सुलतानपुर: जिले में जवाहरलाल नेहरू शहरी ग्रामीण पेयजल योजना के तहत 36 करोड़ रुपये तो खर्च कर दिए गए, लेकिन आज भी सुलतानपुर शहरी क्षेत्र के नागरिक पेयजल आपूर्ति का इंतजार कर रहे हैं. नगर पालिका प्रशासन इसका ठीकरा जल निगम के इंजीनियरों पर फोड़ रहा है और वे जवाब देने के बजाय मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं. कहीं बिछी पाइप, अधूरे पड़े वाटर हेड टैंक कवायद की बानगी पेश कर रहे हैं.
पेयजल आपूर्ति योजना में नगर निगम की लापरवाही
योजना के तहत शहर को पांच भागों में बांटा गया था. 5 वाटर हेड टैंक का निर्माण किया गया था. इससे पेयजल आपूर्ति वार्ड को देने के लिए पाइप लाइन बिछाने की कवायद तैयार की गई थी, जिस पर बोर्ड की मंजूरी के बाद शासन ने मुहर लगाई. नगर पालिका से 36 करोड़ रुपये जारी किए गए. दो चरणों में धनराशि तो जारी कर दी गई, लेकिन काम के नाम पर वही ढाक के तीन पात, यानी आज भी लोग वाटर सप्लाई आने की राह देख रहे हैं.
प्रदेश सरकार की तरफ से शहर और ग्राम पंचायतों में नागरिकों को घर-घर पानी मुहैया कराने के लिए जवाहर लाल नेहरू शहरी ग्रामीण पेयजल योजना की शुरुआत की गई थी, जिसके तहत जिलों से प्रस्ताव मांगे गए थे. प्रस्ताव पर नगर पालिका ने खाका तैयार किया. इसे सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा गया. सचिव स्तर से मंजूरी मिलने के बाद वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई, जिसके बाद जल निगम की तरफ से टेंडर आमंत्रित हुए .
टेंडर के तहत अलग-अलग वाटर हेड टैंक बनाने के लिए अलग-अलग संस्था और ठेकेदारों को कार्य आवंटित किए गए. इसके अलावा मुख्य पाइप लाइन बिछाने के लिए अलग से टेंडर और संस्था को नामित किया गया. घरों तक वाटर सप्लाई पहुंचाने के लिए अलग से कार योजना में कार्य का प्रारूप नियत किया गया. इन सब की निगरानी जल निगम समेत प्रशासनिक अधिकारी को करने के निर्देश शासन की तरफ से दिए गए, लेकिन पेपर मॉनिटर के चलते डेढ़ से 2 साल बीतने को हैं.
36 करोड़ रुपये कहां खर्च हुए और कितना काम हुआ, इसकी जांच और कार्य को समय सीमा के भीतर पूरा करवाने के लिए निगरानी अधिकारी दायित्वों से मुंह मोड़े हुए हैं. शुरुआत में सुलतानपुर नगर पालिका के साथ कोइरीपुर, कादीपुर और दोस्तपुर नगर पंचायतों को भी इस कवायद में शामिल किया गया था, लेकिन पहला फोकस सुलतानपुर नगर पालिका क्षेत्र को जल से संतृप्त करने के लिए ही रखा गया.
खैराबाद से शास्त्री नगर के बीच के लोग पानी के लिए हैरान-परेशान हैं. लोगों का कहना है कि हमारे घर के सामने 5 साल से ट्यूबवेल बंद पड़ा है. शास्त्री नगर विद्या मंदिर स्कूल के पास 3 साल से ढांचा तैयार है, लेकिन काम पूरा नहीं हो पाने की वजह से पेयजल आपूर्ति नहीं मिल पा रही है. नगर पालिका से 36 करोड़ रुपये जारी हुए, लेकिन अभी तक वॉटर सप्लाई के लिए बिछाई गई लाइन आपस में जोड़ी नहीं गई. इसकी वजह से गर्मी के मौसम में लोगों के सामने पेयजल समस्या उत्पन्न हो जाती है. हैंडपंप के खराब होने से और भी समस्या विकराल हो जाती है. यदि पाइपलाइन कनेक्ट हो जाए तो लोगों को पानी पुरानी पाइप लाइन से मिलने लगेगा.
जल निगम की लापरवाही से पेयजल आपूर्ति योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है. वहीं गर्मी के मौसम में लोगों को काफी समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं. शास्त्री नगर और सेनानी बिहार का सिस्टम तैयार है, लेकिन पाइप लाइन नहीं जुड़ने से सुविधा नहीं मिल पा रही है.