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सुलतानपुर: यहां सरकारी अस्पताल में शव पहुंचाने के लिए वसूले जाते हैं 1800 रुपए - सरपतहा थाना

उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर में मासूम के शव को घर ले जाने के लिए 108 सेवा के कर्मचारियों द्वारा 1800 रुपये मांगे जाने का मामला सामने आया है. इस मामले का संज्ञान लेते हुए अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व की तरफ से कार्रवाई किए जाने के संदर्भ में पत्र जारी किया गया है.

शव पहुंचाने के लिए वसूले जाते हैं 1800 रुपये
शव पहुंचाने के लिए वसूले जाते हैं 1800 रुपये.
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Published : Aug 23, 2020, 8:21 PM IST

सुलतानपुर: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सरकारी चिकित्सालयों में भले ही मुफ्त बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं का दावा करती हो, लेकिन जिले में तैनात सरकारी कर्मचारी इन दावों की हवा निकालने में जुटे हैं. यहां लॉकडाउन के दौरान शव घर तक पहुंचाने के लिए 108 सेवा के एवज में 18 सौ रुपये वसूल किए जाते हैं. यहां जौनपुर से मासूम का इलाज कराने सुलतानपुर आए दंपत्ति ने जब पैसा देने में अक्षमता दिखाई, तो शव घर ले जाने के लिए उन्हें रोडवेज का रास्ता दिखा दिया गया. इसके बाद कई घंटे तक मासूम का शव लेकर दंपत्ति जिला मुख्यालय पर भटकते रहे.

जानकारी देते मृतक के बाबा रामयश.
दरअसल, जौनपुर जिले के सरपतहा थाना अंतर्गत उसरौली गांव निवासी राम यश मोटरसाइकिल से अपनी पत्नी के साथ मासूम दिव्यांश का इलाज कराने के लिए कादीपुर आए थे. कादीपुर चिकित्सालय में स्थिति गंभीर दिखने पर चिकित्सकों ने उन्हें जिला अस्पताल सुलतानपुर जाने के लिए कहा. इसके बाद वह पोते को लेकर सुलतानपुर जिला अस्पताल पहुंचे. यहां अधेड़ को बताया गया कि उनके बच्चे की मौत हो चुकी है. इसके बाद उन्होंने 108 एंबुलेंस सेवा से जब शव को घर पहुंचाने में सहयोग मांगा, तो उसके एवज में 1800 रुपये की मांग की गई. आर्थिक विपन्नता के कारण वह रुपये नहीं दे सके, ऐसे में दंपत्ति को रोडवेज का रास्ता दिखा दिया गया. इसके बाद वह सरकारी बस से चलकर वे कादीपुर पहुंचे. इसके बाद वह मोटरसाइकिल के जरिए अपने पैतृक गांव के लिए रवाना हुए.
अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व की तरफ से जारी पत्र.
अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व की तरफ से जारी पत्र.

मृतक के बाबा रामयश ने बताया कि वह सुरौली गांव से कादीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जहां से इलाज के बाद जिला अस्पताल भेजा गया. जिला अस्पताल में इलाज के बाद 5 मिनट इंतजार करने को कहा गया. इसके बाद चिकित्सकों ने बच्चे को मृत बताया. जब एंबुलेंस से सहयोग मांगा तो 18 सौ रुपए की मांग की गई. पैसा नहीं होने की दशा में मृत बच्चे को रोडवेज बस से लेकर जाना पड़ा.

इस मामले को सुलतानपुर जिला प्रशासन ने गंभीरता से लिया है. अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व की तरफ से जारी पत्र में मुख्य चिकित्सा अधिकारी से जांच कराने की बात कही गई है. प्रशासनिक गंभीरता से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा हुआ है.

सुलतानपुर: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सरकारी चिकित्सालयों में भले ही मुफ्त बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं का दावा करती हो, लेकिन जिले में तैनात सरकारी कर्मचारी इन दावों की हवा निकालने में जुटे हैं. यहां लॉकडाउन के दौरान शव घर तक पहुंचाने के लिए 108 सेवा के एवज में 18 सौ रुपये वसूल किए जाते हैं. यहां जौनपुर से मासूम का इलाज कराने सुलतानपुर आए दंपत्ति ने जब पैसा देने में अक्षमता दिखाई, तो शव घर ले जाने के लिए उन्हें रोडवेज का रास्ता दिखा दिया गया. इसके बाद कई घंटे तक मासूम का शव लेकर दंपत्ति जिला मुख्यालय पर भटकते रहे.

जानकारी देते मृतक के बाबा रामयश.
दरअसल, जौनपुर जिले के सरपतहा थाना अंतर्गत उसरौली गांव निवासी राम यश मोटरसाइकिल से अपनी पत्नी के साथ मासूम दिव्यांश का इलाज कराने के लिए कादीपुर आए थे. कादीपुर चिकित्सालय में स्थिति गंभीर दिखने पर चिकित्सकों ने उन्हें जिला अस्पताल सुलतानपुर जाने के लिए कहा. इसके बाद वह पोते को लेकर सुलतानपुर जिला अस्पताल पहुंचे. यहां अधेड़ को बताया गया कि उनके बच्चे की मौत हो चुकी है. इसके बाद उन्होंने 108 एंबुलेंस सेवा से जब शव को घर पहुंचाने में सहयोग मांगा, तो उसके एवज में 1800 रुपये की मांग की गई. आर्थिक विपन्नता के कारण वह रुपये नहीं दे सके, ऐसे में दंपत्ति को रोडवेज का रास्ता दिखा दिया गया. इसके बाद वह सरकारी बस से चलकर वे कादीपुर पहुंचे. इसके बाद वह मोटरसाइकिल के जरिए अपने पैतृक गांव के लिए रवाना हुए.
अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व की तरफ से जारी पत्र.
अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व की तरफ से जारी पत्र.

मृतक के बाबा रामयश ने बताया कि वह सुरौली गांव से कादीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जहां से इलाज के बाद जिला अस्पताल भेजा गया. जिला अस्पताल में इलाज के बाद 5 मिनट इंतजार करने को कहा गया. इसके बाद चिकित्सकों ने बच्चे को मृत बताया. जब एंबुलेंस से सहयोग मांगा तो 18 सौ रुपए की मांग की गई. पैसा नहीं होने की दशा में मृत बच्चे को रोडवेज बस से लेकर जाना पड़ा.

इस मामले को सुलतानपुर जिला प्रशासन ने गंभीरता से लिया है. अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व की तरफ से जारी पत्र में मुख्य चिकित्सा अधिकारी से जांच कराने की बात कही गई है. प्रशासनिक गंभीरता से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा हुआ है.

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