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सीतापुर: लॉकडाउन के चलते दिहाड़ी मजदूरों की बढ़ी परेशानी

सीतापुर जिले में लॉकडाउन के कारण दिन भर रोजी रोटी कमाने वालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. मलिन बस्ती में रहने वाले लोगों के लिए जीवन-यापन करना मुश्किल हो रहा है.

लॉकडाउन के चलते दिहाड़ी मजदूरों की बढ़ी परेशानी
लॉकडाउन के चलते दिहाड़ी मजदूरों की बढ़ी परेशानी
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Published : Mar 31, 2020, 2:48 PM IST

सीतापुर: कोरोनावायरस का कहर पूरे देश में बढ़ता ही जा रहा है. सरकार ने कोरोनावायरस संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन घोषित किया, लेकिन इसके बावजूद कोरोनो वायरस पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. वहीं दूसरी तरफ लॉकडाउन से सड़क किनारे छोटा सा कारोबार करने वाले या रिक्शा चलाकर दो वक्त की रोटी दाल खाने वाले परिवारों के लिए संकट गहरा रहा है.

लॉकडाउन के चलते दिहाड़ी मजदूरों की बढ़ी परेशानी.

इस बारे में जब जिलाधिकारी से बात की गई तो उन्होंने ऐसे लोंगो के लिए फल- सब्जी की बिक्री के लिए फेरी लगाने की व्यवस्था का आश्वासन दिया. ताकि उनकी कमाई का जरिया बना रहे.

इसकी जमीनी हकीकत जानने के लिए जब हमने शहर के एक छोर पर बसी मान्यवर कांशीराम कालोनी का जायजा लिया गया तो वहां के कुछ परिवारों ने जो आपबीती सुनाई. लोहे के औजार बनाकर बेचने वाले परिवार की 70 वर्षीय रामकली ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से कमाई का कोई जरिया नही बचा है.

सुबह से शाम तक कड़ी मेहनत करने के बाद शाम को घर का चूल्हा जलता था और उसके बचे हुए राशन पानी से सुबह का थोड़ा बहुत काम चल जाता था, लेकिन लॉकडाउन के बाद से कमाई बंद है और एक वख्त की रोटी का इंतजाम भी नहीं हो पा रहा है.

कालोनी में रहने वाले रिक्शा चालक मोहिनुद्दीन ने भी बयां किया. उसने बताया कि सड़क पर सवारियां नदारत हैं जिसके चलते आमदनी जीरो है. ऐसी स्थिति में राशन पानी भी खरीदना मुश्किल है और जब तक भूखे पेट ही सोकर जीवन गुजारना पड़ रहा है.

मलिन बस्तियों में रहने वाले ऐसे लोगों के भुखमरी जैसे हालातों पर जब हमने जिलाधिकारी से बात की तो उन्होंने बताया कि ऐसे दिहाड़ी कमाई करने वाले लोगों की आमदनी के लिए सड़क पर फेरी लगाकर सब्जी और फल बेचने की व्यवस्था की जा रही है. इसके लिए एसडीएम सदर को नामित किया गया है. इसके अलावा ऐसे परिवारों को अन्य सरकारी योजनाओं या फिर स्वयंसेवी संस्थाओं के मदद से सहायता दिलाई जाएगी.

सीतापुर: कोरोनावायरस का कहर पूरे देश में बढ़ता ही जा रहा है. सरकार ने कोरोनावायरस संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन घोषित किया, लेकिन इसके बावजूद कोरोनो वायरस पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. वहीं दूसरी तरफ लॉकडाउन से सड़क किनारे छोटा सा कारोबार करने वाले या रिक्शा चलाकर दो वक्त की रोटी दाल खाने वाले परिवारों के लिए संकट गहरा रहा है.

लॉकडाउन के चलते दिहाड़ी मजदूरों की बढ़ी परेशानी.

इस बारे में जब जिलाधिकारी से बात की गई तो उन्होंने ऐसे लोंगो के लिए फल- सब्जी की बिक्री के लिए फेरी लगाने की व्यवस्था का आश्वासन दिया. ताकि उनकी कमाई का जरिया बना रहे.

इसकी जमीनी हकीकत जानने के लिए जब हमने शहर के एक छोर पर बसी मान्यवर कांशीराम कालोनी का जायजा लिया गया तो वहां के कुछ परिवारों ने जो आपबीती सुनाई. लोहे के औजार बनाकर बेचने वाले परिवार की 70 वर्षीय रामकली ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से कमाई का कोई जरिया नही बचा है.

सुबह से शाम तक कड़ी मेहनत करने के बाद शाम को घर का चूल्हा जलता था और उसके बचे हुए राशन पानी से सुबह का थोड़ा बहुत काम चल जाता था, लेकिन लॉकडाउन के बाद से कमाई बंद है और एक वख्त की रोटी का इंतजाम भी नहीं हो पा रहा है.

कालोनी में रहने वाले रिक्शा चालक मोहिनुद्दीन ने भी बयां किया. उसने बताया कि सड़क पर सवारियां नदारत हैं जिसके चलते आमदनी जीरो है. ऐसी स्थिति में राशन पानी भी खरीदना मुश्किल है और जब तक भूखे पेट ही सोकर जीवन गुजारना पड़ रहा है.

मलिन बस्तियों में रहने वाले ऐसे लोगों के भुखमरी जैसे हालातों पर जब हमने जिलाधिकारी से बात की तो उन्होंने बताया कि ऐसे दिहाड़ी कमाई करने वाले लोगों की आमदनी के लिए सड़क पर फेरी लगाकर सब्जी और फल बेचने की व्यवस्था की जा रही है. इसके लिए एसडीएम सदर को नामित किया गया है. इसके अलावा ऐसे परिवारों को अन्य सरकारी योजनाओं या फिर स्वयंसेवी संस्थाओं के मदद से सहायता दिलाई जाएगी.

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