सीतापुर: सूबे की राजधानी से सटा सीतापुर दरी उद्योग के लिए सिर्फ भारत मे ही नहीं विदेशों में भी पहचाना जाता है. यहां बनने वाली दरियों की विदेशों में काफी मांग है, जिसके मद्देनजर बड़े पैमाने पर यहां की बनी हुई दरियों को दूसरे देशों में निर्यात किया जाता है.
प्रत्येक जिले से एक उद्योग को चयनित करने वाले 'एक जनपद एक उत्पाद' योजना में इसी दरी उद्योग का चयन किया गया है. बावजूद इसके इस व्यवसाय से जुड़े उद्यमियों को तमाम कठिनाइयों के दौर से गुजरना पड़ रहा है. जिले का बुनकर उद्योग काफी पुराना है. खैराबाद और लहरपुर कस्बा इस उद्योग की खास पहचान है.
इन दोनों कस्बों में आकर्षक और बेशकीमती दरियों को बनाने का काम बड़े पैमाने पर होता है. यहां की बनी दरियों की आपूर्ति देश ही नहीं विदेशों में भी की जाती है. सरकार ने विदेशों में अपनी छाप छोड़ने वाले इस उद्योग को 'एक जनपद एक उत्पाद' योजना के तहत चयनित किया गया है. बावजूद इसके इस उद्योग को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
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दरी निर्यातकों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि औद्योगिक क्षेत्र खैराबाद में कॉमन ईटीपी प्लांट न होने के कारण इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा कुछ स्थानों पर जहां ग्रामीण क्षेत्र से विद्युत संयोजन है, वहां नगरीय क्षेत्र से कनेक्शन देकर उद्यमियों की समस्या का समाधान किया जाए. उन्होंने कहा कि कच्चा माल लाने और तैयार माल ले जाने में काफी भाड़ा खर्च हो रहा है. उसके संबंध में सरकार से मदद की दरकार है.