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सीतापुर: शराब माफिया और पुलिस की साठगांठ से हो रहा अवैध शराब का धंधा - सीतापुर में कच्ची शराब का कारोबार लगातार जारी

जिले के कई इलाकों में कच्ची शराब का कारोबार लघु उद्योग के रूप में अपनाया जा चुका है. लोगों का कहना है कि शराब माफिया आबकारी और पुलिस विभाग की साठगांठ से अवैध शराब के कारोबार को अंजाम देते हैं.

अवैध शराब के धंधे पर नहीं लग रही रोक
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Published : May 31, 2019, 10:03 AM IST

सीतापुर: राजधानी से सटा सीतापुर काफी समय से अवैध शराब के कारोबार का गढ़ रहा है. यहां दूसरे प्रान्तों की तस्करी कर लाई गई शराब को बड़े पैमाने पर खपाया जाता है. वहीं गांवों में कच्ची शराब बनाकर उसे भी ऊंचे दामों पर बेचा जाता है.

अवैध शराब के धंधे पर नहीं लग रही रोक

अवैध शराब के धंधे पर नहीं लग रहा विराम

  • जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश की शराब बड़े पैमाने पर बरामद हो चुकी है.
  • डीएम अखिलेश तिवारी ने पुराने मामलों में विवेचना का दायरा बढ़ाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कराने की बात कही.
  • वहीं सीएमएस ने शराब से लोगों को होने वाले नुकसान के संबंध में भी बताया.
  • उन्होंने कहा कि शराब की तीव्रता बढ़ाने के लिए केमिकल और पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे शरीर पर काफी दुष्प्रभाव पड़ता है.
  • यह केमिकल युक्त शराब मौत का कारण बन जाती है.

जिले में संचालित हो रहे अवैध शराब के कारोबार के लिए मुख्य जिम्मेदार आबकारी महकमे की भूमिका पहले से ही सवालों के घेरे में है. ऊपर से जिन मामलों का खुलासा दर्शाया है, उनके खुलासे आबकारी विभाग की बजाय पुलिस विभाग द्वारा किए गए हैं. ऐसे में आबकारी विभाग के जिम्मेदार अफसरों की भूमिका पर सवाल उठना लाजमी है.

हम लोग गांव में भ्रमण कर रहे हैं. टीम बनाई गई है. यह लोग गांव में लोगों की जांच करते हैं कि कितने लोग शराब पीने से बीमार हैं.

-अखिलेश तिवारी, डीएम

शराब की तीव्रता बढ़ाने के लिए यह लोग बहुत सारे केमिकल और पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं. इसको अधिक मात्रा में पीने से लोगों की मौत हो जाती है.

-डॉ एके अग्रवाल, सीएमएस, जिला अस्पताल

सीतापुर: राजधानी से सटा सीतापुर काफी समय से अवैध शराब के कारोबार का गढ़ रहा है. यहां दूसरे प्रान्तों की तस्करी कर लाई गई शराब को बड़े पैमाने पर खपाया जाता है. वहीं गांवों में कच्ची शराब बनाकर उसे भी ऊंचे दामों पर बेचा जाता है.

अवैध शराब के धंधे पर नहीं लग रही रोक

अवैध शराब के धंधे पर नहीं लग रहा विराम

  • जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश की शराब बड़े पैमाने पर बरामद हो चुकी है.
  • डीएम अखिलेश तिवारी ने पुराने मामलों में विवेचना का दायरा बढ़ाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कराने की बात कही.
  • वहीं सीएमएस ने शराब से लोगों को होने वाले नुकसान के संबंध में भी बताया.
  • उन्होंने कहा कि शराब की तीव्रता बढ़ाने के लिए केमिकल और पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे शरीर पर काफी दुष्प्रभाव पड़ता है.
  • यह केमिकल युक्त शराब मौत का कारण बन जाती है.

जिले में संचालित हो रहे अवैध शराब के कारोबार के लिए मुख्य जिम्मेदार आबकारी महकमे की भूमिका पहले से ही सवालों के घेरे में है. ऊपर से जिन मामलों का खुलासा दर्शाया है, उनके खुलासे आबकारी विभाग की बजाय पुलिस विभाग द्वारा किए गए हैं. ऐसे में आबकारी विभाग के जिम्मेदार अफसरों की भूमिका पर सवाल उठना लाजमी है.

हम लोग गांव में भ्रमण कर रहे हैं. टीम बनाई गई है. यह लोग गांव में लोगों की जांच करते हैं कि कितने लोग शराब पीने से बीमार हैं.

-अखिलेश तिवारी, डीएम

शराब की तीव्रता बढ़ाने के लिए यह लोग बहुत सारे केमिकल और पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं. इसको अधिक मात्रा में पीने से लोगों की मौत हो जाती है.

-डॉ एके अग्रवाल, सीएमएस, जिला अस्पताल

Intro:सीतापुर: सूबे की राजधानी से सटा सीतापुर काफी समय से अवैध शराब के कारोबार का गढ़ रहा है. यहां दूसरे प्रान्तों की तस्करी कर लायी गई खुफिया शराब को बड़े पैमाने पर खपाया जाता है वहीं गांवो में कच्ची शराब बनाकर उसे भी बड़े पैमाने पर बेचा जाता है. कभी कभार ऐसे मामलों के खुलासे भी होते हैं लेकिन तात्कालिक रूप से कार्यवाही के बाद उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है और इस पूरे कारोबार को संचालित करने वाले शराब माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही नहीं होने के कारण पुनः यह कारोबार रफ्तार पकड़ने लगता है.

सीतापुर के कई इलाकों में कच्ची शराब का कारोबार लघु उद्योग के रूप में अपनाया जा चुका है इसके अलावा पड़ोसी राज्यों की शराब को लायसेंसी शराब के ठेकों के जरिए बेचकर मोटा मुनाफा कमाया जाता है. दरअसल शराब माफिया आबकारी और पुलिस विभाग की सांठगांठ से अवैध शराब के कारोबार को अंजाम देते हैं. जब कभी आपसी तालमेल बिगड़ता है या फिर विभाग को लक्ष्य पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है तभी ऐसे मामलों का पर्दाफाश हो पाता है.

जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश की शराब बड़े पैमाने पर बरामद हो चुकी है जबकि कच्ची शराब के कारोबार तो अक्सर ही उजागर होते रहे है.पिछले आंकडो पर यदि नज़र दौड़ाई जाय तो रामकोट थाना क्षेत्र में 16 मार्च 2018 को हरियाणा से लाई गई 854 पेटी और 910 पौव्वा शराब बरामद की गई थी जिसमे 6 लोगो को गिरफ्तार किया गया था.

इसी थाना क्षेत्र में हिमालय प्रदेश की निर्मित अंग्रेजी शराब भी भारी मात्रा में बरामद की गई थी.12अगस्त 2018 को एक महिला समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था. बरामद शराब की कीमत का आंकलन डेढ़ लाख रुपये किया गया था.

थाना खैराबाद इलाके में पुलिस ने 17 प्लास्टिक गैलनो में 340 लीटर कौरेमल,3020 पाउच अपमिश्रित शराब,पैकिंग मशीन, नकली लेबिल तथा नकली स्टीकर आदि अन्य सामान बरामद हुआ था, इस प्रकरण में करीब साढ़े सात लाख रुपए की शराब बरामद हुई थी.

इसी प्रकार शहर कोतवाली इलाके में 25 नवम्बर 2018 को 212 अदद शराब की पेटियां,2 सौ ढक्कन,50 खाली शीशियां तथा एक मारुति आल्टो कार बरामद की गयी,इसकी कीमत का आंकलन करीब 6 लाख रुपये किया गया.

इस पूरे मामले में जब डीएम अखिलेश तिवारी से बात की गई तो उन्होंने पुराने मामलों में विवेचना का दायरा बढ़ाकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही कराने की बात कही.उधर जब शराब से मनुष्य को होने वाले नुकसान के संबंध में सीएमएस से बात की गई तो उन्होंने बताया कि शराब की तीव्रता बढ़ाने के लिए जिन केमिकल और पदार्थो का इस्तेमाल किया जाता है उससे शरीर पर काफी दुष्प्रभाव पड़ता है, यहां तक कि कभी कभी ये मृत्यु का कारण भी बन जाती है.

जिले में संचालित हो रहे अवैध शराब के कारोबार के लिए मुख्य जिम्मेदार आबकारी महकमे की भूमिका पहले से ही सवालों के घेरे में है.ऊपर जिन मामलों का खुलासा दर्शाया है उनके खुलासे आबकारी विभाग की बजाय पुलिस विभाग द्वारा किये गए हैं ऐसे में आबकारी विभाग के जिम्मेदार अफसरों की भूमिका पर सवाल उठना लाज़िमी है.

बाइट-अखिलेश तिवारी (डीएम)
बाइट-डॉ ए. के.अग्रवाल (सीएमएस-जिला अस्पताल)
पीटीसी-नीरज श्रीवास्तव

सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट,9415084887


Body:शराब माफियाओं पर मेहरबान रहा है आबकारी विभाग


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