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स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में योगदान के लिए जाने जाते हैं बल्लभ साहू

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपना विशेष योगदान देने वाले देश भक्त बलराम दास केसरवानी उर्फ बल्लभ साहू को आंदोलनों के लिए जाना जाता है. इसके साथ ही उन्होंने अपने क्षेत्र के विकास के लिए भी कई सारे काम किए जो सराहनीय हैं.

बल्लभ साहू
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Published : Aug 15, 2019, 4:07 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST

सोनभद्र: आजादी की लड़ाई के लिए युवाओं में देशभक्ति का जज्बा जगाने वाले देशभक्त बलराम दास केसरवानी उर्फ बल्लभ साहू को आज भी उनकी सामाजिक सेवा के लिए याद किया जाता है. आजादी के बाद 1948 में सोनभद्र में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में बलराम दास केसरवानी नगर के अध्यक्ष चुने गए. इसके बाद उन्होंने क्षेत्र में जनसामान्य के लिये धर्मशाला और तालाब का निर्माण कराया, जो आजादी के 72 साल बाद भी इनकी यादें ताजा करती हैं.

सामाजिक कार्यों के लिए आज भी याद किये जाते हैं बल्लभ साहू.

उच्च शिक्षा के जनक के रूप में उन्होंने नगर में 15 अगस्त 1946 को उच्च शिक्षण संस्थान की नींव डाली. इनके आवास पर संचालित कांग्रेस कमेटी के कार्यालय से इनके नेतृत्व में प्रथम स्वतंत्रा दिवस के अवसर पर नगर के स्वतंत्रा संग्राम सेनानी चंद्रशेखर वैद्य, अली हुसैन, मोहनलाल गुप्ता शिवशंकर प्रसाद केसरी के सहयोग से एक विशाल जुलूस निकाला गया था.

स्थानीय कंपनी बाग में अवस्थित मिडिल स्कूल में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था. 15 अगस्त 1947 को कंपनी बाग में प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बलराम दास केसरवानी ने ध्वजारोहण कर उच्च शिक्षण संस्थान की स्थापना का संकल्प लिया था. उसी दिन मिडिल स्कूल के दो कमरे किराये पर लेकर कक्षा नौ और दस की कक्षा का आरंभ कराया गया. आज यह शिक्षण संस्थान धीरे-धीरे विकसित होकर राजा शारदा महेश इंटर कॉलेज में तब्दील हो गया है.

इसे भी पढ़ें- पान और मसालों में लपेटकर प्रकाशित होता था ये क्रांतिकारी अखबार

स्वतंत्रता सेनानी के पौत्र श्याम प्रसाद केसरी बताते हैं कि उनके दादा बलराम दास केसरवानी को नमक कानून भंग करने के जुर्म में एक वर्ष की सजा दी गई थी. इतना ही नहीं 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भी सरकार ने उन्हें नजरबंद कर दिया था और उन पर बहुत जुल्म भी ढाया था.

वहीं इतिहासकार दीपक केसरवानी बताते हैं कि 1946 में इन्होंने स्वंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया. आजादी के बाद जनता ने इन्हें टाउन एरिया राबर्ट्सगंज का अध्यक्ष मनोनीत किया. महात्मा गांधी के आह्वान पर इन्होंने नगर के आरटीएस क्लब में सामूहिक हरिजन भोज का आयोजन किया था. बलराम दास केसरवानी एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने खुद के खर्च पर नगर का विकास किया था.

सोनभद्र: आजादी की लड़ाई के लिए युवाओं में देशभक्ति का जज्बा जगाने वाले देशभक्त बलराम दास केसरवानी उर्फ बल्लभ साहू को आज भी उनकी सामाजिक सेवा के लिए याद किया जाता है. आजादी के बाद 1948 में सोनभद्र में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में बलराम दास केसरवानी नगर के अध्यक्ष चुने गए. इसके बाद उन्होंने क्षेत्र में जनसामान्य के लिये धर्मशाला और तालाब का निर्माण कराया, जो आजादी के 72 साल बाद भी इनकी यादें ताजा करती हैं.

सामाजिक कार्यों के लिए आज भी याद किये जाते हैं बल्लभ साहू.

उच्च शिक्षा के जनक के रूप में उन्होंने नगर में 15 अगस्त 1946 को उच्च शिक्षण संस्थान की नींव डाली. इनके आवास पर संचालित कांग्रेस कमेटी के कार्यालय से इनके नेतृत्व में प्रथम स्वतंत्रा दिवस के अवसर पर नगर के स्वतंत्रा संग्राम सेनानी चंद्रशेखर वैद्य, अली हुसैन, मोहनलाल गुप्ता शिवशंकर प्रसाद केसरी के सहयोग से एक विशाल जुलूस निकाला गया था.

स्थानीय कंपनी बाग में अवस्थित मिडिल स्कूल में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था. 15 अगस्त 1947 को कंपनी बाग में प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बलराम दास केसरवानी ने ध्वजारोहण कर उच्च शिक्षण संस्थान की स्थापना का संकल्प लिया था. उसी दिन मिडिल स्कूल के दो कमरे किराये पर लेकर कक्षा नौ और दस की कक्षा का आरंभ कराया गया. आज यह शिक्षण संस्थान धीरे-धीरे विकसित होकर राजा शारदा महेश इंटर कॉलेज में तब्दील हो गया है.

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स्वतंत्रता सेनानी के पौत्र श्याम प्रसाद केसरी बताते हैं कि उनके दादा बलराम दास केसरवानी को नमक कानून भंग करने के जुर्म में एक वर्ष की सजा दी गई थी. इतना ही नहीं 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भी सरकार ने उन्हें नजरबंद कर दिया था और उन पर बहुत जुल्म भी ढाया था.

वहीं इतिहासकार दीपक केसरवानी बताते हैं कि 1946 में इन्होंने स्वंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया. आजादी के बाद जनता ने इन्हें टाउन एरिया राबर्ट्सगंज का अध्यक्ष मनोनीत किया. महात्मा गांधी के आह्वान पर इन्होंने नगर के आरटीएस क्लब में सामूहिक हरिजन भोज का आयोजन किया था. बलराम दास केसरवानी एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने खुद के खर्च पर नगर का विकास किया था.

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Anchor - जिले में आजादी की लड़ाई के लिए युवाओं में देश भक्ति का जज्बा जगाने वाले देश पर सर्वत्र निछावर करने की प्रेरणा देने वाले रार्बटसगंज नगर के समाजसेवी, व्यवसायी, देश भक्त बलराम दास केसरवानी उर्फ बल्लम साहू को लोग आज भी उनकी सामाजिक सेवा के लिए याद करते हैं।


Body:Vo 1 - सोनभद्र में आजादी के बाद 1948 में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में ये नगर के अध्यक्ष चुने गए, इनके द्वारा जनसेवा की अनेक कार्य किए गये इनके द्वारा स्थापित धर्मशाला , तालाब इत्यादि इनकी आजादी के बहत्तर साल के बाद भी याद दिलाते हैं। नगर में उच्च शिक्षा के जनक के रूप में विख्यात इस सेनानी द्वारा 15 अगस्त1946 को उच्च शिक्षण संस्थान की नींव डाली गई। इनके आवास पर संचालित कांग्रेस कमेटी के कार्यालय से इनके नेतृत्व में प्रथम स्वतंत्रा दिवस के के अवसर पर नगर के स्वतंत्रा संग्राम सेनानी चंद्रशेखर वैद्य, अली हुसैन, मोहनलाल गुप्ता शिवशंकर प्रसाद केशरी के सहयोग से एक विशाल जुलूस निकाला गया था। स्थानीय कंपनी बाग में अवस्थित मिडिल स्कूल में स्वतंत्रा दिवस मनाया गया था। 15 अगस्त 1947 को कंपनी बाग में प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बलराम दास केशरवानी ने ध्वजारोहण कर उच्च शिक्षण संस्थान की स्थापना का संकल्प लिया था और उसी दिन मिडिल स्कूल का दो कमरा किराये पर लेकर कक्षा नौ और दस की कक्षा का आरंभ कराया। आज यह शिक्षण संस्थान धीरे- धीरे विकसित होकर राजा शारदा महेश इंटर कॉलेज में तब्दील हो गया है।

Vo 2 - स्वतंत्रता सेनानी के पौत्र श्याम प्रसाद केसरी बताते है कि उनके दादा बलराम दास केसरवानी को नमक कानून भंग करने के जुर्म में एक वर्ष की सजा 1941 में मिर्जापुर के गांधी पडित महादेव का चौबे के जेल यात्रा के दौरान उनके परिजनों को प्रताडित करने से दुखी बलराम दास केशरवानी ने चौबे जी को जेल से छूटने के बाद 18 अप्रैल 1941 को नगर के मुख्य चौराहे पर पुष्पहार पहनाकर मानपत्र प्रदान कर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ नारा लगाया था। जिस पर उन्हें तत्कालीन दरोगा पुरुषोत्तम सिंह ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में उन्हें सरकार ने नजरबंद कियाऔर उन पर बहुत ही जुल्म ढाया था।

Byte-श्याम प्रसाद केसरी(स्वतंत्राता सेननी के पौत्र)
Conclusion:Vo 3 - जिले के इतिहासकार दीपक केशरवानी बताते है कि 1946 में इन्होंने आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और आजादी के बाद जनता ने इन्हें टाउन एरिया राबर्टगंज का अध्यक्ष मनोनीत किया,स्वतंत्रता के बाद महात्मा गांधी के आह्वान पर सामूहिक हरिजन भोज का आयोजन इन्होंने नगर के आरटीएस क्लब में आयोजित किया था,बलराम दास केसरवानी नगर के प्रथम ऐसे व्यक्ति थे जिनके द्वारा नगर में स्वयं धन खर्च करके नगर में विकास का कार्य कराया गया था जिसमें पोखरा, धर्मशाला, बगीचा,मंदिर इत्यादि शामिल हैं आजादी के 72 वर्षों बाद भी इनके व्यक्तित्व और कृतित्व को लोग याद करते है।

Byte-दीपक केसरवानी(इतिहासकार)


चन्द्रकान्त मिश्रा
सोनभद्र
मो0 9450323031
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST
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