सोनभद्र: जनपद के बिल्ली-मारकुंडी ग्राम पंचायत के खैरटिया टोला में लगभग दो दर्जन घर हैं, लेकिन इन घरों में आज तक बिजली नहीं पहुंच पाई है. जबकि सोनभद्र को ऊर्जा के हब के रूप में जाना जाता है. यहां पर तापीय परियोजना और एनटीपीसी भी है, जहां से प्रदेश के अन्य जनपदों के साथ ही देश के अन्य हिस्सों में भी बिजली की आपूर्ति की जाती है, लेकिन जिले में ही बिजली की आपूर्ति न हो पाना शासन और प्रशासन पर सवाल खड़ा करता है.
![electricity did not reach in khairtia](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-son-01-electricity-unavailble-pkg-7203511_16072020092614_1607f_00252_731.jpg)
महज आश्वासन ही देते हैं अधिकारी
खैरटिया टोला के रहने वाले लोगों का कहना है कि हमारे यहां बिजली अभी तक नहीं आई है. यहां पर कई बार अधिकारी आए, सर्वे किए और आश्वासन भी दिए कि विद्युतीकरण किया जाएगा, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ. यहां के बासिंदों को मोबाइल चार्ज करने के लिए भी दूसरे का घर देखना पड़ता है. वहीं पढ़ने वाले बच्चे मोमबत्ती और दीया की रोशनी में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. जबकि खैरटिया टोला के कुछ किलोमीटर दूर पर ही उत्तर प्रदेश तापीय परियोजना भी है, जहां पर विद्युत उत्पादन होता है.
लोगों को नहीं मिल रही बिजली
सोनभद्र में नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन के माध्यम से देश के अन्य हिस्सों में भी बिजली की आपूर्ति की जाती है, लेकिन जहां पर विद्युत उत्पादन हो रहा है, वहां से कुछ दूरी पर ही लोगों को बिजली न मिलना अपने आप में एक बड़ा सवाल भी है. यही नहीं, कुछ घरों में वर्षों पूर्व मीटर भी लगा दिया गया, जिससे कई लोगों का तो बिल भी आया. हालांकि इसके विषय में जब विद्युत विभाग को जानकारी मिली तो उनके बिल को समाप्त कर दिया गया.
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जानें, क्या बोले स्थानीय
इस टोले में 20 से 25 घर है. यहां बिजली नहीं आई है. यहां न तो पूल लगा और न ही तार खींचा गया. कोई अधिकारी यहां पर नहीं आते. एक बार कुछ लोग घर-घर मीटर लगाने आए थे, तब हमारे घर में मीटर लगा था, लेकिन आज तक विद्युत नहीं मिली.
-गीता स्थानीयजब से मैं आई हूं, तब से यहां बिजली नहीं है. दूसरे के घर पर मोबाइल चार्ज करना पड़ता है. मिट्टी का तेल खरीदते हैं, तब हमें रोशनी मिलती है. हम ऐसे ही रहते हैं. जब वोट लेना होता है, तब जनप्रतिनिधि यहां आते हैं. जब काम करना रहता है तो फिर नहीं आते. यहां कुल मिलाकर 20 घर होंगे.
-दुर्गावती, स्थानीय
लाइट की स्थिति यहां बहुत खराब है. हमारे दादा-परदादा के जमाने से यहां बिजली नहीं आई है. वही स्थिति आज भी है. यहां अधिकारी नहीं आते. अगर कभी कभार आए भी तो आशा दिला कर चले गए कि यहां पर विद्युतीकरण होगा. मिट्टी के तेल से और मोमबत्ती की रोशनी में हम रहते हैं. यहां पर जो पढ़ने वाले बच्चे हैं, वह मोमबत्ती या दीया जलाकर पढ़ते हैं. यहां की कंडीशन बहुत ही खराब है.
-युवराज, स्थानीय
अधीक्षण अभियंता ने दी सफाई
अधीक्षण अभियंता सुभाष चंद्र यादव ने बताया कि बिल्ली-मारकुंडी के खैरटिया टोला के लोग पहले ओबरा परियोजना की बिजली उपयोग करता था. लगभग 8 महीने पहले उनकी बिजली परियोजना के द्वारा काट दी गई थी. इसके पहले जो लोग परियोजना की बिजली उपयोग कर रहे थे, उनसे जब कहा गया तो पहले फेज में वहां का विद्युतीकरण हो रहा था तो लोगों ने असमर्थता जताई कि वे परियोजना की बिजली उपयोग कर रहे हैं. पीसीएल की बिजली लेने पर बिल देना पड़ेगा. अब जब परियोजना के द्वारा लाइट वहां से काट दी गई तो मामला संज्ञान में आया है.
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शीघ्र होगा विद्युतीकरण
अधीक्षण अभियंता ने बताया कि सौभाग्य योजना फेज 3 के तहत सर्वे कराया जा चुका है. उनका विद्युतीकरण शीघ्र संभावित है, स्वीकृति के लिए भेजा गया है.रही बात मीटर बांट देने की तो बिल निर्गत होने की ऐसी समस्याएं जहां भी आई है, वहां पर कैंप लगाकर सभी बिलों को समाप्त कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि मीटर इसलिए बांटा जाता है कि गांव में लोग विद्युत उपयोग तो करते हैं, लेकिन कनेक्शन नहीं लेते हैं. इसलिए मीटर दिया गया था. जल्द ही वहां पर विद्युत सुनिश्चित कराई जाएगी.
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सवालों के घेरे में शासन और प्रशासन
उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित सोनभद्र जिला 4 राज्यों से सटा हुआ है. साथ में यह देश के 115 पिछड़े जनपदों में भी शामिल है. वहीं केंद्र सरकार ने इसे आकांक्षी जनपद के रूप में भी शामिल किया है, जिसके चलते सोनभद्र की विशेष तौर पर निगरानी की जाती है, लेकिन इन सबके बावजूद लोगों को बिजली नहीं मिल पा रही है. जनपद में ही विद्युत की आपूर्ति न होना शासन और प्रशासन पर सवाल खड़ कर रहा है और चिराग तले अंधेरा की कहावत चरितार्थ हो रही है.