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सीतापुर: तमाम प्रयासों के बाद भी आंगनबाड़ी केंद्र इस्तेमाल के लायक नहीं, जानें क्यों?

सीतापुर के आंगनबाड़ी केंद्रों के हालात सुधारने में बाल विकास विभाग के कदम सफल होते नहीं दिख रहे हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए बनाए गए भवनों में शौचालय की व्यवस्था ना होने की वजह से नहीं सौंपे जा रहे हैं.

Sitapur news
करोड़ों रुपए बिल्डिंग पर खर्च करने के बावजूद हालत जस की तस हैं.
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Published : Jul 29, 2020, 6:53 PM IST

सीतापुर: बाल विकास विभाग के अंतर्गत संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों की सूरतेहाल बदलने की सरकार की मंशा अभी पूरी नहीं हो पा रही है. कार्यदायी संस्था आरईएस ने इन भवनों को बनाकर लगभग तैयार तो कर दिया है, लेकिन पंचायत विभाग द्वारा दी जाने वाली धनराशि के बाद तैयार होने वाले शौचालयों आदि का कार्य पूरा न हो पाने के कारण बाल विकास विभाग को यह भवन सौंपे नहीं जा रहे हैं.

जिले में तीन सौ से ज्यादा आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग को सौंपा गया था. यह आंगनबाड़ी केंद्र कन्वर्जन कॉस्ट से बनने थे. इसमें दो लाख रुपये बाल विकास विभाग को, एक लाख 60 हजार रुपये पंचायत विभाग को और शेष धनराशि मनरेगा से दिए जाने का प्रावधान था. मनरेगा और बाल विकास विभाग से तो धनराशि देकर काम कराया जा चुका है, किंतु पंचायत विभाग ने अपनी धनराशि का योगदान अभी तक नहीं किया है. पंचायत से मिलने वाली धनराशि से अंतिम चरण का कार्य शौचालय निर्माण आदि कराया जाना है.

जिला कार्यक्रम अधिकारी राज कपूर ने बताया कि कुछ स्थानों पर जर्जर हो चुके आंगनबाड़ी केंद्रों और कुछ नये स्वीकृत आंगनबाड़ी केंद्रों को कन्वर्जन कॉस्ट से बनवाया जा रहा है. इसमें पंचायत विभाग की ओर से किये जाने वाले योगदान की पूर्ति न होने से इनका निर्माण अधूरा पड़ा हुआ है और विभाग को ये हैंडओवर नहीं हो पा रहे हैं, ताकि इनका उपयोग किया जा सके. उन्होंने बताया कि इस बाबत सीडीओ द्वारा भी कई रिमाइंडर भेजे जा चुके हैं, लेकिन अभी तक पंचायत विभाग निष्क्रिय बना हुआ है.

सीतापुर: बाल विकास विभाग के अंतर्गत संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों की सूरतेहाल बदलने की सरकार की मंशा अभी पूरी नहीं हो पा रही है. कार्यदायी संस्था आरईएस ने इन भवनों को बनाकर लगभग तैयार तो कर दिया है, लेकिन पंचायत विभाग द्वारा दी जाने वाली धनराशि के बाद तैयार होने वाले शौचालयों आदि का कार्य पूरा न हो पाने के कारण बाल विकास विभाग को यह भवन सौंपे नहीं जा रहे हैं.

जिले में तीन सौ से ज्यादा आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग को सौंपा गया था. यह आंगनबाड़ी केंद्र कन्वर्जन कॉस्ट से बनने थे. इसमें दो लाख रुपये बाल विकास विभाग को, एक लाख 60 हजार रुपये पंचायत विभाग को और शेष धनराशि मनरेगा से दिए जाने का प्रावधान था. मनरेगा और बाल विकास विभाग से तो धनराशि देकर काम कराया जा चुका है, किंतु पंचायत विभाग ने अपनी धनराशि का योगदान अभी तक नहीं किया है. पंचायत से मिलने वाली धनराशि से अंतिम चरण का कार्य शौचालय निर्माण आदि कराया जाना है.

जिला कार्यक्रम अधिकारी राज कपूर ने बताया कि कुछ स्थानों पर जर्जर हो चुके आंगनबाड़ी केंद्रों और कुछ नये स्वीकृत आंगनबाड़ी केंद्रों को कन्वर्जन कॉस्ट से बनवाया जा रहा है. इसमें पंचायत विभाग की ओर से किये जाने वाले योगदान की पूर्ति न होने से इनका निर्माण अधूरा पड़ा हुआ है और विभाग को ये हैंडओवर नहीं हो पा रहे हैं, ताकि इनका उपयोग किया जा सके. उन्होंने बताया कि इस बाबत सीडीओ द्वारा भी कई रिमाइंडर भेजे जा चुके हैं, लेकिन अभी तक पंचायत विभाग निष्क्रिय बना हुआ है.

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