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घर लौटे 'बसंत' ने जैविक उत्पाद को बनाया रोजगार का जरिया

लॉकडाउन में बेरोजगार होकर हरियाणा से घर लौटे 35 वर्षीय बसंत लाल ने आर्गेनिक खेती और जैविक खाद उत्पादन को अपना रोजगार का जरिया बना लिया है. वह इस कार्य को बड़े स्तर पर करने का सपना संजोए हुए आगे बढ़ रहे हैं. साथ ही आमदनी कमा के अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं.

जैविक खाद का उत्पादन.
जैविक खाद का उत्पादन.
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Published : Dec 26, 2020, 5:39 PM IST

सीतापुर: जनपद अन्तर्गत विकास खंड गोंदलामऊ क्षेत्र के बरबटपुर गांव निवासी बसंत लाल जैविक खाद बनना कर खुद के लिए रोजगार पैदा कर रहे हैं. साथ ही मुनाफा भी कमा रहे हैं. बंसत लाल हरियाणा स्थित आर्गेनिक फार्महाउस पर बीते बीते 3 वर्षों से काम कर रहे थे. लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार होकर घर लौटे और कोरोना आपदा को अवसर में बदलने का हुनर सीखने लगे.

जैविक खाद का उत्पादन.

जैविक खाद का कर रहे उत्पादन

फार्महाउस में जैविक उत्पाद पर काम करने के बाद बीते 18 जून को बसंत लाल अपने घर आ गए. उन्होंने अपने और दूसरों के खेतों में रासायनिक खादों के प्रयोग को होता देख उन्हें आर्गेनिक खेती करने का अवसर दिखाई दिया. उन्होंने जैविक उत्पादों को घर पर बनाने का निश्चय किया. उसी दौरान सरकार के द्वारा प्रवासी मजदूरों को लेकर रोजगार हेतु ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए जाने की जानकारी मिलने पर बसंत ने तीन दिवसीय कार्यशाला में हिस्सा लिया.

ट्रेनिंग के दौरान जैविक उत्पादों में उनकी रूचि देखते हुए विषय वस्तु विशेषज्ञ ने उन्हें सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के माध्यम से अनुदान दिलाया. इससे उनके आर्गेनिक उत्पादन में तेजी आई. सरकार द्वारा पराली जलाने पर रोक के बाद गांव-गांव जाकर पराली न जलाकर उसे मांग कर अपने खेत के पास एकत्र कर डी कंपोज कर गोबर की खाद एवं अन्य जैविक पदार्थ मिलाकर उसे घनजीवामृत तैयार किया. मात्र छ: माह में ही बसंत लाल जीवामृत, नीमास्त्र, घनजीवामृत का उत्पादन कर रहे हैं. साथ ही इनकी बिक्री कर अपने परिवार का अच्छे से भरण पोषण कर रहे हैं.

हो रहा परिवार का भरण-पोषण

बसंत लाल ने बताया कि बीते तीन वर्षों से कुरूक्षेत्र हरियाणा में जैविक कृषि उत्पाद पर काम कर रहे थे. लॉकडाउन में घर आ गए. उस दौरान उन्होंने 250 रुपये में 5 किलो गुड़ और दो किलो बेशन और नीम की खली आदि लाकर घर में रखे ड्रम में जीवामृत और नीमास्त्र को बनाया. एक बीघे में घान की फसल में कीटनाशक के लिए नीमास्त्र और खाद के स्थान पर जीवामृत का छिड़काव किया. जिस से घान की अच्छी पैदावार मिली. बसंत लाल ने बताया कि इस समय डेढ़ बीघे में मटर, आधा बीघे में सेम, और 3 बीघे में आलू बो रखी है. खेत से इस समय मटर और सेम की पैदावार हो रही है. जिसे बाजार में बेच कर अच्छी आमदनी हो रही है.

सीतापुर: जनपद अन्तर्गत विकास खंड गोंदलामऊ क्षेत्र के बरबटपुर गांव निवासी बसंत लाल जैविक खाद बनना कर खुद के लिए रोजगार पैदा कर रहे हैं. साथ ही मुनाफा भी कमा रहे हैं. बंसत लाल हरियाणा स्थित आर्गेनिक फार्महाउस पर बीते बीते 3 वर्षों से काम कर रहे थे. लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार होकर घर लौटे और कोरोना आपदा को अवसर में बदलने का हुनर सीखने लगे.

जैविक खाद का उत्पादन.

जैविक खाद का कर रहे उत्पादन

फार्महाउस में जैविक उत्पाद पर काम करने के बाद बीते 18 जून को बसंत लाल अपने घर आ गए. उन्होंने अपने और दूसरों के खेतों में रासायनिक खादों के प्रयोग को होता देख उन्हें आर्गेनिक खेती करने का अवसर दिखाई दिया. उन्होंने जैविक उत्पादों को घर पर बनाने का निश्चय किया. उसी दौरान सरकार के द्वारा प्रवासी मजदूरों को लेकर रोजगार हेतु ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए जाने की जानकारी मिलने पर बसंत ने तीन दिवसीय कार्यशाला में हिस्सा लिया.

ट्रेनिंग के दौरान जैविक उत्पादों में उनकी रूचि देखते हुए विषय वस्तु विशेषज्ञ ने उन्हें सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के माध्यम से अनुदान दिलाया. इससे उनके आर्गेनिक उत्पादन में तेजी आई. सरकार द्वारा पराली जलाने पर रोक के बाद गांव-गांव जाकर पराली न जलाकर उसे मांग कर अपने खेत के पास एकत्र कर डी कंपोज कर गोबर की खाद एवं अन्य जैविक पदार्थ मिलाकर उसे घनजीवामृत तैयार किया. मात्र छ: माह में ही बसंत लाल जीवामृत, नीमास्त्र, घनजीवामृत का उत्पादन कर रहे हैं. साथ ही इनकी बिक्री कर अपने परिवार का अच्छे से भरण पोषण कर रहे हैं.

हो रहा परिवार का भरण-पोषण

बसंत लाल ने बताया कि बीते तीन वर्षों से कुरूक्षेत्र हरियाणा में जैविक कृषि उत्पाद पर काम कर रहे थे. लॉकडाउन में घर आ गए. उस दौरान उन्होंने 250 रुपये में 5 किलो गुड़ और दो किलो बेशन और नीम की खली आदि लाकर घर में रखे ड्रम में जीवामृत और नीमास्त्र को बनाया. एक बीघे में घान की फसल में कीटनाशक के लिए नीमास्त्र और खाद के स्थान पर जीवामृत का छिड़काव किया. जिस से घान की अच्छी पैदावार मिली. बसंत लाल ने बताया कि इस समय डेढ़ बीघे में मटर, आधा बीघे में सेम, और 3 बीघे में आलू बो रखी है. खेत से इस समय मटर और सेम की पैदावार हो रही है. जिसे बाजार में बेच कर अच्छी आमदनी हो रही है.

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