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दुष्कर्म के दोषी दंपती को कोर्ट ने सुनाई 10-10 साल कैद की सजा, सात साल पहले हुई थी घटना - Hindi News

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद के जुगैल थाना क्षेत्र में दुष्कर्म के दोषी पति और सहयोगी पत्नी को कोर्ट ने 10-10 वर्ष कैद की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने दोनों पर 17-17 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

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Published : Mar 20, 2023, 10:50 PM IST

सोनभद्र: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के जुगैल थाना क्षेत्र में 7 वर्ष पहले नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने के मामले में दोषी पाए गए पति को कोर्ट ने 10 वर्ष कैद की सजा सुनाई है. साथी इस कार्य में उसका सहयोग करने वाली पत्नी को भी कोर्ट ने 10 वर्ष कैद की सजा सुनाई है. इसके अलावा कोर्ट ने इन दोनों पर 17-17 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि जुर्माने की समूची धनराशि पीड़िता को दी जाएगी. इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि दोषी दंपती द्वारा जेल में बिताई गई अवधि सजा में ही समाहित होगी.

अपर सत्र न्यायाधीश ने सुनाई सजाः दंपती को सजा अपर सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट निहारिका चौहान की अदालत ने सोमवार को सुनवाई करने के बाद सुनाई है. अभियोजन पक्ष के मुताबिक घटना वर्ष 2017 मई 10 अप्रैल को घटित हुई थी. दुष्कर्म पीड़िता की मां ने 14 अप्रैल 2017 को जुगैल थाने में तहरीर देकर बताया था कि बीती 10 अप्रैल 2017 को जब उसकी नाबालिग 11 वर्षीय बेटी घर पर अकेली थी तो खेवन्धा गांव निवासी युवक विशेष विश्वकर्मा ने उसकी बेटी के साथ दुष्कर्म किया. जब वह रात्रि 10 बजे वापस लौटी तो देखा कि आरोपी उसकी बेटी का हाथ पकड़ कर खींच रहा है.

उसको देखकर वह गाली गलौज करते हुए मौके से भाग गया. इस कार्य में उसकी पत्नी अमरावती भी शामिल थी. डर की वजह से वह 4 दिन तक थाने में तहरीर नहीं दे सकी. इसके बाद पुलिस ने जब तहरीर के आधार पर जांच शुरू की तो, जांच में विशेष विश्वकर्मा और उसकी पत्नी अमरावती दोनों को ही इस कृत्य में शामिल पाया. मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने दोषी दंपती विशेष विश्वकर्मा और अमरावती को 10-10 वर्ष कैद की सजा सुनाई और उन पर 17-17 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि अर्थदंड न देने पर छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी.

बता दें कि मात्र 6 वर्ष के समय में ही अपर सत्र न्यायाधीश/ पॉक्सो कोर्ट ने सभी का ट्रायल पूरा करते हुए यह सजा सुनाई है और इस दुष्कर्म के मामले में दोषी दम्पती को सजा दे दी. अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश कुमार अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह ने बहस की.

ये भी पढ़ेंः गजब! बुलंदशहर में मजदूर को इनकम टैक्स विभाग ने भेजा आठ करोड़ का नोटिस, 10वीं पास है युवक

सोनभद्र: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के जुगैल थाना क्षेत्र में 7 वर्ष पहले नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने के मामले में दोषी पाए गए पति को कोर्ट ने 10 वर्ष कैद की सजा सुनाई है. साथी इस कार्य में उसका सहयोग करने वाली पत्नी को भी कोर्ट ने 10 वर्ष कैद की सजा सुनाई है. इसके अलावा कोर्ट ने इन दोनों पर 17-17 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि जुर्माने की समूची धनराशि पीड़िता को दी जाएगी. इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि दोषी दंपती द्वारा जेल में बिताई गई अवधि सजा में ही समाहित होगी.

अपर सत्र न्यायाधीश ने सुनाई सजाः दंपती को सजा अपर सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट निहारिका चौहान की अदालत ने सोमवार को सुनवाई करने के बाद सुनाई है. अभियोजन पक्ष के मुताबिक घटना वर्ष 2017 मई 10 अप्रैल को घटित हुई थी. दुष्कर्म पीड़िता की मां ने 14 अप्रैल 2017 को जुगैल थाने में तहरीर देकर बताया था कि बीती 10 अप्रैल 2017 को जब उसकी नाबालिग 11 वर्षीय बेटी घर पर अकेली थी तो खेवन्धा गांव निवासी युवक विशेष विश्वकर्मा ने उसकी बेटी के साथ दुष्कर्म किया. जब वह रात्रि 10 बजे वापस लौटी तो देखा कि आरोपी उसकी बेटी का हाथ पकड़ कर खींच रहा है.

उसको देखकर वह गाली गलौज करते हुए मौके से भाग गया. इस कार्य में उसकी पत्नी अमरावती भी शामिल थी. डर की वजह से वह 4 दिन तक थाने में तहरीर नहीं दे सकी. इसके बाद पुलिस ने जब तहरीर के आधार पर जांच शुरू की तो, जांच में विशेष विश्वकर्मा और उसकी पत्नी अमरावती दोनों को ही इस कृत्य में शामिल पाया. मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने दोषी दंपती विशेष विश्वकर्मा और अमरावती को 10-10 वर्ष कैद की सजा सुनाई और उन पर 17-17 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि अर्थदंड न देने पर छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी.

बता दें कि मात्र 6 वर्ष के समय में ही अपर सत्र न्यायाधीश/ पॉक्सो कोर्ट ने सभी का ट्रायल पूरा करते हुए यह सजा सुनाई है और इस दुष्कर्म के मामले में दोषी दम्पती को सजा दे दी. अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश कुमार अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह ने बहस की.

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