सीतापुर : जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर सिधौली नगर पंचायत (Sidhauli Nagar Panchayat) के सिद्धेश्वर नगर मोहल्ले में स्थित श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर (Shri Siddheshwar Mahadev Temple) में पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है. लाखों शिव भक्त अपनी मनवांछित मुराद के लिए यहां आते हैं और देवाधिदेव भगवान शिव के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में जलाभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकानाएं पूरी हो जाती हैं.
क्या मंदिर का इतिहास
मान्यता है कि जिस स्थान पर आज मंदिर है वहां प्राचीन समय में इस स्थान पर जंगल हुआ करता था. कहा जाता है कि जंगल में घास काटने के दौरान एक चरवाहे की खुरपी (घास काटने का औजार) स्वयंभू शिवलिंग पर लग गई और शिवलिंग से खून निकलने लगा. इसके बाद चरवाहा घबराकर घर भाग आया. इसके बाद रात को सोते समय भगवान शिव ने उस चरवाहे के सपने में आकर उसे उस स्थान की सफाई कर मंदिर स्थापित करने को कहा. जिसके बाद चरवाहे ने उस स्थान की सफाई की और एक छोटे से मंदिर का निर्माण कराकर पूजा-अर्चना शुरू की. इसके बाद यहां आने वाले लोग जो भी मुराद मांगते, वह पूरी होने लगी. जिससे लोगों का इस मंदिर के प्रति विश्वास और अधिक गहराता गया और मंदिर की ख्याति बढ़ती गई. हर साल दूर-दराज से लाखों लोग श्री सिद्धेश्वर महादेव का दर्शन करने लिए यहां आते हैं. विशेषकर सावन के महीने में तो यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.
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संवत 2018 में हुआ मंदिर का जीर्णोद्धार
संवत 2018 में मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान स्वयंभू शिवलिंग के चारो तरफ 27 फिट तक खुदाई कराई गई थी. लेकिन, शिवलिंग का कोई अंत नही मिला. जिसके बाद उसी स्थान यथा स्थित बनाए रखते हुए मंदिर का भव्य रूप में जीर्णोद्धार कराया गया था. इसके बाद से समय-समय पर श्रद्धालु मंदिर का रख रखाव और पुनरोद्धार कराते आए हैं.
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द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने की थी इस शिवलिंग की पूजा
मान्यता है कि त्रेतायुग में इस शिवलिंग की पूजा अर्चना राज मांधाता ने की गई थी. पुराणों वर्णित है कि द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन ने इस स्वयंभू शिवलिंग की पूजा की पूजा की थी.
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