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सिद्धेश्वर महादेव मंदिर : चरवाहे की खुरपी लगने पर इस शिवलिंग से निकनले लगा था खून, भगवान कृष्ण ने भी यहां थी पूजा - sitapur news hindi

सावन (Sawan 2021) के महीने में हम आपको रोजना एक शिव मंदिर के महात्म और वहां के इतिहास के बारे में बता रहे हैं. इसी क्रम में आज हम आपको ले लिए चलते हैं सीतापुर (Sitapur) के सिधौली नगर पंचायत क्षेत्र (Sidhauli Nagar Panchayat) में स्थित श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर (Shri Siddheshwar Mahadev Temple). पुराणों में वर्णन है कि द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन ने भी इस स्वयंभू शिवलिंग की पूजा की थी.

सिद्धेश्वर महादेव मंदिर
सिद्धेश्वर महादेव मंदिर
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Published : Aug 12, 2021, 6:38 AM IST

सीतापुर : जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर सिधौली नगर पंचायत (Sidhauli Nagar Panchayat) के सिद्धेश्वर नगर मोहल्ले में स्थित श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर (Shri Siddheshwar Mahadev Temple) में पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है. लाखों शिव भक्त अपनी मनवांछित मुराद के लिए यहां आते हैं और देवाधिदेव भगवान शिव के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में जलाभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकानाएं पूरी हो जाती हैं.


क्या मंदिर का इतिहास

मान्यता है कि जिस स्थान पर आज मंदिर है वहां प्राचीन समय में इस स्थान पर जंगल हुआ करता था. कहा जाता है कि जंगल में घास काटने के दौरान एक चरवाहे की खुरपी (घास काटने का औजार) स्वयंभू शिवलिंग पर लग गई और शिवलिंग से खून निकलने लगा. इसके बाद चरवाहा घबराकर घर भाग आया. इसके बाद रात को सोते समय भगवान शिव ने उस चरवाहे के सपने में आकर उसे उस स्थान की सफाई कर मंदिर स्थापित करने को कहा. जिसके बाद चरवाहे ने उस स्थान की सफाई की और एक छोटे से मंदिर का निर्माण कराकर पूजा-अर्चना शुरू की. इसके बाद यहां आने वाले लोग जो भी मुराद मांगते, वह पूरी होने लगी. जिससे लोगों का इस मंदिर के प्रति विश्वास और अधिक गहराता गया और मंदिर की ख्याति बढ़ती गई. हर साल दूर-दराज से लाखों लोग श्री सिद्धेश्वर महादेव का दर्शन करने लिए यहां आते हैं. विशेषकर सावन के महीने में तो यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग
सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग

संवत 2018 में हुआ मंदिर का जीर्णोद्धार

संवत 2018 में मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान स्वयंभू शिवलिंग के चारो तरफ 27 फिट तक खुदाई कराई गई थी. लेकिन, शिवलिंग का कोई अंत नही मिला. जिसके बाद उसी स्थान यथा स्थित बनाए रखते हुए मंदिर का भव्य रूप में जीर्णोद्धार कराया गया था. इसके बाद से समय-समय पर श्रद्धालु मंदिर का रख रखाव और पुनरोद्धार कराते आए हैं.

सिद्धेश्वर महादेव की पूजा करते श्रद्धालु
सिद्धेश्वर महादेव की पूजा करते श्रद्धालु

द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने की थी इस शिवलिंग की पूजा

मान्यता है कि त्रेतायुग में इस शिवलिंग की पूजा अर्चना राज मांधाता ने की गई थी. पुराणों वर्णित है कि द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन ने इस स्वयंभू शिवलिंग की पूजा की पूजा की थी.

सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, सीतापुर
सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, सीतापुर


सोमवार को होती है भगवान शिव की विशेष पूजा

श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. इसके अलावा यहां प्रतिदिन आरती होती है. लोगों का कहना है कि सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के दरबार से आज तक कोई खाली हाथ नहीं गया. मंदिर के ही प्रांगण में स्थित भगवान मुक्तेश्वर महादेव और माता पूर्णागिरी के साथ शनिदेव, राम दरबार और राधा- कृष्ण के मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है.

सीतापुर : जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर सिधौली नगर पंचायत (Sidhauli Nagar Panchayat) के सिद्धेश्वर नगर मोहल्ले में स्थित श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर (Shri Siddheshwar Mahadev Temple) में पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है. लाखों शिव भक्त अपनी मनवांछित मुराद के लिए यहां आते हैं और देवाधिदेव भगवान शिव के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में जलाभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकानाएं पूरी हो जाती हैं.


क्या मंदिर का इतिहास

मान्यता है कि जिस स्थान पर आज मंदिर है वहां प्राचीन समय में इस स्थान पर जंगल हुआ करता था. कहा जाता है कि जंगल में घास काटने के दौरान एक चरवाहे की खुरपी (घास काटने का औजार) स्वयंभू शिवलिंग पर लग गई और शिवलिंग से खून निकलने लगा. इसके बाद चरवाहा घबराकर घर भाग आया. इसके बाद रात को सोते समय भगवान शिव ने उस चरवाहे के सपने में आकर उसे उस स्थान की सफाई कर मंदिर स्थापित करने को कहा. जिसके बाद चरवाहे ने उस स्थान की सफाई की और एक छोटे से मंदिर का निर्माण कराकर पूजा-अर्चना शुरू की. इसके बाद यहां आने वाले लोग जो भी मुराद मांगते, वह पूरी होने लगी. जिससे लोगों का इस मंदिर के प्रति विश्वास और अधिक गहराता गया और मंदिर की ख्याति बढ़ती गई. हर साल दूर-दराज से लाखों लोग श्री सिद्धेश्वर महादेव का दर्शन करने लिए यहां आते हैं. विशेषकर सावन के महीने में तो यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग
सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग

संवत 2018 में हुआ मंदिर का जीर्णोद्धार

संवत 2018 में मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान स्वयंभू शिवलिंग के चारो तरफ 27 फिट तक खुदाई कराई गई थी. लेकिन, शिवलिंग का कोई अंत नही मिला. जिसके बाद उसी स्थान यथा स्थित बनाए रखते हुए मंदिर का भव्य रूप में जीर्णोद्धार कराया गया था. इसके बाद से समय-समय पर श्रद्धालु मंदिर का रख रखाव और पुनरोद्धार कराते आए हैं.

सिद्धेश्वर महादेव की पूजा करते श्रद्धालु
सिद्धेश्वर महादेव की पूजा करते श्रद्धालु

द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने की थी इस शिवलिंग की पूजा

मान्यता है कि त्रेतायुग में इस शिवलिंग की पूजा अर्चना राज मांधाता ने की गई थी. पुराणों वर्णित है कि द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन ने इस स्वयंभू शिवलिंग की पूजा की पूजा की थी.

सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, सीतापुर
सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, सीतापुर


सोमवार को होती है भगवान शिव की विशेष पूजा

श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. इसके अलावा यहां प्रतिदिन आरती होती है. लोगों का कहना है कि सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के दरबार से आज तक कोई खाली हाथ नहीं गया. मंदिर के ही प्रांगण में स्थित भगवान मुक्तेश्वर महादेव और माता पूर्णागिरी के साथ शनिदेव, राम दरबार और राधा- कृष्ण के मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है.
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