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...थम गया सुलतानपुर जंक्शन पर लगे एस्केलेटर का पहिया

सुलतानपुर जंक्शन पर लगे एस्केलेटर को रेलवे प्रशासन की ओर से बंद कर दिया गया है. एस्केलेटर बंद होने के बाद से यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Jul 20, 2019, 2:55 PM IST

बंद पड़ा सुलतानपुर जंक्शन पर लगा एस्केलेटर.

सुलतानपुर: भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और सुलतानपुर सांसद मेनका गांधी के यहां के रेलवे स्टेशन पर स्वचालित सीढ़ी का शुभारंभ किया. अब एस्केलेटर के पहिए थम गए हैं. स्टेशन पर आने वाले यात्री पैदल प्लेटफॉर्म के बीच दौड़ रहे हैं. इससे वरिष्ठ नागरिक, रोगी और महिलाओं का काफी परेशानी भी हो रही है. फिलहाल सुलतानपुर जंक्शन पर एस्केलेटर लगाए जाने का अभी तक कोई फायदा मिलता नहीं दिख रहा है.

बंद पड़ा सुलतानपुर जंक्शन पर लगा एस्केलेटर.

क्या है मामला

  • वरुण गांधी ने सुलतानपुर जंक्शन को एस्केलेटर यानी स्वचालित सीढ़ी की सौगात दी थी.
  • रेल मंत्रालय की ओर से सुलतानपुर जंक्शन को उच्च स्टेशनों का दर्जा देते हुए स्वचालित सीढ़ी प्रणाली लगाने की सौगात दी गई थी.
  • इसका शुभारंभ हाल ही में पूर्व कैबिनेट मंत्री और सुलतानपुर सांसद मेनका गांधी ने किया था.
  • तकनीकी खराबी, मरम्मत, सर्विसिंग तो कभी कर्मचारियों की कमी का हवाला देकर इसे बंद कर दिया गया है.
  • वहीं रेलवे के जिम्मेदार अफसर एस्केलेटर को बंद किए जाने का जवाब देने को तैयार नहीं है.
  • ऐसे में रोगी, वरिष्ठ नागरिक, महिलाओं को पैदल सीढ़ी पर चढ़कर प्लेटफार्म की दूरी तय करनी पड़ रही है.


स्वचालित सीढ़ी के लिए कर्मचारी नहीं मिल रहे हैं. यात्रियों द्वारा कभी इसे ऑन कर दिया जाता है तो कभी ऑफ कर दिया जाता है. ऐसे में कभी-कभी यह लॉक हो जाती है, जो चाबी से ही खुलती है. इसकी वजह से इसका संचालन प्रभावित है.
-मनोज कुमार मौर्य, इंजीनियर

सुलतानपुर: भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और सुलतानपुर सांसद मेनका गांधी के यहां के रेलवे स्टेशन पर स्वचालित सीढ़ी का शुभारंभ किया. अब एस्केलेटर के पहिए थम गए हैं. स्टेशन पर आने वाले यात्री पैदल प्लेटफॉर्म के बीच दौड़ रहे हैं. इससे वरिष्ठ नागरिक, रोगी और महिलाओं का काफी परेशानी भी हो रही है. फिलहाल सुलतानपुर जंक्शन पर एस्केलेटर लगाए जाने का अभी तक कोई फायदा मिलता नहीं दिख रहा है.

बंद पड़ा सुलतानपुर जंक्शन पर लगा एस्केलेटर.

क्या है मामला

  • वरुण गांधी ने सुलतानपुर जंक्शन को एस्केलेटर यानी स्वचालित सीढ़ी की सौगात दी थी.
  • रेल मंत्रालय की ओर से सुलतानपुर जंक्शन को उच्च स्टेशनों का दर्जा देते हुए स्वचालित सीढ़ी प्रणाली लगाने की सौगात दी गई थी.
  • इसका शुभारंभ हाल ही में पूर्व कैबिनेट मंत्री और सुलतानपुर सांसद मेनका गांधी ने किया था.
  • तकनीकी खराबी, मरम्मत, सर्विसिंग तो कभी कर्मचारियों की कमी का हवाला देकर इसे बंद कर दिया गया है.
  • वहीं रेलवे के जिम्मेदार अफसर एस्केलेटर को बंद किए जाने का जवाब देने को तैयार नहीं है.
  • ऐसे में रोगी, वरिष्ठ नागरिक, महिलाओं को पैदल सीढ़ी पर चढ़कर प्लेटफार्म की दूरी तय करनी पड़ रही है.


स्वचालित सीढ़ी के लिए कर्मचारी नहीं मिल रहे हैं. यात्रियों द्वारा कभी इसे ऑन कर दिया जाता है तो कभी ऑफ कर दिया जाता है. ऐसे में कभी-कभी यह लॉक हो जाती है, जो चाबी से ही खुलती है. इसकी वजह से इसका संचालन प्रभावित है.
-मनोज कुमार मौर्य, इंजीनियर

Intro:स्पेशल स्टोरी
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शीर्षक : शुभारंभ होते ही थमे मेनका गांधी के एस्केलेटर के पहिए।


भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता सुल्तानपुर सांसद और पूर्व कैबिनेट मंत्री मेनका गांधी के जाते ही स्वचालित सीढ़ी यानि एस्केलेटर के पहिए थम गए हैं। यात्री पैदल प्लेटफॉर्म के बीच दौड़ रहे हैं । वरिष्ठ नागरिक और रोगी हलकान हैं । स्वचालित सिग्नल प्रणाली की सुल्तानपुर जंक्शन को मिली सौगात का कोई फायदा नहीं मिल रहा है।


Body:वरुण गांधी ने सुल्तानपुर जंक्शन को एस्केलेटर यानी स्वचालित सीढ़ी की सौगात दी थी। अपने सांसद मद से बजट दिलाया था। रेल मंत्रालय से पहल कर आई थी और सुल्तानपुर जंक्शन को उच्च स्टेशनों का दर्जा देते हुए स्वचालित सीढ़ी प्रणाली लगाने की सौगात दी गई थी। इसका शुभारंभ हाल ही में पूर्व कैबिनेट मंत्री और सुल्तानपुर सांसद मेनका गांधी ने किया था। शुभारंभ के होने के बाद ही एस्केलेटर के पहिए थम गए हैं । कभी तकनीकी खराबी , कभी मरम्मत, कभी सर्विसिंग तो कभी कर्मचारियों की कमी का हवाला देकर इसे बंद कर दिया गया है । रेलवे के जिम्मेदार अफसर जवाब देने को तैयार नहीं है। ऐसे में रोगी वरिष्ठ नागरिक महिलाओं को पैदल सीढ़ी पर चढ़कर प्लेटफार्म की दूरी तय करनी पड़ रही है। एस्केलेटर सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।


Conclusion:बाइट : जॉनसन कंपनी के इंजीनियर मनोज कुमार मौर्य कहते हैं कि स्वचालित प्रणाली के लिए कर्मचारी नहीं मिल रहे हैं ।। इसका ऑपरेशन यात्रियों द्वारा किया जाता है। कभी इसे ऑन कर दिया जाता है कभी ऑफ कर दिया जाता है। ऐसे में कभी-कभी या लॉक हो जाती है जो चाबी से ही खुलती है। इसकी वजह से इसका संचालन प्रभावित है।


वॉइस ओवर : करोडों रुपए एस्केलेटर के लिए खर्च किए गए। रेल मंत्रालय ने इसकी स्वीकृति दी। लंबी मशक्कत के बाद इसे अमल में लाया गया । लेकिन रेल प्रशासन है कि चलाने के प्रति संजीदा नहीं है।


आशुतोष मिश्रा, सुल्तानपुर,, 94 15049 256
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