सीतापुर: खेतों में फूल खिले हुए हैं पर इसके बीच फूलों की खेती करने वाले किसानों के चेहरे मुरझाये हुए हैं. फूलों की सुगंध भी हवा में तैर रही है, लेकिन किसानों को इसकी महक का अहसास नही हो रहा. कलियां तो फूल बनकर खिल रहीं हैं, और अपनी सुगंध भी प्राकृतिक रूप से फैला रहीं हैं, लेकिन इस कारोबार से जुड़े लोगों का जीवन महक नहीं पा रहा है. ये किसी फिल्म की कहानी नहीं. लॉकडाउन से परेशानी किसानों की बेबसी का सबूत है. कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन से फूलों की खेती करने वाले किसान काफी परेशान हैं. फूल खेतों को तो अपनी महक से महका रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते इन फूलों को कोई खरीददार नहीं मिल रहा.
फूलों को नहीं मिला बाजार
फूल बेचकर पेट भरने वाले व्यापारियों से जब व्यापार के बारे में पूछा गया तो उनका दर्द छलक उठा. उन्होंने बताया कि मंदिर-दरगाह शादी-विवाह बंद होने के कारण फूलों की मांग में काफी कमी आई है. मांगलिक कार्यक्रमों में लगने वाले फूलों का व्यापार बंद हो गया है. उन्होंने बताया कि इस बार नवरात्र से कुछ उम्मीदें थीं, लेकिन लॉकडाउन ने इन उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया.
लॉकडाउन ने बढ़ाई समस्या
व्यापारियों का कहना है कि लॉकडाउन ने पूरी तरह से उनकी जिंदगी ही बदल डाली. कल तक जो फूल बाजारों की शोभा बढ़ा रहे थे. आज वे खेतों में सड़ने को मजबूर हैं. फूलों की खेती तो हर साल की तरह ही हुई है, लेकिन इस साल उन्हें कोई खरीददार नहीं मिला है. व्यापारियों ने बताया फूल न बिकने से आर्थिक संकट गहराने लगा है. परिवार के सामने जीवन यापन की समस्या खड़ी हो गई है.
किसानों की आमदनी ठप
खेती से ही जीवन यापन करने वालों किसानों के सामने लॉकडाउन की वजह से भूखों मरने की नौबत आ गई है. खेतों में फूल तो खिल रहे हैं, लेकिन टूटकर बाजार नहीं पहुंच पा रहे हैं. यही वजह है कि फूल का व्यवसाय पूरी तरह से चौपट है और किसानों की आमदनी ठप.
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