा सेंटर के लिए अनिवार्य घटक हैं. इसमें सीटी स्कैन मशीन, एम आर आई और कई गंभीर किस्म की जांच करने वाले उपकरण शामिल हैं. ये सभी उपकरण गंभीर बीमारियों या दुर्घटना पीड़ितों के लिए जीनवरक्षक का काम करते हैं.
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर बीवी सिंह कहते हैं कि आदर्श आचार संहिता का प्रभाव पड़ा है. कुछ ऐसे उपकरण जो ट्रामा सेंटर के लिए अनिवार्य हैं, अभी नहीं आ सके हैं. इसकी वजह से लोकसभा चुनाव के बाद ही ट्रॉमा सेंटर का शुभारंभ हो संभव हो सकेगा. फिलहाल सेंटर की 80 फीसद तैयारी पूरी हो चुकी है.
दुर्घटना और गंभीर रोग से पीड़ित लोगों को इलाज के लिए लखनऊ, वाराणसी या इलाहाबाद की ओर करना होगा। ट्रामा सेंटर शुभारंभ की राह में आचार संहिता ने अटकलें लगा दी है। कुछ तकनीकी उपकरण नहीं आ पा रहे हैं। बजट का प्रबंध आड़े आ गया है। ऐसे में ट्रामा सेंटर को अंतिम रूप देने की कवायद पर ग्रहण लग गया है। इससे जिले वासियों में निराशा है। लेकिन आदर्श आचार संहिता के चलते उन्हें लगभग 2 और इंतजार करना होगा। हालांकि ट्रामा सेंटर निर्माण की 70 से 80 फीस दी निर्माण प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
Body:मामला जिला मुख्यालय के हर क्षेत्र में बन रहे ट्रामा सेंटर भवन से जुड़ा हुआ है। ट्रामा सेंटर भवन तैयार हो चुका है। उसकी फिनिश इन का कार्य भी पूरा हो चुका है। कई उपकरण लगाए जा चुके हैं। सक्शन क्लीनर और ऑक्सीजन की पाइप लाइन बिछा दी गई है। वेंटिलेटर स्थापित अभी नहीं हो पाया है। इसकी वजह से ट्रामा सेंटर को फाइनल टच नहीं दिया जा पा रहा है। चिकित्सा विभाग के अफसरों की मानें तो कई ऐसे उपकरणों को आना है। जो ट्रामा सेंटर के लिए अनिवार्य घटक है। इसमें सीटी स्कैन मशीन, एम आर आई और कई गंभीर किस्म की जांच में शामिल हैं । जो हादसा पीड़ितों को तत्काल राहत दिलाते हैं।
Conclusion:मुख्य चिकित्सा अधीक्षक पूर्व अस्पताल डॉक्टर बीवी सिंह कहते हैं कि आदर्श आचार संहिता का प्रभाव पड़ा है। कुछ ऐसे उपकरण जो ट्रामा सेंटर के लिए अनिवार्य है। अभी नहीं आ सके हैं। इसकी वजह से लोकसभा चुनाव के बाद ही ट्रामा सेंटर का शुभारंभ हो पाएगा। फिलहाल 80 फेस की तैयारी पूरी हो चुकी है।
वॉइस ओवर - गंभीर रूप से जख्मी या बड़े हादसे के पीड़ितों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से जिला अस्पताल रेफर किया आता है । यहां ना तो ट्रामा सेंटर है और ना ही गंभीर मरीजों के इलाज के लिए ऑपरेशन थिएटर। जो तत्काल ऑपरेशन कर उन्हें खतरे से बाहर निकाल सके। ऐसे में ट्रामा सेंटर बनाया जाना बेहद जरूरी है। लेकिन चुनाव की वजह से ट्रामा सेंटर का शुभारंभ नहीं हो पाने से लोगों को निराशा हाथ लगी है।
आशुतोष मिश्रा 94 150 49 256