सुलतानपुर: अमेठी के चर्चित फैमिली मर्डर केस में पुलिस हत्या का उद्देश्य साबित करने में नाकाम रही. पड़ोसी से चल रही रंजिश को इतने बड़े हत्याकांड में पुलिस ने जांच का विषय नहीं बनाया. सीडी भी प्रमाणित साबित नहीं हुई. जिस फोटोग्राफर ने हत्या की फोटो ली, उसका बयान भी नहीं कराया गया. नतीजा यह रहा कि फैमिली मर्डर केस के रहस्य से न्यायालय में पर्दा नहीं उठ सका.
...जब एक ही परिवार के सदस्यों की कर दी गई थी हत्या
- मामला 12 अक्टूबर 2011 की रात करीब 10 बजकर 15 मिनट पर अमेठी थाना क्षेत्र के सगरा रोड पर अजय अग्रहरि, बहन रेखा, पत्नी मंजू , नाबालिग भांजी यशी और भांजा प्रानू की नृशंस हत्या कर दी गई थी.
- दूसरी नाबालिग भांजी कीर्ति गंभीर हालत में लखनऊ में भर्ती कराई गई, जहां इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई थी.
- एक साथ छह लोगों की हत्या से अमेठी और सुलतानपुर जिले में सनसनी फैल गई थी.
- मामले में शासन से उच्चस्तरीय जांच का निर्देश दिया गया था. अफसरों को निगरानी सौंपी गई थी, जिसमें सगे भाई पर हत्या का आरोप मढ़ा गया था.
- मुकदमा अमेठी थाने में मृतक के भाई संजय अग्रहरी के तरफ से पंजीकृत कराया गया था.
पुलिस ने जो सीडी न्यायालय में दी, वह अमान्य साबित हुई. हत्या की जो मिस्ट्री पुलिस की तरफ से बनाई गई थी, जिसमें संपत्ति को हत्या की वजह दर्शाया गया था, वह भी सही साबित नहीं हुई क्योंकि हत्या से पूर्व ही सभी भाइयों के अधिकार में संपत्ति लिखित रूप से आ गई थी. फोटोग्राफर का बयान नहीं होना भी पुलिस की लचर विवेचना की पुष्टि करता है.
-अरविंद सिंह राजा, अधिवक्ता, बचाव पक्ष
ये आरोपी हुए बरी
बहुचर्चित अमेठी मर्डर केस में फास्ट ट्रैक अदालत ने सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया है, जिसमें मृतक के भाई संजय अग्रहरी, उनकी पत्नी दीपा गुप्ता, सास मंजू वर्मा भी शामिल हैं.