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रहस्य बनकर रह गया अमेठी का चर्चित फैमिली मर्डर केस, सभी आरोपी बरी - six people killed in same family in amethi

12 अक्टूबर 2011 को दिल दहला देने वाले अमेठी मर्डर मिस्ट्री से अब तक पर्दा नहीं उठ सका है. न्यायालय ने सभी आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया है. पुलिस हत्या का उद्देश्य साबित कर पाने में नाकाम साबित हुई है.

जानकारी देते बचाव पक्ष के अधिवक्ता अरविंद सिंह.
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Published : May 15, 2019, 1:35 PM IST

सुलतानपुर: अमेठी के चर्चित फैमिली मर्डर केस में पुलिस हत्या का उद्देश्य साबित करने में नाकाम रही. पड़ोसी से चल रही रंजिश को इतने बड़े हत्याकांड में पुलिस ने जांच का विषय नहीं बनाया. सीडी भी प्रमाणित साबित नहीं हुई. जिस फोटोग्राफर ने हत्या की फोटो ली, उसका बयान भी नहीं कराया गया. नतीजा यह रहा कि फैमिली मर्डर केस के रहस्य से न्यायालय में पर्दा नहीं उठ सका.

जानकारी देते बचाव पक्ष के अधिवक्ता अरविंद सिंह.

...जब एक ही परिवार के सदस्यों की कर दी गई थी हत्या

  • मामला 12 अक्टूबर 2011 की रात करीब 10 बजकर 15 मिनट पर अमेठी थाना क्षेत्र के सगरा रोड पर अजय अग्रहरि, बहन रेखा, पत्नी मंजू , नाबालिग भांजी यशी और भांजा प्रानू की नृशंस हत्या कर दी गई थी.
  • दूसरी नाबालिग भांजी कीर्ति गंभीर हालत में लखनऊ में भर्ती कराई गई, जहां इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई थी.
  • एक साथ छह लोगों की हत्या से अमेठी और सुलतानपुर जिले में सनसनी फैल गई थी.
  • मामले में शासन से उच्चस्तरीय जांच का निर्देश दिया गया था. अफसरों को निगरानी सौंपी गई थी, जिसमें सगे भाई पर हत्या का आरोप मढ़ा गया था.
  • मुकदमा अमेठी थाने में मृतक के भाई संजय अग्रहरी के तरफ से पंजीकृत कराया गया था.

पुलिस ने जो सीडी न्यायालय में दी, वह अमान्य साबित हुई. हत्या की जो मिस्ट्री पुलिस की तरफ से बनाई गई थी, जिसमें संपत्ति को हत्या की वजह दर्शाया गया था, वह भी सही साबित नहीं हुई क्योंकि हत्या से पूर्व ही सभी भाइयों के अधिकार में संपत्ति लिखित रूप से आ गई थी. फोटोग्राफर का बयान नहीं होना भी पुलिस की लचर विवेचना की पुष्टि करता है.

-अरविंद सिंह राजा, अधिवक्ता, बचाव पक्ष

ये आरोपी हुए बरी

बहुचर्चित अमेठी मर्डर केस में फास्ट ट्रैक अदालत ने सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया है, जिसमें मृतक के भाई संजय अग्रहरी, उनकी पत्नी दीपा गुप्ता, सास मंजू वर्मा भी शामिल हैं.

सुलतानपुर: अमेठी के चर्चित फैमिली मर्डर केस में पुलिस हत्या का उद्देश्य साबित करने में नाकाम रही. पड़ोसी से चल रही रंजिश को इतने बड़े हत्याकांड में पुलिस ने जांच का विषय नहीं बनाया. सीडी भी प्रमाणित साबित नहीं हुई. जिस फोटोग्राफर ने हत्या की फोटो ली, उसका बयान भी नहीं कराया गया. नतीजा यह रहा कि फैमिली मर्डर केस के रहस्य से न्यायालय में पर्दा नहीं उठ सका.

जानकारी देते बचाव पक्ष के अधिवक्ता अरविंद सिंह.

...जब एक ही परिवार के सदस्यों की कर दी गई थी हत्या

  • मामला 12 अक्टूबर 2011 की रात करीब 10 बजकर 15 मिनट पर अमेठी थाना क्षेत्र के सगरा रोड पर अजय अग्रहरि, बहन रेखा, पत्नी मंजू , नाबालिग भांजी यशी और भांजा प्रानू की नृशंस हत्या कर दी गई थी.
  • दूसरी नाबालिग भांजी कीर्ति गंभीर हालत में लखनऊ में भर्ती कराई गई, जहां इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई थी.
  • एक साथ छह लोगों की हत्या से अमेठी और सुलतानपुर जिले में सनसनी फैल गई थी.
  • मामले में शासन से उच्चस्तरीय जांच का निर्देश दिया गया था. अफसरों को निगरानी सौंपी गई थी, जिसमें सगे भाई पर हत्या का आरोप मढ़ा गया था.
  • मुकदमा अमेठी थाने में मृतक के भाई संजय अग्रहरी के तरफ से पंजीकृत कराया गया था.

पुलिस ने जो सीडी न्यायालय में दी, वह अमान्य साबित हुई. हत्या की जो मिस्ट्री पुलिस की तरफ से बनाई गई थी, जिसमें संपत्ति को हत्या की वजह दर्शाया गया था, वह भी सही साबित नहीं हुई क्योंकि हत्या से पूर्व ही सभी भाइयों के अधिकार में संपत्ति लिखित रूप से आ गई थी. फोटोग्राफर का बयान नहीं होना भी पुलिस की लचर विवेचना की पुष्टि करता है.

-अरविंद सिंह राजा, अधिवक्ता, बचाव पक्ष

ये आरोपी हुए बरी

बहुचर्चित अमेठी मर्डर केस में फास्ट ट्रैक अदालत ने सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया है, जिसमें मृतक के भाई संजय अग्रहरी, उनकी पत्नी दीपा गुप्ता, सास मंजू वर्मा भी शामिल हैं.

Intro:शीर्षक : रहस्य बनकर रह गया अमेठी का चर्चित फैमिली मर्डर केस।


खबर सुल्तानपुर से। अमेठी के चर्चित फैमिली मर्डर केस में पुलिस ने विवेचना के दौरान जिस आला कत्ल की बरामदगी की वह न्यायालय में फर्द से मिलान के दौरान झूठा साबित हुआ। पैरों के खून से सने निशान भाई के नहीं पाए गए। हत्या का उद्देश्य भी पुलिस साबित करने में नाकाम रही। पड़ोसी से चल रही रंजिश को इतने बड़े हत्याकांड में पुलिस ने जांच का विषय नहीं बनाया। सीडी भी प्रमाणित साबित नहीं हुई। जिस फोटोग्राफर ने हत्या की फोटो ली । उसका बयान भी नहीं कराया गया। नतीजा यह रहा कि फैमिली मर्डर केस के रहस्य न्यायालय में पर्दा नहीं उठ सका।


Body:वीओ : मामला 12 अक्टूबर 2011 की रात करीब 10:15 बजे का है अमेठी थाना क्षेत्र के सगरा रोड कट का राजा हिम्मत सिंह के निकट अजय अग्रहरि, बहन रेखा, पत्नी मंजू , नाबालिग भांजी यशी और भांजा प्रानू की नृशंस हत्या कर दी गई थी। दूसरी नाबालिग भांजी कीर्ति गंभीर हालत में लखनऊ भर्ती कराई गई। जहां इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई थी। एक ही परिवार के सभी सदस्यों की एक रात हत्या करने के मामले में अमेठी और सुल्तानपुर जिले में सनसनी फैला दी थी। मामले में शासन से उच्चस्तरीय जांच का निर्देश दिया गया था। अफसरों को निगरानी सौंपी गई थी। जिसमें आला कत्ल सीडी बरामद करते हुए उसके सगे भाई पर हत्या का आरोप मढ़ा गया था। मुकदमा अमेठी थाने में मृतक के भाई संजय अग्रहरी के तरफ से पंजीकृत कराया गया था। मामले में सारी लाशें घर में खून से तरबतर पाई गई थी। ऐसा प्रतीत हुआ कि जैसे मेरी जानवरों की तरह घर के लोगों को काट दिया गया हो।


ये आरोपी हुए बरी, हाईकोर्ट पर टिकी निगाह

वीओ : बहुचर्चित अमेठी मर्डर केस में फास्ट ट्रैक अदालत द्वितीय अमित कुमार प्रजापति ने सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया है। जिसमें मृतक के भाई संजय अग्रहरी, उनकी पत्नी दीपा गुप्ता, सांस मंजू वर्मा और आरोपी राजकुमार इंद्रजीत सुनील के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी।


Conclusion:बाइट : बचाव पक्ष के अधिवक्ता रहे अरविंद सिंह राजा कहते हैं कि पुलिस ने जिस आला कत्ल को बरामद दर्शाया था। वह न्यायालय में फर्जी साबित हुए। लंबाई की हुई परीक्षण में फर्द से मिलान के दौरान सभी को फर्जी ठहरा दिया गया इसके अलावा सीडी भी अमान्य साबित हुई। हत्या की जो मिस्ट्री पुलिस की तरफ से बनाई गई थी। जिसमें संपत्ति को हत्या की वजह दर्शाया गया था । वह भी सही साबित नहीं हुई। क्योंकि हत्या से पूर्व ही सभी भाइयों के अधिकार में संपत्ति लिखित रूप से आ गई थी। फोटोग्राफर का बयान नहीं होना भी पुलिस की लचर विवेचना की पुष्टि करता है।


आशुतोष मिश्रा, 94 15049 256, सुल्तानपुर
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