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...अजब है इस जिले का हाल, ODF के बाद भी खुले में शौच जा रहे लोग - सीतापुर में लोगों को नहीं मिल रहे शौचालय

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है. इसके बावजूद अब भी लोग खुले में शौच जा रहे हैं. आज भी लोगों को शौचालयों की दरकार है, लेकिन उन्हें शौचालय नहीं मिल पा रहे हैं.

खुले में शौच जाने को मजबूर हैं लोग.
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Published : Nov 6, 2019, 4:57 PM IST

सीतापुर: जिले को ओडीएफ यानि खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है. इसके बाबजूद अब भी लोग खुले में शौच जा रहे हैं. आज भी लोगों को शौचालयों की दरकार है, लेकिन उन्हें शौचालय नहीं मिल पा रहे हैं. वहीं ओडीएफ घोषित किए जाने को लेकर सामाजिक संस्थाओं ने आश्चर्य व्यक्त किया है.

खुले में शौच जाने को मजबूर हैं लोग.

सामाजिक संस्था संगतिन मजदूर संगठन की संयोजक ऋचा सिंह का कहना है कि आज भी हर गांव में 20 से 30 फीसदी लोग खुले में शौच जा रहे हैं. बाढ़ और कटान ग्रस्त गांजरी क्षेत्र के लोग शौचालय के लिए चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है.

यह भी पढ़ें: सड़क पर गंदगी देख भड़कीं SDM, सफाई इंस्पेक्टर से कहा- 'गिराकर मारूंगी, तोड़ दूंगी मुंह-हाथ'

वहीं डीपीआरओ का कहना है कि पूरे जिले में शौचालयों का निर्माण कराने के बाद बीती 2 अक्टूबर को ओडीएफ घोषित किया गया था. जिले में अब तक साढ़े चार लाख से अधिक शौचालय बनाये गए हैं. साथ ही 36 हजार और शौचालयों की मांग की गई है. ताकि शेष बचे लोंगों को भी शौचालय मुहैया कराकर क्रिटिकल गैप को भरा जा सके.

इसके अलावा इस ममले में जिलाधिकारी का कहना है कि यह एक सतत प्रक्रिया है. जहां भी खुले में शौच जाने की शिकायत मिलती है. तत्काल प्रभाव से वहां टीम भेजकर लोगों को शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया जाता है.

सीतापुर: जिले को ओडीएफ यानि खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है. इसके बाबजूद अब भी लोग खुले में शौच जा रहे हैं. आज भी लोगों को शौचालयों की दरकार है, लेकिन उन्हें शौचालय नहीं मिल पा रहे हैं. वहीं ओडीएफ घोषित किए जाने को लेकर सामाजिक संस्थाओं ने आश्चर्य व्यक्त किया है.

खुले में शौच जाने को मजबूर हैं लोग.

सामाजिक संस्था संगतिन मजदूर संगठन की संयोजक ऋचा सिंह का कहना है कि आज भी हर गांव में 20 से 30 फीसदी लोग खुले में शौच जा रहे हैं. बाढ़ और कटान ग्रस्त गांजरी क्षेत्र के लोग शौचालय के लिए चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है.

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वहीं डीपीआरओ का कहना है कि पूरे जिले में शौचालयों का निर्माण कराने के बाद बीती 2 अक्टूबर को ओडीएफ घोषित किया गया था. जिले में अब तक साढ़े चार लाख से अधिक शौचालय बनाये गए हैं. साथ ही 36 हजार और शौचालयों की मांग की गई है. ताकि शेष बचे लोंगों को भी शौचालय मुहैया कराकर क्रिटिकल गैप को भरा जा सके.

इसके अलावा इस ममले में जिलाधिकारी का कहना है कि यह एक सतत प्रक्रिया है. जहां भी खुले में शौच जाने की शिकायत मिलती है. तत्काल प्रभाव से वहां टीम भेजकर लोगों को शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया जाता है.

Intro:सीतापुर: सीतापुर को ओडीएफ यानि खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है लेकिन इस जिले में आज भी लोग खुले में शौच जा रहे हैं.सामाजिक संस्थाओं ने जिले को ओडीएफ घोषित किये जाने पर आश्चर्य जताया है.उनका कहना है कि जनपद के पिछड़े बाढ़ और कटानग्रस्त क्षेत्र में आज भी लोगों को शौचालयों की दरकार है लेकिन उन्हें शौचालय नही मिल पा रहे हैं


Body:सूबे की राजधानी से सटा यह जिला बीती 2 अक्टूबर को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है. जिला पंचायत राज अधिकारी के अनुसार जिले में अब तक साढ़े चार लाख से अधिक शौचालय बनाये गए हैं जबकि करीब 36 हज़ार शौचालयों की और मांग की गई है ताकि जो लोग अब भी किन्ही कारणों से शौचालय से वंचित हैं उन्हें भी शौचालय मुहैया कराया जा सके.


Conclusion:दूसरी ओर सामाजिक संस्था संगतिन ने जिले को ओडीएफ घोषित करने पर आश्चर्य व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि जिले को ओडीएफ घोषित करना सबसे बड़ा झूठ है. आज भी हर गांव में 20 से 30 फीसदी लोग खुले में शौच जा रहे हैं. बाढ़ और कटान ग्रस्त गांजरी क्षेत्र के लोग शौचालय के लिए चक्कर काट रहे हैं लेकिन उनकी सुनवाई करने वाला कोई नही है. मतलब यह कि कहीं शौचालय न मिलने तो कही किसी और कारण से लोग खुले में शौच जा रहे हैं लेकिन प्रशासन इस सच्चाई पर पर्दा ड़ालकर जिले को ओडीएफ घोषित कर अपनी पीठ थपथपाने में जुटा हुआ है.जिलाधिकारी का कहना है कि यह एक सतत प्रक्रिया है और जहां भी खुले में शौच जाने की शिकायत मिलती है.तत्काल प्रभाव से वहां टीम भेजकर लोगों को शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया जाता है. उधर डीपीआरओ का कहना है कि पूरे जनपद में शौचालयों का निर्माण कराने के बाद जिले को ओडीएफ घोषित किया गया है साथ ही 36 हज़ार और शौचालयों की इसलिए मांग की गई है कि शेष बचे लोंगों को भी शौचालय मुहैया कराकर क्रिटिकल गैप को भरा जा सके.

बाइट-ऋचा सिंह (संयोजक-संगतिन मज़दूर संगठन)
बाइट-इंद्र नारायण सिंह (डीपीआरओ)
बाइट-अखिलेश तिवारी (डीएम)

सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट,9415084887
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