सोनभद्र: शिवद्वार धाम अपने अद्भुत औरअद्वितीय शिव शक्ति की प्रतिमा के लिए जाना जाता है. मुख्य मंदिर की स्थापना शतद्वारी नामक गांव के मुख्य मार्ग पर स्थापित है. गुप्तकाशी अथवा द्वितीय काशी के नाम से प्रसिद्ध यह स्थल अपने आप में ऐतिहासिक विरासत के लिए भी जाना जाता है.
इस क्षेत्र में दर्जनों गांवो में अद्भुत मूर्तियों व पत्थरों पर उकेरी गई आकृतियां कम आकर्षण नहीं रखती हैं. पूरे शिवद्वार क्षेत्र के आसपास के इलाकों में प्राचीन मंदिरों के अवशेष और मूर्तियां आज भी अपने ऐतिहासिकता के वैज्ञानिक प्रमाणिकरण की राह तक रही हैं. यही नहीं यह क्षेत्र प्राचीन काल के साथ ही मध्यकालीन समय से आज भी उत्तर प्रदेश से मध्य प्रदेश का व्यापारिक मार्ग भी रहा है.
शिवद्वार धाम में प्रणय लीला में शिव शक्ति की अद्भुत अनोखी काले पत्थर की मूर्ति 8 वी शताब्दी से 11वीं शताब्दी के मध्य की बताई जाती है. ऐसी मान्यता है कि शिव शक्ति की संयुक्त यह प्रतिमा 1905 ई0 में खेत में हल चलाते समय मोती महतो नामक व्यक्ति को मिली थी.
द्वितीय काशी शिवद्वार धाम में बसंत पंचमी पर मेले का आयोजन होता है. इसके अलावा शिवरात्रि पर लगने वाले मेले में लाखों श्रद्धालु पूजा अर्चना करते हैं. सावन मास को लेकर माह भर चलने वाले मेले में लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं. मुख्य मंदिर में काले बहुमूल्य पत्थर पर बनी यह शिव शक्ति की प्रतिमा श्रद्धा के साथ अद्भुत आकर्षण का केंद्र भी है. यहां पर देश के कोने कोने से आने वाले श्रद्धालुओं की हर मन्नतें पूरी होती है ऐसी यहां की मान्यता है.
मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह मूर्ति 8वी से 10 वी शताब्दी के मध्य की बताई जाती है लगभग दो सौ वर्ष पूर्व यह मूर्ति जमीन से निकली थी. यहां दर्शन के लिए दूर-दूर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है और उनकी सभी मन्नते पूरी होती है.